मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी राज्य में पहली बार किस्मत आजमा रही है. पार्टी ने खरगोन, बुरहानपु, खंडवा, जबलपुर, भोपाल, इंदौर, रतलाम में अपने प्रत्याशी उतारे हैं. खास बात ये है कि ओवैसी की पार्टी ने उन्हीं शहरों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जो सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील माने जाते हैं.
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प्रमोद शर्मा/भोपालः एमपी कि सियासत में एआईएमआईएम (AIMIM) की एंट्री से कांग्रेस को अपने पारंपरिक वोटबैंक मुस्लिम वर्ग के छिटकने का डर सता रहा है. यही वजह है कि ओवैसी के असर को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने एक योजना बनाई है. इस योजना के तहत कांग्रेस ने अपने नेताओं को उन इलाकों में उतार दिया है, जहां ओवैसी ने प्रचार किया है. वहीं भाजपा ने कांग्रेस के इस कदम पर चुटकी ली है.
कांग्रेस का ये है दावा
कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा कि ओवैसी भाजपा के लिए काम करते हैं. ओवैसी आकर मुस्लिमों को भ्रमित करते हैं. ऐसे में मुस्लिमों के इसी भ्रम को दूर करने की जिम्मेदारी कमलनाथ ने कांग्रेस नेताओं को सौंपी है. इसके तहत कांग्रेस नेता उन मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में जाकर पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, जहां असदुद्दीन ओवैसी ने प्रचार किया है.
बीजेपी का पलटवार
वहीं कांग्रेस की इस योजना पर बीजेपी ने चुटकी ली है. बीजेपी नेता अभय प्रताप सिंह ने दावा किया है कि ओवैसी का एमपी में कोई जनाधार नहीं है. कांग्रेस वर्ग विशेष की राजनीति करती है जबकि भाजपा सर्वधर्म की नीति वाली पार्टी है. ओवैसी और कांग्रेस की एक राह है और दोनों ही तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं.
AIMIM का संवेदनशील इलाकों पर फोकस
बता दें कि मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी राज्य में पहली बार किस्मत आजमा रही है. पार्टी ने खरगोन, बुरहानपु, खंडवा, जबलपुर, भोपाल, इंदौर, रतलाम में अपने प्रत्याशी उतारे हैं. खास बात ये है कि ओवैसी की पार्टी ने उन्हीं शहरों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जो सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील माने जाते हैं. पार्टी ने मुस्लिम बहुल खंडवा और बुरहानपुर में मेयर प्रत्याशी समेत कुल 51 प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें से 49 मुस्लिम प्रत्याशी हैं. माना जा रहा है कि ओवैसी के नगरीय निकाय चुनाव में उतरने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है कि क्योंकि मुस्लिम वर्ग पारंपरिक तौर पर एमपी में कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है.