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छिंदवाडा: मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जिला अस्पताल में निजी अस्पताल के कर्मचारी से मरीज का इलाज करवाना पड़ गया. दरअसल एमपी के छिंदवाड़ा (Chhindwara) जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही एक महिला के लिए स्थानीय महापौर (Chhindwara mahapaur) देवदूत बनकर पहुंचे और उनकी वजह से महिला का सकुशल इलाज संभव हो पाया. लोगों ने बताया कि सड़क हादसे में घायल होने के बाद उसे जिला अस्पताल लाया गया था लेकिन उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी उपलब्ध ही नहीं थे. लेकिन घटना की जानकारी महापौर विक्रम अहाके को लगी तो वो महिला का देखने जिला अस्पताल पहुंचे इस दौरान अस्पताल में कई खामियां उन्हे देखने को मिली.
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निजी अस्पताल से बुलाने पड़े डॉक्टर
घायल अवस्था में महिला सर्जिकल वार्ड में पहुंच गई थी, लेकिन उसके शरीर से लगातार खून बह रहा था और कहा जा रहा है कि उपचार के लिए कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था. महिला दो घंटे से बेड पर बेसुध पड़ी थी. सिर और पैर पर बड़ा घाव था वार्ड की नर्स व्यस्त थी. इसके अलावा जिला अस्पताल में पदस्थ ड्रेसर ने महिला को टांके लगाने से मना कर दिया. जिसके बाद महिला को टांके लगाने के लिए महापौर ने निजी अस्पताल के एक ड्रेसर को बुलाया और महिला के सिर पर 10 टांके और पैर पर 18 टांके लगाए गए इसकी वजह से महिला की जान सुरक्षित बच पाई.
धरने की दी चेतावनी
महिला को बचाने के बाद कांग्रेस महापौर विक्रम अहाके ने कहा कि अगर एक सप्ताह में व्यवस्थाएं नहीं सुधरती है तो वे जिला अस्पताल में धरने पर बैठ जाएंगे. महापौर ने जिला अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था पर सवाल खड़े किए तो प्रबंधन भी बैकफुट पर आ गया. उनके लगातार आरोप के बाद सिविल सर्जन ने वार्ड में पदस्थ नर्स तथा ड्रेसर अनीस मूसंरी पर कार्रवाई करने की बात की है. इसके अलावा महापौर ने नर्स से जब डॉक्टर के संबंध में जानकारी मांगी तो कहा जा रहा है कि नर्स ने कोई जानकारी नहीं दी.