कई लोगों में भ्रम है कि आंखों पर यह चश्मा लगा लेने से ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है.
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रतलाम: कोरोना कि दूसरी लहर से अभी कुछ राहत मिलना शुरू हुई लेकिन अब ब्लैक फंगस के खतरे ने लोगों को डरा दिया है. आखों को नुकसान पहुंचाने वाली यह बीमारी अब लोगों के डर का कारण बन रही है. वहीं इसकी जानकारी के अभाव में लोग आंखों पर लैब गॉगल्स ( लैब में इस्तेमाल होने वाला चश्मा) लगाने लगे है. लोगों में भ्रम है कि आंखों पर यह चश्मा लगा लेने से ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है.
आंखों पर लैब गॉगल्स लगा रहे लोग
रतलाम में भी लोग अब ब्लैक फंगस को लेकर घबराए हुए हैं. लगातार सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मिल रही जानकारी के बाद लोगों को लगता है कि यह आंख में होने वाली बीमारी है. इसलिए अब कई लोग आंखों पर लैब गॉगल्स ( चश्मा) लगाने लगे है. लोगों को लगता है कि ब्लैक फंगस से बचने के लिए आंखों को धूप और धूल से भी बचाना है. इसलिए कई लोग अब डर के कारण आखों पर लैब चश्मा लगाकर आंखों को इस ब्लैक फंगस बीमारी से बचाने की कोशिश कर रहे है.
डॉक्टर की सलाह
लेकिन दरअसल यह बीमारी भी कोरोना कि तरह ही नाक और मुंह से हमारे शरीर मे जाती है. मेडिकल कॉलेज में डॉ अवनी दुबे ने बताया कि कोविड से ठीक हुए हर मरीज को इससे डरने की जरूरत नहीं है. जरूरी नहीं की कोविड हुआ है तो ब्लैक फंगस भी होगा. ब्लैक फंगस पहले मुंह और नाक के जरिये शरीर में जाता है. इसके बाद वह आंखों तक पहुंचता है, ब्लैक फंगस में आंखे बाहर आ जाती है. पलके झुक जाती हैं. ये ब्लैक फंगस की बड़ी पहचान है इसके अलावा पानी आना और खुजली होना ये सामान्य गर्मियों में होने वाले कारण है इससे घबराए नहीं.
पहले होगा चेकअप
रतलाम मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस को लेकर ओपीडी शुरू हो गयी है. यहां पहले नाक और आंखों की जांच की जाएगी. इसके बाद जरूरत पड़ने पर MRI कराई जाएगी और इलाज शुरू होगा.
दवाईयां फिलहाल मौजूद नहीं
वहीं मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता का कहना है कि हमने 10 बेड का एक वार्ड तैयार कर लिया है. एक डॉक्टर्स की टीम भी तैयार की है. जिसमें नाक आंख के डॉक्टर्स भी है. इसके अलावा डेंटिस्ट, एनेस्थीसिया व सर्जन भी इसमे शामिल है. लेकिन दवाईयां फिलहाल मौजूद नहीं है.
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