यहां वनरक्षक की मिलीभगत से हो रही बर्बादी! वनभूमि में पेड़ों की अवैध कटाई के साथ चल रहा मिट्टी का खनन!
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यहां वनरक्षक की मिलीभगत से हो रही बर्बादी! वनभूमि में पेड़ों की अवैध कटाई के साथ चल रहा मिट्टी का खनन!

हिरनपुर-बगदरी वीट में वनरक्षक की मिलीभगत से हो रहे कई भट्टे आबाद.

नरसिंहपुर,मिट्टी का खनन

नरसिंहपुर: मध्य प्रदेश में सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. मुख्यमंत्री ख़ुद अवैध खनन करने वालों पर नकेल कसने के लिए कई बार चेतावनी भी दे चुके है. लेकिन शायद ये चेतावनी उनके अधिकारियों तक नहीं पहुँच रही है.
नरसिंहपुर के बरमान वन परिक्षेत्र में जंगल की अवैध कटाई के साथ ही बड़े पैमाने पर मिट्टी का अवैध खनन हो रहा है. वनक्षेत्र में ही दर्जनों ईंट भट्टे आबाद हैं. हिरनपुर-बगदरी वीट में तो हालात यह है कि पचासों ठूंठ और काटी गई लकड़ी के ढेर लंबे-चौड़े रकबे में मिट्टी खनन और लगे हुए भट्टे इस बात की गवाही दे रहे हैं. जिन कर्मचारियों को वन की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वही विभाग की मंशा को पलीता लगाने में जुटे है और बेझिझक चांदी पीट रहे है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां खुलकर वनरक्षक के इशारे पर ही मिट्टी खनन होता है. साथ ही ईंट भट्टे भी उनके सरंक्षण में चल रहे है.

जंगल की सुरक्षा से खिलवाड़
ज़िले में वनभूमि पर अतिक्रमण और मिट्टी के अवैध खनन अवैध रूप से ईंट भट्टे संचालित होने के मामले में बरमान वन परिक्षेत्र लंबे समय से सुर्खियों में है. बताया जाता है कि बरमान में जहां अधिकारी-कर्मचारियों की मौजूदगी हर समय रहती हैं. फिर भी वहीं पर जंगल की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है. हाइवे से लगे ईको सेंटर के आसपास ही पेड़ो की कटाई हो रही है. साथ ही हिरनपुर-बगदरी वीट में तो स्थिति और भी खराब है. यहां न केवल पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है बल्कि कई ईंट भट्टे चल रहे हैं.

पदस्थ वनरक्षक का सरंक्षण
बीट क्षेत्र में तो जहां-तहां सागौन सहित अन्य प्रजाति की कीमती लकड़ी के ढेर लगे हैं. जो पेड़ कटे है उनके नए-पुराने ठूंठ मौजूद हैं. जिनमें कई ठूंठ को जलाते हुए और मिट्टी डालकर ठूंठ को पुराने बनाने की कवायद भी की गई है. वनक्षेत्र से लगे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वनक्षेत्र से लगकर जो ईंट भट्टे चल रहे हैं वह यहां पदस्थ वनरक्षक के सरंक्षण में हैं. अधिकारियों का यहां पर नियमित आना जाना भी होता है. ईंट बनाने के लिए भी वनभूमि से ही मिट्टी निकाली जाती है.

ग्रामीणों की ज़ुबानी
ग्रामीण काशीराम चढ़ार तो खुलकर कहते हैं कि वनरक्षक भट्टों से वसूली करते हैं और जंगल की मिट्टी-लकड़ी का उपयोग कराया जाता हैं.
ग्रामीण प्रहलाद भी बताते हैं कि यहां 8 से 10 भट्टे चल रहे हैं. जंगल में जो लकड़ी कटती है वही भट्टों पर जाती है और बाहर भी सप्लाई होती है. इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि भट्टा वालों को जिस तरह सरंक्षण है उससे यह भी लगता है कि वनरक्षक इस कार्य में पार्टनर भी है.  

कार्यवाई की बात कही
हमारी टीम ने इस मसले पर जब इस संबंध में वन परिक्षेत्र अधिकारी सुरेश चंद्र जादम से बात की तो पहले तो अधिकारी ईंट भट्टे की बात पर यह कहते नज़र आए कि हम इस पर ध्यान देंगे. वहीं जब कैमरे पर बोलने की बात आई तो जांच की बात कर दोषियों पर कार्यवाई की बात भी कहने लगे.

 सूत्र बताते हैं की वन परिक्षेत्र अधिकारी और वनरक्षक ईट भट्टों के मालिकों के साथ मिलकर ठेकेदारी कर रहे हैं. पर सवाल यह है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो क्या होगा. ऐसे हालात रहे तो जंगल नष्ट होते देर नहीं लगेगी. कोविड-19 के इस दौर में जहां ऑक्सिजन के लिए लोग परेशान हैं ऐसे में अवैध कटाई पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए.

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