फुटबाल समझकर खेल रहे थे बच्चे, जांच हुई तो पता चला, ये है करोड़ साल पुरानी बेशकीमती चीज
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फुटबाल समझकर खेल रहे थे बच्चे, जांच हुई तो पता चला, ये है करोड़ साल पुरानी बेशकीमती चीज

मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में विशालकाय अंडे मिले हैं. लोगों का दावा है ये डायनासोर के अंडे हैं और सदियो पुराने हैं.

प्रत्येक अंडे का वजन 2.6 किलोग्राम है

विमलेश मिश्र/मंडला: मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में विशालकाय अंडे मिले हैं. लोगों का दावा है ये डायनासोर के अंडे हैं और सदियो पुराने हैं. जिले के एक अध्यापक प्रशांत श्रीवास्तव के अनुसार सागर के केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीके कठल ने कुछ जीवाश्म पर शोध भी किया, जिसमें मंडला में डायनासोर के 7 अंडों (Dinosaurs Egg) मिलने का दावा किया गया है. ये जीवाश्म करीब 6.5 करोड़ साल पुराने बताए जा रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये एक नई प्रजाति के हैं जो कि अब एक अंतरराष्ट्रीय शोध का केंद्र है. प्रशांत कहते है कि प्रोफेसर कठल का कहना है कि देखरेख ना होने के चलते ये कीमती धरोहर नष्ट होने की कगार पर हैं, लेकिन इस शोध के बाद जिला कलेक्टर ने जीवाश्मों को सहजने की बात कही है.

जानकारी के मुताबिक मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में डायनासोर के 7 अंडें का जीवाश्म मिलने का दावा किया जा रहा है. इनका वजन 2 किलो 600 ग्राम बताया गया है. ये अंडे फुटबॉल जैसे गोले हैं. डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के व्यवहारिक भूविज्ञान विभाग के जीवाश्म विज्ञानी प्रो.पीके कठल ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर यह पुष्टि की है कि यह जिवाश्म डायनासोर के अंडे हैं. दरअसल, मंडला जिले के महाराजपुर इलाके में रहने वाले प्रोफेसर प्रशांत श्रीवास्तव सुबह-सुबह घूम रहे थे. इसी दौरान कुछ बच्चे इन 'अंडों' को फूटबॉल समझकर उनके साथ खेल रहे थे. तभी प्रशांत की नजर इस पर पड़ी. इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग को दी.

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हरबीवोरस प्रजाति के हैं अंडे
इन अंडों के अध्ययन के लिए सागर से प्रोफेसर प्रदीप कठल को बुलाया गया. प्रोफेसर कठल 30 अक्टूबर को मंडला आए. फिर उन्होंने जीवाश्म को स्केन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से अध्ययन किया जिससे पता चला है कि ये जीवाश्म अपर क्रिटेशियस काल के डायनासोर के हैं. ये शाकाहारी थे और दूर से अंडे देने के लिए नर्मदा घाटी आते थे. प्रोफेसर कठल ने बताया कि अंडों की परिधि 40 सेमी है, जबकि वजन 2.6 किलो है. इनकी लंबी गर्दन और छोटे-सिर वाले वृहदाकार (15 मीटर तक लंबाई वाले) डायनासोर तृणभक्षी (हरबीवोरस) थे. इनका जीवन-काल जुरासिक (21.5 करोड वर्ष) से शुरू होकर क्रिटेशियस (6.5 करोड़ वर्ष) था..यह अंडे डायनासोर की किसी नई प्रजाति के लग रहे हैं. यह अभी तक मिले डायनासोर के जीवाश्म से सबसे अलग जिवाश्म है और इनसे नई प्रजाति के होने की संभावना हो सकती है. उन्होंने बताया कि आगे की रिसर्च में और भी कई तथ्य सामने आ सकते हैं. कलेक्टर हर्षिका सिंह का कहना है कि जीवाश्म को सहेजने का काम किया जाएगा. 

रिपोर्ट के बाद तय करेंगे अंडों का क्या करना है?
मंडला कलेक्टर कर्षिका सिंह का कहना है कि हाल ही मिले डायनासोर के अंडे का जीवाश्म में या नहीं यह वैज्ञानिक रिपोर्ट आने के बाद तय होगा, लेकिन कलेक्टर का कहना है कि जिले में पहले भी डायनासोर के हड्डियों के अवशेष के फासिल्स मिले हैं जो संग्रहालय में रखे गए हैं.

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