सीनियर सिटिजन को आईटीआर (ITR) फाइल करने को लेकर बड़ी राहत दी गई. 75 वर्ष की आयु से ज्यादा के लोगों को नए वित्त वर्ष से ITR फाइल करने की जरूरत नहीं है.
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नई दिल्ली: नए वित्त वर्ष 2021-22 की शुरुआत के साथ ही टैक्स से जुड़े बदलाव भी लागू होने वाले हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए टैक्स स्लैब के नियमों को लेकर घोषणा की थी. जिसके अनुसार सीनियर सिटिजन को आईटीआर (ITR) फाइल करने को लेकर बड़ी राहत दी गई. 75 वर्ष की आयु से ज्यादा के लोगों को नए वित्त वर्ष से ITR फाइल करने की जरूरत नहीं है.
ये नागरिक ले सकेंगे लाभ
केवल वो वरिष्ठ नागरिक जिनकी आय सिर्फ पेंशन और बैंक में जमा रकम के ब्याज से होती है, वही ITR से जुड़ा ये लाभ ले सकते हैं.
टैक्स को लेकर नहीं बदले गए नियम
बता दें कि ये वरिष्ठ नागरिक केवल आईटीआर फाइल करने से मुक्त हुए हैं, लेकिन बैंक इन्हें अकाउंट से टैक्स काटकर रकम दे देगा. मतलब ये कि इन्हें केवल ITR फाइल करने से मुक्ति मिली है, लेकिन टैक्स देना होगा. साथ ही जिन वरिष्ठ नागरिकों के पास आय के लिए पेंशन और ब्याज के अलावा भी विकल्प है, उनके लिए ITR फाइल करना अनिवार्य है.
ITR नहीं किया फाइल तो बढ़ सकती हैं मुश्किलें
गौरतलब है कि सरकार ने ITR फाइल करने को लेकर नियम सख्त कर दिए हैं. ITR फाइल करने के नियम को इनकम टैक्स की धारा 206एबी से जोड़ दिया गया है. जो लोग इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं और आईटीआर फाइल नहीं करते तो उन्हें दोगुना TDS देना पड़ सकता है. साथ ही आय पर (TCS) भी ज्यादा लगेगा.
पीएफ से जुड़ा नियम भी बदला
जो लोग एक साल में अपनी सैलरी से पीएफ के नाम पर 2.5 लाख रुपये से अधिक कंट्रीब्यूट करते हैं, अब उन्हें मिलने वाली ब्याज की राशि पर नॉर्मल रेट से टैक्स लिया जाएगा. यह नया नियम कंपनी के कंट्रीब्यूशन पर लागू नहीं होगा, केवल कर्मचारियों के कंट्रीब्यूशन पर ही लागू किया जाएगा. ये नया नियम पीएफ में निवेश करने वाले लोगों के लिए बड़ा झटका है. दरअसल अब तक जो कर्मचारी पीएम में पैसा जमा करके टैक्स बचाया करते थे अब वह टैक्स के दायरे में आ जाएंगे.
आपको बता दें कि 1 फरवरी को पेश हुए बजट में वित्त मंत्री ने कर्मचारी के प्रोविडेंट फंड (EPF) और वॉलन्टरी प्रोविडेंट फंड (VPF) पर मिलने वाली ब्याज के लिए टैक्स छूट की सीमा तय करने का प्रावधान किया था.
पहले पीएफ कंट्रीब्यूशन जितना भी था लेकिन कोई भी ब्याज नहीं भरना पड़ता था. इसलिए अधिक सैलरी वाले लोग ज्यादा ब्याज के पाने के लिए ज्यादा इन्वेस्ट किया करते थे. इस नए प्रावधान का सीधा असर ज्यादा सैलरी वाले लोगों पर पड़ने वाला है.
VPF में नहीं है कोई ऊपरी लिमिट
ईपीएफ एक्ट के तहत कर्मचारी और कंपनी कंट्रीब्यूशन सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा तय है. कर्मचारी वॉलन्टरी प्रोविडेंट फंड (VPF) इस रकम से ज्यादा का कंट्रीब्यूशन भी कर सकते हैं. वीपीएफ में कंट्रीब्यूशन के लिए कोई ऊपरी लिमिट नहीं है.
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