महिलाओं की सहन शक्ति पर उठे थे सवाल: प्यास से तड़प उठीं, गिरने ही वाली थीं ट्रैक पर, लड़खड़ाते हुए खत्म की Marathon...
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महिलाओं की सहन शक्ति पर उठे थे सवाल: प्यास से तड़प उठीं, गिरने ही वाली थीं ट्रैक पर, लड़खड़ाते हुए खत्म की Marathon...

मैराथन स्टाफ ट्रैक पर आया और गैब्रिएला को वहां से हटने के लिए आग्रह करने लगा. लेकिन गैब्रिएला तो ठान कर बैठी थीं, रेस पूरी नहीं की तो दुनियाभर की महिलाएं अपने आप को कमजोर महसूस करेंगी.

गैब्रिएला एंडरसन ने एक ही रेस से दुनियाभर की महिलाओं को ऊर्जा से भर दिया

अश्विन सोलंकी/नई दिल्लीः गैब्रिएला एंडरसन-शियस (Gabriela Andersen Schiess inspirational Story): स्पोर्ट्स का नाम सुनते ही मन में कई इमोशंस एक साथ आने लगते हैं. हंसी, खुशी, दुख, निराशा, उम्मीद, खेल भावना से लेकर प्रेरणा तक. खेलों में वो जान होती है, जो दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को इंस्पायर कर सकती है. मैदान पर खिलाड़ी के प्रदर्शन से पूरे देशवासियों की सांसें थमी रहती हैं. 

दुनिया भर की महिलाओं को दी प्रेरणा
ओलिंपिक्स (Olympics) भी खिलाड़ियों को विश्व स्तर पर एक साथ खड़ा कर एक मंच प्रदान करता है, जहां वे खुद को दुनिया के सामने दर्शाते हैं. हर चार साल में होने वाले इन खेलों को इस साल फिर खेला जाएगा. टूर्नामेंट 2020 में होने वाला था लेकिन कोरोना के कारण इसे 2021 में शिफ्ट किया गया. जापान के टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त (23 July-8 August Tokyo Olympics, 2021) तक गेम्स आयोजित होंगे. इस दौरान हमें और भी कई तरह की संघर्षपूर्ण, प्रेरणादायी और इमोशंस से भरपूर कहानियां देखने को मिलेंगी. ऐसी ही कुछ कहानियां पिछले ओलिंपिक खेलों में भी हमें देखने को मिलीं. दिल को छूने वाली कहानियों में आज हम बताने जा रहे हैं स्विट्जरलैंड की उस महिला एथलीट के बारे में जिनके जज्बे ने दुनियाभर की महिलाओं को खेल के मैदान पर आकर अपने आप को प्रदर्शित करने का हौसला दिया. 

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पहली बार हुई 'महिला मैराथन'
बात 1984 लॉस एंजिल्स ओलिंपिक्स (1984, Los Angeles Olympics) की है. मैराथन जो पहले सिर्फ पुरुषों के लिए हुआ करती थी, इस ओलिंपिक में पहली बार महिलाओं के लिए भी आयोजित की गई. मैराथन शुरू होने से पहले ही यह फैसला विवादों में आ गया. आलोचक कहने लगे, मैराथन अधिक सहनशक्ति वाला इवेंट है. महिलाओं में सहनशक्ति नहीं होती, वे तो मैराथन में हिस्सा ही नहीं ले सकतीं. 

सवालों के आगे डट गईं महिलाएं
आलोचकों और इस तरह की सोच का जवाब देने के लिए 39 साल की गैब्रिएला एंडरसन और उनके समान कई अन्य महिलाओं ने सबसे पहले तो मैराथन में हिस्सा लिया. 39 साल की गैब्रिएला ने तो मन में ठान लिया था कि लोगों की सोच को बदलने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा. उन्होंने मैराथन में हिस्सा लेकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. वह जीत तो हासिल नहीं कर सकीं, लेकिन उस मैराथन में उन्होंने जो किया उसके बाद दुनिया के किसी भी आलोचक को यह तो पता लग गया कि महिलाओं की सहनशक्ति किन हदों को पार कर सकती है. 

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प्यास से तड़प उठीं, गिरने ही वाली थीं ट्रैक पर
महिला खिलाड़ियों की मैराथन शुरू हुई, गैब्रिएला अच्छी तरह अपनी रेस पूरी करने वाली थी. ट्रैक का आखिरी 100 मीटर का हिस्सा बचा था, तभी गैब्रिएला को बैचेनी महसूस होने लगी. लॉस एंजिल्स की उमसभरी गर्मी में उन्होंने पिछले वाटर स्टेशन पर पानी नहीं लिया था. वह कुछ समझ पातीं, उससे पहले ही वह डिहाइड्रेशन से जूझते हुए थकान महसूस करने लगीं. दर्शक उन्हें देख रहे थे, ओलिंपिक टीम मेंबर्स को महसूस हुआ जैसे वह कुछ ही देर में ट्रैक पर गिर जाएंगी.

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लड़खड़ाते हुए खत्म की मैराथन, दिया करारा जवाब
मैराथन स्टाफ ट्रैक पर आया और गैब्रिएला को वहां से हटने के लिए आग्रह करने लगा. लेकिन गैब्रिएला तो ठान कर बैठी थीं, रेस पूरी नहीं की तो दुनियाभर की महिलाएं अपने आप को कमजोर महसूस करेंगी. वो हार मानने को तैयार नहीं, ट्रैक छोड़ने को तैयार नहीं, साथियों को वहां से हटाते हुए लड़खड़ाते हुए उन्होंने मैराथन पूरी की. फिनिश लाइन पार करते ही वह ट्रैक पर ही गिर गईं. 

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महिलाओं की पूरी जनरेशन को इंस्पायर कर दिया
दर्शकों से खचाखच भरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा, पूरा स्टेडियम उनके सम्मान में खड़ा हो गया. गैब्रिएला अपना होश खो चुकी थीं, उन्हें याद ही नहीं दर्शकों ने किस अंदाज में खड़े होकर उनका उत्साह बढ़ाया. वह 37वें नंबर पर रहीं, लेकिन जिस अंदाज में उन्होंने रेस पूरी की, दुनियाभर के आलोचक उनके आगे नतमस्तक हो गए. इस रेस ने दुनियाभर की महिलाओं को स्पोर्ट्स में करियर बनाने की उम्मीद से भर दिया. 

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