रीवा में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे एक पूर्व पार्षद का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया है, जिसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत नगर निगम और प्रशासन से की है. जिस वार्ड से वह तीन बार पार्षद का चुनाव जीते थे, अब उस वार्ड से उनका नाम गायब है.
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रीवा। मध्य प्रदेश में प्रशासन पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटा है. प्रशासन की तरफ से से की जा रही चुनावी तैयारियां भी अब अंतिम चरण पर है. ऐसे में नेता भी अपनी जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं कई नेता अपनी दावेदारी करते हुए लगातार लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं. वहीं इस चुनावी माहौल के बीच रीवा से एक अलग ही खबर निकल कर सामने आई है, रीवा नगर निगम के वार्ड 29 से तीन बार कांग्रेस पार्टी की तरफ से पार्षद पद का चुनाव जीतने वाले पूर्व पार्षद राम प्रकाश तिवारी का नाम इस बार उनके ही वार्ड की वोटर लिस्ट से गायब हो गया.
पूर्व पार्षद के साथ परिजनों के नाम भी वोटर लिस्ट से गायब
खास बात यह है कि वोटर लिस्ट से केवल पार्षद का नाम गायब नहीं हुआ है बल्कि उनके परिजनों के नाम भी गायब हैं, पूर्व पार्षद राम प्रकाश तिवारी डैडू व उनके परिवार का नाम भी वोटर लिस्ट से हटना एक बड़ी चूक मानी जा रही है, जिसके लिए पूर्व पार्षद प्रशासनिक अधिकारियों सहित नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन उन्हें अभी तक कहीं भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला.
दरअसल, यह पूरा मामला रीवा नगर निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 29 का है, जहां से राम प्रकाश तिवारी उर्फ डैडू एवं उनकी पत्नी तीन बार निरंतर कांग्रेस पार्टी की तरफ से पार्षद रह चुके हैं. इस बार चुनाव की तैयारी पूरी करने के बाद जब उनके द्वारा वोटर लिस्ट खंगाली गई तो उसमें से उनका एवं उनके परिवार का नाम ही गायब है. राम प्रकाश तिवारी का कहना है कि उनका नाम और परिवार के अन्य सदस्यों का नाम वोटर लिस्ट से गायब है, इसके साथ ही वार्ड 29 के 20- 25 लोगों को वार्ड 21 में जोड़ दिया गया है.
सत्ता के दवाब में प्रशासन
पूरे मामले पर राम प्रकाश तिवारी ने आरोप लगाया है कि सत्ताधारी सरकार के दबाव में नगर निगम एवं प्रशासन के द्वारा इस तरह का खेल खेला जा रहा है, लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक बात तो तय है कि यदि वोटर लिस्ट में सुधार की गुंजाइश ना हुई तो तीन बार के निर्वाचित पार्षद इस बार चुनाव से ही वंचित रह जाएंगे. पूर्व पार्षद रामप्रकाश तिवारी ने बताया कि इस बार के निकाय चुनाव में उनका वार्ड क्रमांक 29 सामान्य नहीं रहा जिसकी वजह से उन्होंने वार्ड 21 से उन्होंने चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रखी थी. लेकिन उन्हें चुनाव से वंचित रखने के लिए सत्ताधारियों ने खेल रचकर उनका नाम वोटर लिस्ट से हटवा दिया. जबकि 2004 से लेकर वर्ष 2009 और विधानसभा चुनाव सहित लोकसभा के चुनाव उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज था.
वहीं इस मामले में रीवा जिले के कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा की मतदाता सूची बनने की अपनी प्रक्रिया है, लोकल चुनाव की मतदाता सूची होती है उसकी अलग प्रक्रिया है और विधानसभा व लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया अलग है. आप लोगों के द्वारा मामले को संज्ञान में लाया गया है. उसकी जांच करवाई जाएगी, उसमें क्या किया जा सकता है उनके बारे में निर्वाचन आयोग से मार्गदर्शन भी प्राप्त करेंगे.
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