मुस्लिम परिवार ने शादी के कार्ड पर छपवाया 'श्री गणेशाय नम:', समाज में दिया अनोखा संदेश
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मुस्लिम परिवार ने शादी के कार्ड पर छपवाया 'श्री गणेशाय नम:', समाज में दिया अनोखा संदेश

यूसुफ का कहना हैं कि जब बादल भेदभाव नहीं करता, वो हिंदू और मुस्लिम दोनों ही बस्तियों में पानी बरसाता है तो हम इंसानों में भेदभाव कहां से आ गया? 

शादी का कार्ड

गुना: गुना में सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली. यहां एक मुस्लिम परिवार के लिए अपने बेटे की शादी के निमंत्रण पत्र पर  'ईश्वर-अल्लाह के नाम से हर काम का आगाज करता हूं, उन्हीं पर है भरोसा, उन्हीं पर नाज करता हूं' छपवाई हैं. शादी के कार्ड पर एक तरफ हिंदुओं के प्रथम पूज्य भगवान गणेश तो दूसरी तरफ 786 अंकित है.

बता दें कि गुना जिले की कुंभराज तहसील के मृगवास कस्बा निवासी यूसुफ खां ने शादी के कार्ड उन्होंने हिंदू मित्रों के छपवाएं है, जिसपर श्री गणेशाय नम: और मंगल परिणयोत्सव भी लिखा हुआ है जबकि मुस्लिम रिश्तेदारों के लिए उर्दू भाषा वाले कार्ड छपवाएं गए है. अब यह शादी के कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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ये राह नहीं थी आसान
यूसुफ का कहना हैं कि जब बादल भेदभाव नहीं करता, वो हिंदू और मुस्लिम दोनों ही बस्तियों में पानी बरसाता है तो हम इंसानों में भेदभाव कहां से आ गया? हालांकि साम्प्रदायिक सद्भाव के रास्ते पर चल रहे युसूफ का सफर इतना आसान भी नहीं है. उनका कहना हैं कि जबसे यह कार्ड उन्होंने बांटना शुरु किया कुछ रिश्तेदारों का दबाव आ रहा है. कई लोगों ने लड़की वालों पर भी रिश्ता तोडऩे का दबाव बनाया है. ऐसे में उन्होंने एक अच्छा काम किया है, जब आगे अल्लाह की मर्जी.

विधायक लगाती है भाईदूज पर तिलक
कस्बे की विधायक रहीं ममता मीणा भाईदूज पर उन्हें तिलक लगाती हैं. उनकी पत्नि हर साल मीणा समुदाय के कई पुरुषों को राखी बांधती हैं. उनके आसपास के 40-50 हिंदू परिवारों से नाता है. 

पिता रामायण कुरान दोनों पढ़ते थे
बुधवार को बड़े धूमधाम से इरफान दूल्हा बनकर निकाह करने के लिए पहुंचे. जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग शामिल हुए. यूसुफ खां का कहना है कि बचपन में उन्होंने गांव के गायत्री मंदिर में पढ़ाई की, तो पिता हुस्न खां रामायण और कुरान दोनों ही पढ़ते थे. उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए कार्ड वितरित किए है.

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गायत्री मंदिर में किया संस्कृति अध्ययन
यूसुफ खां का कहना है कि बचपन में वह गांव के गायत्र मंदिर में जाते थे, उन्होंने करीब 10 साल तक यहां पढ़ाई की है. पिता ने ही उन्हें हिंदू-मुस्लिम के बीच प्रेम और सौहार्द के रिश्ते की राह दिखाई. हम हिंदू और मुस्लिम दोनों की संस्कृतियों का बराबर सम्मान करते है. हमने कभी भेदभाव महसूस नहीं किया. इलाके में माता रानी कार्यक्रम हो या झांकी बनाना मैं सब में हिस्सा लेता हूं.

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