इस इस्लामिक शासक ने अपने नाम पर रखा था होशंगाबाद का नाम, जानें पहले क्या था नर्मदापुरम् का नाम?
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इस इस्लामिक शासक ने अपने नाम पर रखा था होशंगाबाद का नाम, जानें पहले क्या था नर्मदापुरम् का नाम?

क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के खूबसूरत शहरों में शुमार होशंगाबाद का पहले क्या नाम था? होशंगाबाद का नाम बदलने के बाद आपको इस बारे में भी जानना चाहिए की आखिर होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम् ही क्यों किया गया है?

फाइट फोटो.

भोपाल: पिछले कई दिनों से होशंगाबाद का नाम बदलने की चर्चा जोरों पर थी, जिस पर अब विराम लग गया है. नर्मदा जयंती के मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने शुक्रवार को बड़ी घोषणा की. उन्होंने ऐलान किया कि होशंगाबाद का नाम बदल दिया गया है और इसे अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के खूबसूरत शहरों में शुमार होशंगाबाद का पहले क्या नाम था? होशंगाबाद का नाम बदलने के बाद आपको इस बारे में भी जानना चाहिए की आखिर होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम् ही क्यों किया गया है? इसी के बारे में हम आपको बता रहे हैं. 

नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर बसा यह खूबसूरत शहर प्राकृतिक सुंदरता का जीता-जागता उदाहरण है, जो पर्यटकों को दूर-दूर से आकर्षित करता है. इतिहास के पन्ने पलटें तो पहले इसका नाम नर्मदा नदी के नाम पर नर्मदापुरम् रखा गया था, लेकिन बाद में मामला के इस्लामिक शासक होशंग शाह के नाम पर इसका नाम होशंगाबाद पड़ा. लेकिन आज यानी नर्मदा जयंती के मौके पर एक बार फिर इसका नाम नर्मदापुरम् कर दिया गया है. 

कौन है होशंग शाह
इतिहास की मानें तो होशंग शाह मांडू का पहला सुल्तान था. उसने 1404-1435 तक यहां राज किया. होशंग शाह मालवा क्षेत्र का औपचारिक रूप से नियुक्त प्रथम इस्लामिक राजा था. मालवा का राजा घोषित होने से पहले होशंगशाह को अल्प खां नाम से जाना जाता था. उसके पिता दिलावर खां का दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक के दरबार से संबंध रहा था. दिलावर खां को तुगलकों ने मालवा का राज्यपाल नियुक्त किया था. जब होशंग शाह मालवा का राजा बना तो 1405 ईस्वी में उसने अपने नाम पर नर्मदापुरम का नाम होशंगाबाद रखा. 

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नर्मदापुरम का इतिहास

  1. 1405 ईस्वी में होशंग शाह के शासनकाल के दौरान ऐतिहासिक अभिलेखों में होशंगाबाद का पहली बार नाम सामने आया था. 
  2. 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में जिले को सात राजनीतिक प्रभागों में विभाजित किया गया था.
  3. 1835 से 1842 तक होशंगाबाद, बैतूल और नरसिंहपुर जिलों को होशंगाबाद में मुख्यालय के साथ एक में रखा गया था.
  4. 1948 में भारतीय संघ में राज्यों का विलय हुआ और होशंगाबाद जिले को भी भारतीय संघ में शामिल किया गया. 
  5. मध्य प्रदेश के नए राज्य के गठन के बाद इसे 1956 में भोपाल कमिश्नर के डिवीजन में शामिल किया गया.
  6. 1972 में तवा नदी परियोजना को तेज करने के लिए इसे भोपाल में मुख्यालय के साथ एक एकल जिला आयुक्त के रूप में घोषित किया गया था. 

नर्मदापुरम की खासियत
होशंगाबाद जो अब नर्मदापुरम् कहलाएगा उसे धार्मिक नगरी भी कहा जाता है. क्योंकि पूरे जिले में हजारों मंदिर हैं. यह सेठानीघाट सहित देवालयों के नाम से भी जाना जाता है. शोधकर्ताओं की मानें तो यहां हर 20 कदम की दूरी पर मंदिर है. प्राचीन काल से ही यह शहर अपने सुंदर प्राकृतिक, आध्यात्मिक और दर्शनीय स्थलों के कारण अपनी अगल पहचान बनाए हुए है. इसका अपना एक धार्मिक महत्व है और कुछ प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जैसे खेड़ापति, हनुमान मंदिर और शनि मंदिर यहां के बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मंदिर हैं.

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