छत्तीसगढ़वासियों (Electricity bill hike in Chhattisgarh) को महंगाई का एक और झटका लगा है. बिजली नियामक आयोग ने आज बिल की दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया. नई टैरिफ दरों में नियामक आयोग ने बिजली दरों में औसत 37 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है. लगभग 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
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रजनी ठाकुर/रायपुर: छत्तीसगढ़वासियों (Electricity bill hike in Chhattisgarh) को महंगाई का एक और झटका लगा है. बिजली नियामक आयोग ने आज बिल की दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया. नई टैरिफ दरों में नियामक आयोग ने बिजली दरों में औसत 37 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है. लगभग 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वहीं नया टैरिफ दर 1 अगस्त से लागू किया गया है. घरेलू उपभोक्ताओं से फिक्सड चार्ज वसूला जाएगा. इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग टेरिफ 5 रु प्रति यूनिट रखा गया है
आपको बता दें कि बिजली वितरण कंपनी के प्रस्ताव पर जुलाई महीने में नियामक आयोग ने जनसुनवाई की. नियामक आयोग ने गैर सब्सिडी वाले कृषि विद्युत पम्प के ऊर्जा प्रभार पर छूट 10 प्रतिशत को बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. किसानों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए आयोग ने 100 वॉट तक लाइट और पंखे की स्वीकृति जारी रखी है.
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जबकि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों, बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्रधिकरण और सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण में संचालित अस्पताल, नर्सिंग होम एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए प्रचलित विद्युत दरों के ऊर्जा प्रभार में जारी छूट 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत की गई है. गैर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए वर्तमान में लागू सिंगल फेज हेतु संबद्ध भार की सीमा को 3 किलोवॉट से बढ़ाकर 5 किलोवॉट किया गया है.
गैर घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं हेतु स्थायी प्रभार एवं ऊर्जा प्रभार को युक्तिसंगत करते हुए विद्युत दरों में मामूली वृद्धि की गई है. पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रीकल व्हीकल चार्जिंग इकाइयों (Electrical Transport system) हेतु इलेक्ट्रीकल व्हीकल चार्जिंग की विद्यमान टैरिफ रूपये 5/- प्रति यूनिट जारी रखी गई है. 5000 से अधिक के विद्युत देयक का ऑनलाइन भुगतान अनिवार्य किया गया है. वहीं 5000 से कम विद्युत देयक का ऑनलाइन भुगतान करने पर छूट भी मिलेगी. वहीं तीन माह तक मीटर रीडिंग के आधार पर विद्युत बिल जारी न करने एकमुश्त बिल जारी किए जा सकेंगे. कोरोना की स्थिति को देखते हुए ऑक्सीजन संयत्र को 10% तक की छूट दी गई है. नियामक आयोग को भेजे गए प्रस्ताव में वितरण कंपनी को लगभग 4000 करोड़ रुपए के घाटा होना बताया है.
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