बोरवेल खुला छोड़ देने के चलते कई बच्चों ने अपनी जान गंवाई है. 90 घंटे तक चले लम्बे संघर्ष के बाद भी मध्य प्रदेश के निवाड़ी में प्रहलाद ने अपनी जान गंवा दी.
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निवाड़ीः मध्य प्रदेश के निवाड़ी में बीते बुधवार 4 नवंबर को तीन वर्षीय प्रहलाद बोरवेल में गिर गया था. बोरवेल में फंसे प्रहलाद को बचाने के लिए 90 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. देर रात करीब 11 बजे एनडीआरएफ की टीम ने खुदाई रोक दी थी. जिसके बाद दोबारा खुदाई शुरू की गई और रात तीन बजे बच्चे को निकाल कर अस्पताल भेजा गया. जहां डॉक्टर ने प्रहलाद को मृत घोषित कर दिया. खबर आते ही माता-पिता की अपने बेटे को जीवित देखने की सारी उम्मीदें भी दफन हो गई.
प्रदेश के निवाड़ी में सेना और NDRF (नेशनल डिजास्टर रिस्पोन्स फोर्स) के 90 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी प्रहलाद की जान नहीं बच सकी. इससे पहले भी देश में कई मामले आए है, जब बोरवेल को खुला छोड़ने की लापरवाही से बच्चों के साथ हादसे हुए हैं. इन मामलों में सेना और एनडीआरएफ की टीम ने बोरवेल के आस-पास खुदाई की. ऑक्सीजन सप्लाई करवाई, और उनसे जो सम्भव हुआ वो किया गया.
लेकिन बहुत कम ही मामलों में बच्चों की जान बची है. यहां भी प्रहलाद की जान चले जाने पर प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दुख जताया. और लोगों से अपील की है कि वे अपने आस-पास के बोरवेल को अच्छी तरह ढक कर रखे. जिससे इस तरह के हादसे न हो.
पहले भी सामने आए हैं मामले
देश में बोरवेल का ये कोई पहला हादसा नहीं था. इससे पहले भी देश के अन्य राज्यों में लापरवाही के कारण मासूम बच्चे ऐसे खुले बोरवेल में गिर चुके हैं. लोग बोरवेल से सिंचाई या पानी के दूसरे काम तो करते हैं. लेकिन बाद में वे उस बोरवेल को बंद नहीं करते. जिसकी वजह से बच्चे खेलते-खेलते उसमें गिर जाते हैं. जिससे प्रहलाद जैसे बच्चों के साथ ही कई पशुओं को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है.
पंजाब में दो साल का मासूम
जून 2019- पिछले साल जून 2019 में पंजाब के संगरूर जिले से एक मामला सामने आया था. तब जिले के भगवानपुरा गांव में 150 फीट गहरे बोरवेल में 2 साल का बच्चा गिर गया था. फतेहवीर सिंह नामक बालक घर के पास खेलते वक्त बोरवेल में जा गिरा था, जिसे एक कपड़े से ढक के रखा गया था. खुदाई करने वाले अधिकारी बच्चे तक ऑक्सीजन तो पहुंचा रहे थे, लेकिन खाना-पीना नहीं पहुंचा पाए थे.
खुदाई कर रही NDRF की टीम ने किसी तरह बच्चे को बाहर निकाल कर अस्पताल भेजा. जहां से फतेहवीर की मौत की जानकारी ही वापस आई.
तेलंगाना का मामला
28 मई 2020 - तेलंगाना राज्य के मेदक में तीन साल का बच्चा बोरवेल में गिर गया था. अपने दादा और पिता के साथ टहलते हुए बच्चा 120 फुट नीचे बोरवेल में गिर गया था. बच्चे को बचाने के लिए मशीनों के सहारे खुदाई की गई. उसमें ऑक्सीजन की आपूर्ति भी की गई. लेकिन सारी कोशिशें बेकार हो गई. जब बच्चा, 25 फुट की गहराई से बाहर निकाला गया, तब तक उसकी जान जा चुकी थी.
दौसा, राजस्थान
अक्टूबर 2020- राजस्थान के दौसा जिले में 8 वर्षीय बालक करीब 265 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. जिले के भांवती गांव की बेडा वाली ढाणी में गिरा बालक किसी तरह 15 फीट गहराई पर ही अटक गया था. प्रशासन ने एक घंटे की मशक्कत के बाद ही बालक को निकाल भी लिया था. लेकिन दौसा स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के दौरान बालक की मौत हो गई थी.
हरियाणा का प्रिंस
जुलाई 2006 - करीब 14 साल पहले हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के हलदेहेड़ी गांव से प्रिंस का मामला सामना आया था. तब चार साल का प्रिंस अपने पांचवें जन्मदिन पर खेलते हुए 60 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. तीन दिन तक चले इस अभियान में सेना ने बोरवेल के साथ ही एक और सुरंग बनाई. फिर 23 जुलाई को उसे बाहर निकाल लिया. स्वास्थ्य केंद्र चले इलाज के बाद प्रिंस को स्वस्थ घोषित कर दिया गया.
माता-पिता और लोगों की दुआओं से हरियाणा के प्रिंस को बचा लिया गया. लेकिन बोरवेल खुला छोड़ देने के चलते कई बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. 2006 में प्रिंस को बचाया गया था, आज 2020 में भी हम उस कारगर तकनीक से वंचित है. जिससे बोरवेल में फंसने वाली जान को सही समय पर बचाया जा सके.
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