जब वह अस्पताल आया तो अस्पताल प्रबंधन ने उसे बेटा बेटी में भेद न करने का मंत्र समझाया. उसे समझाया गया कि बेटियां घर की लक्ष्मी होती है और बेटियों को हमेशा प्यार करना चाहिए.
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बैतूल: बेटियों को बोझ समझने की मानसिकता अब भी खत्म नहीं हो सकी है. इसका जीता जागता उदाहरण बैतूल के भैसदेही गांव में देखने को मिला है. यहां अस्पताल के शिशु वार्ड में जन्म लेने वाली बच्ची की पैदाइश की खबर जब अस्पताल में पदस्थ महिला स्टाफ नर्स अनीता देशमुख ने बिटिया के पिता राजू चौरेकर को दी तो वह अस्पताल में भर्ती अपनी पत्नी और बेटी को छोड़कर वह भाग गया. जिसके चलते अस्पताल के स्टॉफ को जच्चा बच्चा की देखभाल करनी पड़ गई.
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दूसरे दिन किसी तरह आया पिता
दूसरे दिन किसी तरह महिला के पति को अस्पताल बुलवाया गया. जहां उसने बताया कि मुझे पहले से ही 1 बेटी थी और दूसरी बिटियां होने पर मुझे बहुत दुख है, इसलिए मैं अस्पताल परिसर से भाग बेटी होने की खबर सुनकर भाग गया था.
अस्पताल ने समझाया भेद न करना
जब वह अस्पताल आया तो अस्पताल प्रबंधन ने उसे बेटा बेटी में भेद न करने का मंत्र समझाया. उसे समझाया गया कि बेटियां घर की लक्ष्मी होती है और बेटियों को हमेशा प्यार करना चाहिए. आज के समय में बेटे मां बाप को दो वक्त की रोटी नहीं देते लेकिन बिटियां उन मां-बाप के लिए सब कुछ करती है. जब नर्स द्वारा उस पिता को समझाया गया तो पिता का मन भी बदल गया और उसने उस नन्ही सी बिटियां को घर ले जाने को राजी हो गया.
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बिटियां को डॉक्टर बनाउंगा
पिता ने अस्पताल की नर्स से बात करते हुए कहा कि मैं इस बेटी को पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनाऊंगा. आखिर में पिता ने इस गलती को स्वीकारते हुए अस्पताल प्रबंधन से माफी मांगी.
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