मंदी में गुजरी अक्षय तृतीया: नहीं दिखी बाजारों में रौनक, व्यापारी हुए निराश
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मंदी में गुजरी अक्षय तृतीया: नहीं दिखी बाजारों में रौनक, व्यापारी हुए निराश

अक्षय तृतीया पर लोग कपड़े और सोने-चांदी की जमकर खरीददारी करते हैं. लेकिन इस साल बढ़ती मंहगाई के चलते रतलाम के बाजार में रौनक नहीं दिखी. हालांकि अन्य दिनों की तुलना में आज खरीददारी करने वाले ग्राहकों की संख्या में इजाफा देखा गया.

 

मंदी में गुजरी अक्षय तृतीया: नहीं दिखी बाजारों में रौनक, व्यापारी हुए निराश

चंद्रशेख सोलंकी/रतलामः कोरोना महामारी के चलते बीते दो साल व्यापारियों का धंधा पूरी तरह ठप रहा. जिसकी वजह से व्यापारियों को कॉफी नुकसान उठाना पड़ा. इस साल कोरोना पाबंदी हटने के बाद से शादी विवाह का सीजन शुरू हो गया है. कपड़े और सोने के व्यापारी लाभ के उम्मीद में अक्षय तृतीया को लेकर तैयारियां पहले से कर रहे थे. लेकिन रतलाम के सराफा और कपड़ा व्यापार मंदा रहा और उम्मीद लगाए बैठे कारोबारियों को आज निराशा हाथ लगी. 

अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी और कपड़े की जमकर खरीददारी होती है. लेकिन रतलाम में अक्षय तृतीया को लेकर व्यपारियो में जितना उत्साह और उम्मीद थी उतनी इस वर्ष व्यपार में उठाव नहीं रहा, बल्कि इसके विपरीत इस बार बाजार ठंडा रहा, व्यापारी दुकानें सजा कर बैठे रहे कि अक्षय तृतीया पर काफी ज्यादा शादी समारोह होते है और ऐसे में बिक्री अच्छी हो सकेगी. लेकिन इसके विपरीत व्यपारी खाली दुकान पर बैठे रहें. हालांकि कुछ समानों की बिक्री अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा हुई लेकिन उतना नहीं जितना की व्यापारी उम्मीद लगाए बैठे थे. 

कोरोना के डर से पहले ही हो गई शादीयां
सराफा बाजार के व्यपारियों ने बताया कि इस बार शादियां अक्षय तृतीया पर जितनी होनी थी वह नहीं हुई, लोगों मे कोरोना को लेकर चिंता थी कि कहीं मई में दोबारा लाकडाउन जैसी पाबंदियों का दौर शुरू न हो जाये इसलिए जैसे ही कोरोना पाबंदियां हटाई गई तभी शादियां कर ली गयी. इसके कारण अक्षय तृतीया पर उतनी ग्राहकी (बिक्री) नहीं रही, इसके अलावा ग्रामीण इलाकों से भी लोग आए लेकिन वह भी इस बार ग्राहकी कम रही. ऐसे में महंगी ज्वेलरी की खरीदी कम हुई.

कपड़ा मार्केट पर भी पड़ा असर
अक्षय तृतीया पर रतलाम में खासतौर पर सोने-चांदी और कपड़े का व्यापार जमकर होता है. इधर कपड़ा मार्केट भी ठंडा रहा, व्यपारियों ने डमी पर एक से एक पोशाक की साड़ियां और दुल्हन ड्रेस सज़ा के रखी. लेकिन महंगी ड्रेस के ग्राहक नहीं आये. जो ग्राहक आए भी वो सभी सामान्य ड्रेस की ही खरीददारी की. बाजार में महंगायी का काफी असर इस बार देखने को मिला. जिसकी वजह से लोगों को बजट पर काफी समझौता करना पड़ा.

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