700 से 800 रुपये किलो बिकने वाला मशरूम, 50 से 100 रुपये किलो पर पहुंचा, जानिए
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700 से 800 रुपये किलो बिकने वाला मशरूम, 50 से 100 रुपये किलो पर पहुंचा, जानिए

पेंड्र क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश और गर्जना से जंगली सब्जी पिहरी/ छतनी/ मशरूम बाजार हाट में कम भाव में बिक रही है. अपने उच्च प्रोटीन , गुणवत्ता एवं स्वाद की वजह से शौकीनो के थालियों में परोसे जाने वाला पिहरी (मशरूम) जो बाज़ार में 700-800 रुपए किलो बिका करती थी.

मशरूम

दुर्गेश सिंह बिसेन/पेंड्रा: पेंड्र क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश और गर्जना से जंगली सब्जी पिहरी/ छतनी/ मशरूम बाजार हाट में कम भाव में बिक रही है. अपने उच्च प्रोटीन , गुणवत्ता एवं स्वाद की वजह से शौकीनो के थालियों में परोसे जाने वाला पिहरी (मशरूम) जो बाज़ार में 700-800 रुपए किलो बिका करती थी. इन दिनों पेंड्रा के बाजार में 100 से 200 रुपये किलो बिक रही है.

बारिश के आते ही जंगली सब्जी पिहरी/पुटू सामान्य लोगों की पहुंच से दूर रहती हैं. प्रारंभिक रूप से जब यह फसल जंगल से बाजार पहुंचती है तो इसकी कीमत काजू बादाम से भी महंगी होती है. इसके शौकीन ही इसकी कीमत चुका सकते हैं. सामान्य व्यक्ति इन सब्जियों की कीमत पूछ कर ही रह जाता है. इसे खरीद नहीं पाता परंतु सावन के खत्म होते ही भादो लगा और वापस जाते मानसून की बारिश ने जब अपना रूप दिखाया तो बारिश के साथ गर्जना भी हुई और जंगल में साल के वृक्ष के नीचे यह पिहिरी ऐसे निकली जैसे बर्फ की चादर बिछ गई.

700 से 800 रुपये किलो बिकता था मशरुम
केंदा , कारीआम, बस्तिबगरा, मातिन क्षेत्र का पसान, कर्री, तुलबुल एवं मरवाही के जंगल से अचानक बड़ी मात्रा में पिहरी या मशरुम भी निकलने लगी. जो 700 से 800 किलो का था. वो बेजा उत्पादन से 40-50 रुपये किलो हो गया है. ग्रामीण जो पिहरी खाना तो चाहते थे परंतु उनके पहुंच से दूर थी. उसे खरीदने के लिए टूट पड़े. परंतु पहरी भी इतनी बड़ी बड़ी मात्रा में बाजार में आ गया कि उसके खरीदने वाले कम पड़ गए. 

खरीददार नहीं मिल रहा
पिहरी की तासीर ऐसी है की 1 दिन से दूसरे दिन उपयोग न हो तो उसमें कीड़े पड़ जाते हैं. फिलहाल बारिश इतनी हो रही है, बादल नहीं निकल रहे हैं. जिससे उसे सुखाया भी नहीं जा सकता है. बाजार में पिहिरी / मशरूम /छतनी तरह तरह के आ गया. पर खरीदने वाला कोई नहीं है. अब सवाल ये उठता है कि जंगल की सौगात "पिहरी'' याने लम्बे और स्वादिष्ट मशरूम का व्यावसायिक उत्पादन क्यों नहीं हो रहा. यदि संभव है तो इस और प्रयास क्यों नहीं किया जा रहा है?

सरकारी रेट में खरीदे इसे
वन विभाग को चाहिए कि ऐसे समय मे पिहिरी- छतनी को ऐसे समय में जब इसका अधिक उत्पादन हो तो उसे सरकारी रेट में खरीदे जिससे वनवासियों को इसका लाभ मिल सके. यदि जंगल के मशरूम पीहरी को सुरक्षित रखने का विज्ञानी तरीका होते तो रोजगार का नया जरिया बनेगा. मशरूम में कई महत्वपूर्ण खनिज और विटामिन पाए जाते हैं. बता दें कि  इनमें विटामिन बी, डी, पोटैशियम, कॉपर, आयरन और सेलेनियम की पर्याप्त होती है.

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