एक एम्बुलेंस रतलाम से देवास पहुंची और वहां से एक कोरोना पॉजिटिव मरीज को लेकर मंगलवार की शाम वापस रतलाम लौट रही थी. तभी रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो गया.
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चंद्रशेखर सोलंकी/रतलामः प्रदेश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लापरवाही के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. रतलाम की एक एम्बुलेंस देवास से एक कोरोना मरीज को लाते वक्त दुर्घटना का शिकार हो गई. लेकिन इस दुर्घटना के बाद, ड्राइवर और पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई. क्योंकि दुर्घटना में मरीज को तो कोई गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन हादसे के करीब 16 घंटे बाद 1 शव मौके से मिला. जिसे मौके पर पहुंची पुलिस देख नहीं पाई और चालक मौके से भाग निकला.
मृतक चालक का रिश्तेदार
दरअसल, मंगलवार को एक एम्बुलेंस रतलाम से देवास पहुंची और वहां से एक कोरोना पॉजिटिव मरीज को लेकर मंगलवार की शाम वापस लेकर रतलाम लौट रही थी, एम्बुलेंस में मरीज को लेकर ड्राइवर रतलाम के लिए निकला था. इसी बीच रास्ते मे ड्राइवर ने अपने एक रिश्तेदार को एम्बुलेंस में बैठा लिया. लेकिन रतलाम से कुछ दूरी पर एम्बुलेंस अनियंत्रित होकर एक पेड़ से जा टकराई. दुर्घटना के तत्काल बाद ड्राइवर मौके से फरार हो गया.
जैसे ही एम्बुलेंस पलटने की खबर पुलिस को लगी तो पुलिस की टीम मौके पर पहुंची. जबकि स्थानीय लोग भी मौके पर जुट गए थे. मौके पर पहुंची पुलिस ने कोरोना मरीज को दूसरी एम्बुलेंस से रतलाम भिजवाया और उसे भर्ती कराकर उसका इलाज शुरू करवाया. लेकिन मौके पर किसी का ध्यान पेड़ के नीच दबे चालक के रिश्तेदार पर नहीं गया. जबकि पुलिसकर्मी एम्बुलेंस को मौके पर ही छोड़कर वापस आ गए.
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16 घंटे बाद मिला शव
अगले दिन बुधवार को सुबह ड्राइवर ने एम्बुलेंस के मालिक को सूचना दी कि उसका रिश्तेदार भी एम्बुलेंस में था, इसके बाद एम्बुलेंस के मालिक ने अपने पुत्र को घटना स्थल पर भेजा, जहां उसने पेड़ के नीचे ड्राइवर के रिश्तेदार को दबा हुआ देखा. उसने तुरंत पुलिस को मामले की सूचना दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जब ड्राइवर के रिश्तेदार को बाहर निकाला तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. ऐसे में इस घटना को पुलिस की बड़ी लापरवाही माना गया.
क्योंकि अगर समय रहते घायल युवक को देख लिया जाता तो शायद उसकी मौत नहीं होती. लेकिन 16 घंटे एम्बुलेंस के नीचे दबे होने की वजह से शायद उसकी मौत हो गई. वहीं पुलिस भी घटना स्थल पर एक बार नजर मारकर ठीक से मुआयना कर लेती तो शायद घटना के तुरंत बाद ही पुलिस की नजर दबे हुए व्यक्ति पर पड़ जाती और उसे इलाज के लिए ले जाया जाता. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
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