Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह में कैसे हुई कैसे हुआ गणपति पूजन? जानिए कैसे हुआ संभव
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Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह में कैसे हुई कैसे हुआ गणपति पूजन? जानिए कैसे हुआ संभव

shiva parvati vivaah: ज्यादात्तर लोगों के मन में ये भ्रम रहता है कि जब गणेश जी शिव-पार्वती के पुत्र हैं तो उनके विवाह में गणपति पूजन कैसे हो गया, यदि आपके भी मन में ऐसे सवाल है तो आइए जानते है इसके बारे में...

Mahashivratri: शिव-पार्वती विवाह में कैसे हुई कैसे हुआ गणपति पूजन? जानिए कैसे हुआ संभव

Mahashivratri Shiva Parvati Marriage: भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह का महापर्व महाशिवरात्रि (mahashivratri) 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इसको लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. पूरे देश में शिव-पार्वती विवाह (shiv parvati vivaah) महोत्सव धूमधाम से मनाई जाती है. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के पहले गणेश जी (ganesh ji) की पूजा की जाती है. हम सभी जानते हैं कि गणेश जी शिव-पार्वती के पुत्र हैं. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि शिव-पार्वती के विवाह में भी श्रीगणेश की पूजा हुई थी. इसको लेकर लोगों में यह शंका है कि गणेश जी भगवान शिव के पुत्र हैं तो आखिरी इनके विवाह में उनका पूजन कैसे हुआ?

शिव-पार्वती विवाह में गणेश पूजा
पुराणों में शिव-पार्वती के विवाह में गणपति पूजन का उल्लेख मिलता है. बताया जाता है कि ब्रह्मवेत्ता मुनियों के निर्देश पर गणपति की पूजा कराई गई थी. इसको लेकर यदि आपके मन में संशय है तो आज हम आपको बता दें कि गणेश जी अनादि देवता मानें गए हैं. गणेश जी भले ही भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र थे. लेकिन वो वह अनादि गणपति के अवतार माने गए हैं. इसलिए भगवान गणपति की पूजा शंकर और पार्वती जी के विवाह में हुई थी. जिसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास जी के इस दोहे में मिलता है-
मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि। 

जानिए कौन है गणेश जी?
पुराणों में भगवान गणेश को वैदिक देवता बताया गया है. इनका नाम वेदों में गणेश न होकर गणपति या ब्रह्मणस्पति बताया गया है. इन्हीं का नाम पुराणों में गणेश बताया गया है. इनका मूलनाम महागणपति विनायक है. जगदम्बा ने महागणपति की आराधना की और उनसे वरदान प्राप्त किया कि आप मेरे पुत्र के रूप में अवतार लें, इसलिए भगवान महागणपति गणेश के रूप में शिव-पार्वती के पुत्र होकर अवतरित हुए. पौराणिक मान्यतानुसार इन्हें मां पार्वती ने कल्पना से प्रकट किया था. अतः यह शंका समाप्त होती है कि शिव-पार्वती विवाह में गणपति पूजन कैसे हुआ? क्योंकि जिस प्रकार भगवान विष्णु अनादि हैं और राम, कृष्ण, वामन आदि अनेक अवतार हैं. उसी प्रकार गणेश जी विघ्न विनायक जिस प्रकार भगवान विष्णु अनादि हैं और राम, कृष्ण, वामन आदि अनेक अवतार हैं.

शुभ कार्यों में की जाती है गणपति पूजा
भगवान गणेश विघ्नहर्ता बताया गया है. इसलिए किसी भी शुभ या मांगलकि कार्य के पहले गणपति पूजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि कोई भी कार्य शुरू करने से पहले यदि गणपति की आराधना करते हैं तो उस कार्य में विघ्न नहीं आता है. वहीं यह भी बताया गया है कि भगवान गणेश की पूजा से घर के सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वूद्धि होती है. बुद्धवार के दिन शाम को स्नान कर ऋद्धि-सिद्धि सहित गणेश जी की पूजा करने से किसी भी कार्य में विफलता हाथ नहीं लगती और व्यक्ति सुखमय जीवन जीता है. 

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों में दी गई जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है. )

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