पिछले 3 साल में 6 बार 'भारत बंद': कभी Act का विरोध, कभी फिल्म की खिलाफत
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पिछले 3 साल में 6 बार 'भारत बंद': कभी Act का विरोध, कभी फिल्म की खिलाफत

क्या आपको पता हैं पिछले तीन ही सालों में छः बार भारत बंद का आह्वान किया जा चुका है. यहां तक कि एक बार तो फिल्म के चक्कर में भी लोग भारत बंद करने को राजी हो गए थे. जानिए जनवरी 2018 से लेकर अब तक कितनी बार हुआ भारत बंद का आह्वान

8 दिसंबर को किसानों द्वारा भारत बंद किया जा रहा हैं

नई दिल्लीः नए कृषि कानूनों के विरोध में आज किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है. केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि सुधार कानूनों के चलते पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के किसानों द्वारा पिछले कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है. केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच पांच दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकलने पर किसानों ने आज भारत बंद करने का फैसला किया है.

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हालांकि क्या आपको पता हैं पिछले तीन ही सालों में छः बार भारत बंद का आह्वान किया जा चुका है. यहां तक कि एक बार तो फिल्म के चक्कर में भी लोग भारत बंद करने को राजी हो गए थे. जानिए जनवरी 2018 से लेकर अब तक कितनी बार हुआ भारत बंद का आह्वान-

1. 25 जनवरी 2018
फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली द्वारा रानी पद्मावती के जीवन पर आधारित फिल्म बनाने के चलते करणी सेना से इसका विरोध किया था. करणी सेना और कुछ संगठनों ने कहा था कि भंसाली रानी पद्मावती के चरित्र को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. कई जगह हुए हिंसक प्रदर्शन में करीब 2000 राजपूत महिलाओं ने जौहर करने की धमकी तक दे डाली थी.

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10 लाख लोगों ने देखी थी 'पद्मावत'
तमाम विरोध के बाद फिल्म का नाम 'पद्मावती' से 'पद्मावत' किया गया. जिसके बाद करणी सेना ने 25 जनवरी 2018 को फिल्म के रिलीज के दिन ही भारत बंद का आह्वान किया था. बावजूद इसके फिल्म 7000 से ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज हुई जिसे करीब 10 लाख से ज्यादा लोगों ने सिनेमाघरों में जाकर देखा. हालांकि फिल्म गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गोवा सहित बिहार के पटना में रिलीज नहीं हुई थी. एक रिकॉर्ड के अनुसार फिल्म को 35 लाख से ज्यादा लोग थियेटर में जाकर देख चुके हैं, जो फिल्म की दुनिया में एक रिकॉर्ड भी है.

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2. 10 सितंबर 2018
2018 में हर दिन बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों और रुपए की घटती कीमतों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने 10 सितंबर 2018 को भारत बंद करने का फैसला किया था. उन्हें इस बंद में सपा, बसपा, द्रमुक, राजद सहित 10 बड़ी पार्टियों का समर्थन भी मिला था. 10 सितंबर को हुए इस आंदोलन को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न बनाया गया था.

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3. 8 व 9 जनवरी 2019
ट्रेड यूनियन, बैंक कर्मचारी यूनियन, श्रमिक संगठनों और उत्तर-पूर्वी राज्यों में CAB (नागरिकता संशोधन बिल) के विरोध के साथ ही श्रम सुधार और श्रमिक विरोधी नीतियों के चलते भारत बंद का आह्वान किया था.

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8 और 9 जनवरी 2019 को भारत का असर बैंक, ट्रांसपोर्ट और बाजार समेत कई अन्य जगहों पर भी व्यापक रूप से दिखा था. इस विरोध का असर कर्नाटक, मुंबई, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गुजरात समेत मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के राज्यों में भी देखने को मिला था.

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4. 2 अप्रैल 2019
प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट (SC/ST Act) के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2019 में चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था मामले में तुरंत गिरफ्तारी की जगह प्राथमिक जांच होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा था कि सात दिनों के भीतर शुरुआती जांच ज़रूर पूरी हो जानी चाहिए. जिसके विरोध में कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था.

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2 अप्रैल 2019 को हुए भारत बंद में देश के कई राज्यों में आंदोलन का उग्र रूप भी देखने को मिला. मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा सहित अन्य राज्यों हिंसक आंदोलन हुए, जिसमें कई गिरफ्तारियां भी की गई. इस दौरान कुछ लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी, और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हालांकि, केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी.

5. 6 और 7 सितंबर 2019
प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट (SC/ST Act) में सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2019 में कुछ संशोधन किए गए थे. जिस पर केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. तब सरकार के इस फैसले के विरोध में सवर्ण संगठनों ने 6 और 7 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया था.

6 सितंबर को मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में आंदोलन का कुछ खास असर देखने को नहीं मिला था. हालांकि मध्य प्रदेश के ग्वालियर, भिंड, शिवपुरी, मुरैना सहित कुछ जिलों में प्रशासन को हाई-अलर्ट पर रखा गया था. दो दिन चले इस आंदोलन का असर व्यापक रूप से मध्यप्रदेश के अलावा बिहार में भी देखने को मिला था.

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6. 29 जनवरी 2020

दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार द्वारा CAA (नागरिकता संशोधन कानून) और NRC (राष्ट्रीयता नागरिकता रजिस्टर) के विरोध दिल्ली के शाहीन बाग प्रदर्शन शुरू हुआ. इसी विरोध के चलते 29 जनवरी 2020 को बहुजन क्रांति मोर्चा सहित कुछ अन्य संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. सोशल मीडिया पर इसकी खबर फैलाई गई, प्रशासन ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली थी.

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29 जनवरी को प्रशासन के कारण आंदोलन भी बेअसर रहा और पूरा देश भी खुला रहा. लेकिन झारखंड सहित महाराष्ट्र के पुणे में इसका कुछ असर देखने को जरूर मिला. पुलिस ने एक्शन लेते हुए लगभग 300 लोगों को हिरासत में लेकर आंदोलन को असफल बनाया था.

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