सफदर नागौरी ने गजब का प्लान बनाकर जेल में खोदी थी सुरंग, 6 साल की मेहनत एक पपीते ने कर दी थी बेकार!
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सफदर नागौरी ने गजब का प्लान बनाकर जेल में खोदी थी सुरंग, 6 साल की मेहनत एक पपीते ने कर दी थी बेकार!

नागौरी ने तो जेल से ही पीएचडी की भी पढ़ाई शुरू कर दी थी. बता दें कि ये सब आतंकियों की साजिश का हिस्सा था. 

फाइल फोटो

नई दिल्लीः साल 2008 में हुए अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को सिमी के 49 आतंकियों को दोषी करार देते हुए सफदर नागौरी समेत 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. वहीं 11 अन्य को उम्रकैद की सजा दी गई है. फिलहाल सफदर नागौरी और सिमी के अन्य आतंकी भोपाल सेंट्रल जेल में बंद हैं लेकिन इससे साल 2017 तक वह गुजरात की साबरमती जेल में बंद रहा था. उस दौरान उसने जेल से भागने की भी योजना बनाई थी लेकिन एक पपीते के चलते उसकी यह योजना सफल नहीं हो सकी थी.

जांच एजेंसियां भी रह गईं थी हैरान
सफदर नागौरी ने जेल से भागने के लिए जो योजना बनाई थी, उसके बारे में जानकर जांच एजेंसियां व सुरक्षा अधिकारी भी हैरान रह गए थे.दरअसल आतंकियों ने जेल से भागने के लिए सुरंग खोदने की योजना बनाई और इसके लिए बाकायदा पढ़ाई भी की. दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार, आरोपियों ने पहले जेल प्रशासन से पढ़ाई की अनुमति मांगी. अनुमति मिलने के बाद आतंकियों ने इग्नू से डिस्टेंस लर्निंग में पढ़ाई की. 

नागौरी ने तो जेल से ही पीएचडी की भी पढ़ाई शुरू कर दी थी. बता दें कि ये सब आतंकियों की साजिश का हिस्सा था. साजिश के तहत नागौरी ने पढ़ाई की आड़ में इंटरनेट सर्फिंग की भी इजाजत मांगी लेकिन जेल प्रशासन ने इससे इंकार कर दिया. जिसके लिए सफदर नागौरी सुप्रीम कोर्ट चला गया, जहां से उसे दिन में 4 घंटे इंटरनेट सर्फिंग की इजाजत भी मिल गई. 

इंटरनेट से सीखा जेल ब्रेक का तरीका
सफदर नागौरी इतना शातिर है कि उसने पढ़ाई के लिए इंटरनेट सर्फिंग के बहाने जेल तोड़ने के तरीके सर्च करने शुरू कर दिए.नागौरी ने इंटरनेट पर ब्राजील और कोलंबिया के ड्रग्स माफिया द्वारा सुरंग खोदकर जेल से भागने के तरीके के वीडियो देखे और उसी के आधार पर खुद भी सुरंग खोदकर जेल से भागने की योजना बना डाली.नागौरी की शातिर प्लानिंग का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसने सुरंग खोदने के लिए बाकायदा सिविल इंजीनियरिंग की किताबें भी पढ़ीं.

मकर संक्रांति पर भागने की थी योजना
सफदर नागौरी और उसके साथियों ने जेल से भागने के लिए सुरंग खोदनी शुरू कर दी थी. नागौरी ने इंटरनेट से जेल का नक्शा भी सर्च कर लिया था और साबरमती जेल के पास से गुजरने वाली रेल लाइन पर आने-जाने वाली ट्रेनों की आवाज से यह अनुमान लगा लिया था कि उन्हें किस तरफ भागना है!

नागौरी ने अपने साथियों को जेल में अच्छा व्यवहार रखने की सलाह दी थी. जिसके आधार पर उसके कुछ साथियों को माली का काम मिल गया था. ये ही लोग सुरंग खोदते थे. आतंकियों ने भागने के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना था क्योंकि उस दिन जेल में उत्सव का माहौल होता है और सुरक्षा व्यवस्था आम दिनों जितनी कड़ी नहीं होती थी. 

एक पपीते ने खोला राज
सफदर नागौरी और उसके साथी अपनी योजना में सफल हो ही गए थे लेकिन एक पपीते ने उनका भंडाफोड़ करदिया. दरअसल एक दिन अचानक से एक सिपाही पपीता तोड़ने गया. जिस जगह वह पपीता तोड़ रहा था, उसी जगह आतंकियों ने भागने के लिए सुरंग खोदी हुई थी. सिपाही ने जैसे ही पपीता तोड़ा, तो पपीता एक लोहे के बड़े से ढक्कर पर गिरा, यही सुरंग का एक सिरा था. जैसे ही जेल प्रशासन को जेल में सुरंग खोदे जाने का पता चला तो हंगामा हो गया. आतंकियों की प्लानिंग को देखकर सुरक्षा अधिकारी भी हैरान रह गए थे.

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