Bhopal Gas Tragedy: साल 1884 में हुए भोपाल गैस त्रासदी का मंजर आज भी लोग याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इस मामले की सुनवाई आज भोपाल के जिला न्यायालय में हुई.
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अजय दुबे/ भोपाल: साल 1884 में हुए भोपाल गैस त्रासदी का मंजर आज भी लोग याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इस त्रासदी में जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया था आज भी उन्हें इसे सोचकर डर लगता है. इस हादसे के 39 साल बीत जाने के बाद भी आज तक मामला चल रहा था. इस मामले की सुनवाई आज भोपाल के जिला न्यायालय में हुई. जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
लिया गया फैसला
भोपाल गैस त्रासदी मामले में आज जिला न्यायालय में सुनवाई हुई. गैस त्रासदी मामले में करीब साढ़े 3 घंटे तक बहस चली. पूरे मामले की सुवाई के बाद कोर्ट ने 18 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रखा है.
दायर हुई थी याचिका
भोपाल गैस त्रासदी मामले में गैस पीड़ितों और परिजनों ने याचिका लगाई थी. गौरतलब है कि गैस हादसे के 39 वर्ष बाद विश्व की सबसे बड़े औद्योगिक हादसे के लिए जिम्मेदार एक भी विदेशी अभियुक्त और विदेशी कंपनी को आज तक सजा नहीं हुई है. सालों बाद डाउ केमिकल की ओर से एक वकील ने पेश होकर अपना पक्ष रखा था, जिसमें बताया गया कि डाउ केमिकल विदेशी कंपनी है. उसका क्षेत्र भोपाल नहीं है. इसलिए इसकी विस्तृत जानकारी मुहैया कराने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए.
वकीलों ने मांगा था समय
बता दें कि कोर्ट ने करीब सात बार समन भेजा था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान डाउ केमिकल के वकीलों ने समय मांगा था, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि इस बात की खोज बीन कर रहे हैं कि क्या भारत की अदालत के पास अमरीकी कंपनी डाउ केमिकल को सुननी के लिए ज्यूरिडिक्शन है कि नहीं, जिसके लिए कंपनी की तरफ से पार्शियल अपीयरेंस दर्ज की गई है. इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
भोपाल गैस त्रासदी
3 दिसंबर 1984 की रात आज भी राजधानी के लोगों को भूलना नामुमकिन है. इसी दिन भोपाल में ऐसी गैस त्रासदी हुई की हजारों लोगों की इसमें मौत हो गई जबकि लाखों लोग इसमें घायल हो गए. ये दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी मानी जाती है, इसके बाद भी डाउ केमिकल कंपनी आरोपी होने के बाद उसके प्रतिनिधि भोपाल जिला अदालत में पेश नहीं हो रहे थे. जबकि कंपनी की यूनियन कार्बाइड में 100 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी.