MP के स्वास्थ्य मंत्री का रेमडिसिविर इंजेक्शन पर बड़ा बयान, कही यह बात
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MP के स्वास्थ्य मंत्री का रेमडिसिविर इंजेक्शन पर बड़ा बयान, कही यह बात

स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. 

प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मध्य प्रदेश (फाइल फोटो)

दमोहः मध्य प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण का असर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी पड़ रहा है. प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी हो गई है. ऐसे में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दमोह पहुंचे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को लेकर बड़ा बयान दिया. 

प्रदेश में नहीं होगी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी
स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि पूरे प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. प्रदेश सरकार ने पचास हजार इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों में तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. जबकि तीस हजार इंजेक्शन का स्टॉक निजी अस्पतालों में भी उपलब्ध करवाया गया है. ताकि कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर का पर्याप्त डोज मिल सके. 

मेडिकल स्टोर्स पर नहीं मिलेगा रेमडेसिविर इंजेक्शन
वहीं प्रदेश सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर बड़ा निर्देश दिया है. अब मध्य प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन मेडिकल स्टोर्स पर नहीं बेचा जा सकेगा. केवल कोविड अस्पतालो में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन मिलेगा. जबकि अब कोरोना मरीजों को  रेमडेसिविर इंजेक्शन विषय विशेषज्ञ की निगरानी और उनकी सलाह पर ही लगाया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा भी कोरोना में जो दवाइयां कारगर साबित हो रही है. उन्हें मरीजों को दिया जाएगा. 

प्रदेश में नहीं है ऑक्सीजन की कमी 
वहीं प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि  प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई करवाई जा रही है. मंत्री ने कहा कि भिलाई के प्लॉट से ऑक्सीजन के लिए करार किया गया है. इसलिए अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी. 

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क्या है रेमडिसिविर
रेमडिसिविर दवाई की खोज अमेरिका की एक कंपनी ने हेपेटाइटिस के इलाज के लिए की थी. बाद में इबोला वायरस के खिलाफ भी यह दवाई काफी कारगर पाई गई. अब कोरोना महामारी में भी जब कोरोना मरीजों पर इस दवाई का इस्तेमाल किया गया तो कोरोना संक्रमण में भी यह दवाई प्रभावी निकली. यह दवाई शरीर में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकती है. बीते दिनों डब्लूएचओ ने भी कोरोना के इलाज के लिए रेमडिसिविर दवाई के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. जिसके बाद से भारत में भी इसकी मांग बढ़ गई है.

क्यों बढ़ी रेमडिसिविर की मांग 
एक रिपोर्ट के अनुसार, रेमडिसिविर दवाई सिर्फ डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन पर ही खरीदी जा सकती है. कोरोना की देश में पहली लहर के दौरान सिर्फ 15-20 मरीजों को ही रेमडिसिविर के इंजेक्शन दिए गए लेकिन दूसरी लहर में यह आंकड़ा बढ़कर 80 फीसदी के करीब पहुंच गया है. रिपोर्ट के अनुसार, स्टैंडर्ड प्रोटोकोल के मुताबिक यह दवाई इतनी इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए लेकिन निजी अस्पतालों के डॉक्टर इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. यही वजह है कि देश में अचानक से इस दवाई की डिमांड काफी बढ़ गई है और शॉर्टेज की वजह से इसकी कालाबाजारी हो रही है.

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