BUDGET 2021-22: भारतीय बजट के बारे में 20 ऐसे रोचक तथ्य जो आप शायद न जानते हों, यहां पढ़ें
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BUDGET 2021-22: भारतीय बजट के बारे में 20 ऐसे रोचक तथ्य जो आप शायद न जानते हों, यहां पढ़ें

बजट का इतिहास तकरीबन 150 साल पुराना है. भारतीय इतिहास में बजट से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते हों. आइए डालते हैं इन्हीं तथ्यों पर एक नजर...

सांकेतिक तस्वीर.

नई दिल्ली: आगामी 1 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगी. बजट में आम जनता को क्या मिलेगा, किसको सर्वाधिक फायदा होगा ये तो उस दिन ही पता चल सकेगा. उससे पहले हम बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य आपको बता रहे हैं. बजट का इतिहास तकरीबन 150 साल पुराना है. भारतीय इतिहास में बजट से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते हों. आइए डालते हैं इन्हीं तथ्यों पर एक नजर...

1. ब्रिटिश क्राउन के अंतर्गत ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में 7 अप्रैल, 1860 को पहला बजट पेश किया गया था, जिसे जेम्स विल्सन ने पेश किया था. उन्हें भारतीय बजट का संस्थापक भी कहते हैं.

2. आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आर. शन्मुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को शाम 5 बजे स्वतंत्र भारत देश का पहला बजट पेश किया था. यह पूर्ण बजट नहीं था.

3. स्वतंत्र भारत का पहला बजट केवल 7 महीने (15 अगस्त, 1947 से 31 मार्च 1948 तक) के लिए ही पेश किया गया था. इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था. 

4. 'अंतरिम बजट' शब्द  का प्रयोग पहली बार आर. शन्मुखम चेट्टी ने 1948-49 के अपने बजट भाषण में किया था. इसके बाद से ही छोटी अवधि के बजट के लिए अंतरिम शब्द का प्रयोग किया जाने लगा.

5. नॉर्थ ब्लॉक में 'हलवा समारोह' का आयोजन किया जाता है. इसमें वित्त मंत्री बजट तैयार करने वाले अधिकारियों के बीच हलवा वितरित करती हैं. इस कार्यक्रम के साथ ही बजट दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है. पहले बजट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया जिसके बाद प्रिंटिग के काम को मिन्टो रोड स्थित सरकारी प्रेस में भेज दिया गया. 

6. साल 1980 से वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में स्थित प्रिंटिंग प्रेस में बजट छपता है. बजट पेश होने से एक सप्ताह पहले पूरी जांच-पड़ताल कर इस प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों को नॉर्थ ब्लॉक के प्रिंटिंग प्रेस में भेजा जाता है. बजट प्रिंट होने इन सभी को वहीं रुकना होता है. हालांकि इस बार बजट के डॉक्यूमेंट्स डिजिटल फॉर्मेट में होंगे.

7. सीडी देशमुख भारत के पहले ऐसे वित्त मंत्री थे, जो मंत्री बनने से पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके थे. बता दें वह  रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे. 

8. उसके बाद 1982–1985 तक आरबीआई के गवर्नर, 1985–1987 तक योजना आयोग के अध्यक्ष रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किया. वह 23 मई 2004 से 26 मई 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. 

9. देश के इतिहास में सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री मोरारजी देसाई हैं. मोरारजी देसाई 1959 में भारत के वित्त मंत्री बने थे. उन्होंने 10 बार बजट पेश किया. इन बजट में 8 पूर्ण और दो अंतरिम बजट शामिल हैं. मोरारजी देसाई ने 1964 और 1968 में दो बार अपने जन्मदिन 29 फरवरी को बजट पेश किया.

10. साल 1955 तक भारत का पूर्ण बजट सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही पेश होता था, लेकिन वित्त वर्ष 1955-56 से बजट अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में छापा जाने लगा.

11. देश के इतिहास में प्रधान‍मंत्रियों ने वित्त मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए संसद में बजट पेश किया. इनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी शामिल हैं. 

12. संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली एकमात्र महिलाओं में इन्दिरा गांधी और निर्मला सीतारमण शामिल हैं. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए 1970 में आपातकाल के दौरान संसद में बजट पेश किया था. निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री बनीं और बजट पेश किया.

13. केसी नेगी भारत के ऐसे वित्त मंत्री रहे जिन्होंने बजट नहीं पेश किया था. क्योंकि वह केवल 35 दिनों तक वित्त मंत्री रहे और इस दौरान बजट पेश करने का मौका नहीं आया. 

14. मोरारजी देसाई के बाद पी चिदंबरम ने सर्वाधिक 8 बार बजट पेश किया है. प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चौहान और सीडी देशमुख ने 7 बार बजट पेश किया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली ही ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने लगातार 5 बार बजट पेश किया.

15. साल 1973-74 के बजट को भारत का ब्लैक बजट कहा जाता है, क्योंकि 1973-74 के दौरान बजटीय घाटा 550 करोड़ रुपए था. वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने यह बजट पेश किया था. इसी बजट में कोल माइंस पर सरकारी नियंत्रण की घोषणा की गई थी. 

16. आर वेंकटरमण और प्रणब मुखर्जी भारत के ऐसे दो वित्त मंत्री रहे हैं जो बजट पेश करने के अलावा, बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने.

17. भारत में पहली बार कॉरपोरेट टैक्स की शुरुआत 1987 के बजट में हुई थी. उस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे.

18. जनवरी की शुरुआत से मीडिया को वित्त मंत्रालय से दूर कर दिया जाता है, ताकि कोई भी बजट संबंधी खबर मीडिया में लीक न कर सके. इस दौरान वित्त मंत्रालय की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इंटेलिजेंस ब्यूरो के पास होती है.

19. साल 2000 तक शाम 5 बजे बजट पेश किया जाता था. सर बेसिल ब्लैकेट ने साल 1924 में यह परंपरा शुरू की थी.लेकिन 2001 में अलट बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बजट पेश करने के समय में बदलाव कर इसे सुबह 11 बजे कर दिया. वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पहली बार सुबह 11 बजे बजट पेश किया था. 

20. साल 2017 तक रेल बजट को पूर्ण बजट में शामिल नहीं किया जाता था. यानी 92 साल तक रेल बजट अलग से पेश किया जाता रहा. मोदी सरकार ने रेल बजट को पूर्ण बजट में ​शामिल कर दिया. उसके बाद से सिर्फ एक ही बजट पेश किया जाता है.

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