अंग्रेजों के जमाने से सागर जिले के नाम की स्पेलिंग को लेकर अब तक चल रहा भ्रम दूर करने के लिए जिला योजना समिति की बैठक में सहमति बन गई है.
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सागर: अंग्रेजों के जमाने से सागर जिले के नाम की स्पेलिंग को लेकर अब तक चल रहा भ्रम दूर करने के लिए जिला योजना समिति की बैठक में सहमति बन गई है. बैठक में सागर रेलवे स्टेशन का नाम अब सागौर के नाम से सागर करने पर प्रभारी मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने सहमति दी है. इसके बाद यह प्रस्ताव भोपाल मंत्रालय भेजा जाएगा और यहां अन्य कागजी कार्रवाई होने के बाद नाम बदलने का निर्णय लिया जाएगा. जिसके बाद अब सागर जिले में आने लोगों को ट्रेन सर्च करने और टिकिट लेने में काफी राहत मिलने जा रही है.
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दरअसल अभी सागर रेलवे स्टेशन का नाम सौगर (saugor) लिखा जाता है. जिससे ज्यादात्तर लोग सही स्पेलिंग नहीं लिख पाते और उन्हें ट्रेन सर्च करने में दिक्कत होती है. इस मामले को जिला योजना समिति की बैठक में रखा गया था जिले के प्रभारी मंत्री अरविंद भदौरिया ने नाम को बदलकर सागर करने के निर्देश दिए है.
रिजर्वेशन के समय होती दिक्कतें
बता दें कि जब भी ट्रेन में रिजर्वेशन कराने जाओ या फिर सेना से जुड़े कामकाज हो तो उसमें सागौर बोला व लिखा जाता है, जिससे रिजर्वेशन के समय परेशानी होती है. रेलवे में अब भी (saugor) लिखा जाता है, जबकि मप्र शासन के पत्राचार में सागर ही लिखा जाता है.
सौ गढ़ के कारण पड़ा सागर नाम
जिले के इतिहासकारों का कहना है कि ब्रिटिश काल में अंग्रेज अपनी बोली के अनुसार सागर को सागौर बोलते थे और अंग्रेजी में पहली बार उन्होंने ही सागौर लिखा जिसे मान्य किया गया. रेलवे स्टेशन से जुड़े दस्तावेजों में भी उन्होंने अपने हिसाब से यही स्पेलिंग बनाई है जिसे मान्य कर दिया गया.
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डॉक्टरों का सम्मान किया
वहीं प्रभारी मंत्री ने जिले में कोरोना की समीक्षा के साथ विभिन्न विकास कार्यों का भूमिपूजन भी किया साथ ही मंत्री जी सागर विधायक शैलेन्द्र जैन द्वारा आयोजित चिकित्सक सम्मान समारोह में भी शामिल हुए. जहां कोरोना महामारी के दौरान सेवा देने वाले लगभग 200 से ज्यादा डॉक्टरों का सम्मान किया गया. पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रभारी मंत्री ने कहा जितना पैसा पूरे मध्यप्रदेश में किसी जिले जिले को नहीं मिला उतना पैसा सागर को मिला.
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