मध्य प्रदेश की रैगांव विधानसभा सीट (Raigaon seat) बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद अहम है. 1977 से अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें से पांच बार भाजपा (BJP) ने और दो बार कांग्रेस (Congress) ने अपना परचम लहराया है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश की रैगांव विधानसभा सीट (Raigaon seat) बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद अहम है. 1977 से अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं. जिनमें से पांच बार भाजपा (BJP) ने और दो बार कांग्रेस (Congress) ने अपना परचम लहराया है. इसके अलावा एक बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी जीत दर्ज की है. वहीं दो बार अन्य दलों के प्रत्याशी यहां से जीते हैं. इस बार चुनावी अखाड़े में बीजेपी से प्रतिमा बागरी (Pratima Bagri) और कांग्रेस से कल्पना वर्मा (Kalpana Verma) के बीच जबरदस्त दंगल देखने को मिलेगा. कल्पना वर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस से प्रत्याशी थीं, वहीं प्रतिमा बागरी पर बीजेपी पहली बार दांव खेलने जा रही है.
नामांकन पत्र दाखिल करेंगे
सीएम शिवराज सिंह चौहान और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की मौजूदगी में आज यहां की बीजेपी प्रत्याशी प्रतिमा बागरी और पृथ्वीपुर उपचुनाव के प्रत्याशी डॉ. शिशुपाल यादव अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. सीएम खजुराहो से पृथ्वीपुर पहुंचकर कई स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे. इसके बाद निवाड़ी पहुंचकर पार्टी प्रत्याशी डॉ. शिशुपाल यादव के नामांकन जमा करने के समय वहां मौजूद रहेंगे. इसके बाद सतना कलेक्ट्रेट में रैगांव विधानसभा की प्रत्याशी प्रतिमा बागरी के नामांकन में जाएंगे.
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
रैगांव विधानसभा सीट की बात करें तो यहां होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी पूरे उफान पर है. ये सीट बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद खाली हुई है. सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में तो कड़ी टक्कर रही ही है. साथ ही इसपर बहुजन समाज पार्टी भी बड़ी चुनौती दे चुकी है. हालांकि इस सीट को बीजेपी की दबदबे वाली सीट माना जाता है. 2018 में भी बीजेपी के जुगल किशोर बागरी ने यहां बड़ी जीत हासिल की थी. हालांकि इससे पहले के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां बसपा ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2018 के चुनाव में बसपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी.
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कभी रहा था बसपा का अच्छा प्रभाव
दरअसल रैगांव सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जिस कारण इसपर किसी समय में बसपा का अच्छा प्रभाव देखने को मिलता था. बाद में अनुसूचित जाति का वोटबैंक का झुकाव बीजेपी की तरफ चला गया. इस सीट पर बागरी समुदाय का वोटबैंक सबसे ज्यादा है. अनुसूचित जाति वर्ग में हर पार्टी बागरी समुदाय के अलावा, हरिजन और कोरी समुदाय को भी साधने में जुटी रहती है.
भारी ना पड़ जाए अजय सिंह की नाराज़गी
वहीं कांग्रेस की बात करें तो जानकारों का मानना है कि पार्टी अगर अजय सिंह पर दांव खेलती तो फायदे का सौदा होता. क्योंकि अजय सिंह की कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर और क्षेत्र की जनता पर अच्छी पकड़ है. ऐसे में कांग्रेस को उनकी नाराजगी भारी ना पड़ जाए.
क्या हैं रैगांव सीट के मुख्य मुद्दे
ग्रामीण बाहुल्य रैगांव सीट के विकासकार्यों पर नजर डालें तो इलाका काफी पिछड़ा नजर आएगा. इसी के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, सड़कें और बरगी नहर का पानी रैगांव विधानसभा सीट के मुख्य मुद्दे हैं. यहां आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. बेहतर इलाज के लिए क्षेत्र के लोगों को सतना या दूसरे शहरों में जाना पड़ता है. इसके अलावा शिक्षा, सड़क और पानी के मुद्दों को लेकर भी यहां के वोटरों में नाराजगी साफ देखी गई है.
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