शराब पर सियासतः BJP नेता का बयान, ''अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे, मैंने खुद मृत्युजंय में पढ़ा है''
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शराब पर सियासतः BJP नेता का बयान, ''अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे, मैंने खुद मृत्युजंय में पढ़ा है''

चौधरी मुकेश चतुर्वेदी मध्य प्रदेश बीजेपी में प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार ग्वालियर पहुंचे थे. इस दौरान जब उनसे प्रदेश में शराब दुकानें बढ़ाए जाने के मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि "शराब शुद्ध मिलना चाहिए और इसे सीमा में पियें, ये आत्म अनुशासन तो व्यक्ति को खुद को बनाना पड़ेगा". क्योंकि यह सब काम पुरातन काल से होते चले आ रहे हैं. बस इसे सही समय सीमा में लेना चाहिए. 

सांकेतिक तस्वीर

ग्वालियरः मध्य प्रदेश में शराब के मुद्दे पर जमकर घमासान मचा हुआ है. प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के शराब की दुकानें बढ़ाए जाने के बयान से शुरू हुआ यह मामला अब महाभारत के युद्ध तक पहुंच गया है. शराबबंदी को लेकर बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने विवादित बयान दिया है. उनका कहना है, ''अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे. मैंने खुद मृत्युंजय में पढ़ा है. डसमें लिखा है कि जब महाभारत के युद्ध की घोषणा हुई तो आयुध और शराब के उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया गया था. इसलिए यह सब तो पुरातन काल से चला आ रहा है.''

''शराब पीने का अनुशासन तो व्यक्ति को खुद को बनाना पड़ेगा''
दरअसल, चौधरी मुकेश चतुर्वेदी मध्य प्रदेश बीजेपी में प्रदेश उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार ग्वालियर पहुंचे थे. इस दौरान जब उनसे प्रदेश में शराब की दुकानें बढ़ाए जाने के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ''शराब शुद्ध मिलना चाहिए और इसे सीमा में पियें. आत्म अनुशासन तो व्यक्ति को खुद बनाना पड़ेगा. क्योंकि यह सब काम पुरातन काल से होते चले आ रहे हैं. बस इसे सही समय सीमा में लेना चाहिए.''

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प्रदेश में चल रहा शराब की दुकानें बढ़ाने के मुद्दे पर घमासान
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए प्रदेश में वैध शराब के दुकानों की संख्या बढ़ाए जाने की बात कही थी. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में नई शराब की दुकानें खोलने पर सहमति नहीं दी. सीएम शिवराज ने कहा कि शराब माफिया को खत्म करना सरकार का उद्देश्य है.

उमा भारती ने जेपी नड्डा से की बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी की अपील
इस बीच सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी शराब की नई दुकानें खोलने का विरोध किया. उन्होंनेने एक बाद एक आठ ट्वीट करते हुए शराबबंदी पर अपनी राय दी. उमा भारती ने लिखा, ''मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि देश के जिन.जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए.''

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उमा भारती ने तर्क दिया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के समय लगभग शराबबंदी की स्थिति रही. इससे यह तथ्य स्पष्ट हो गया कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई, लेकिन शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा. कानून व्यवस्था को मेंटेन करने के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं, इसलिए समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शराबबंदी एक महत्वपूर्ण कदम है. इस पर एक डिबेट शुरू की जा सकती है. शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है. राजस्व बढ़ाने के कई अन्य उपाय हैं.

आबकारी आयुक्त के निर्देश को सीएम ने किया खारिज
इस बीच 21 जनवरी की रात प्रदेश के आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर शराब की नई दुकानें खोलने के बारे में प्रस्ताव मांगा था. आबकारी आयुक्त ने अपने पत्र में कलेक्टरों से कहा था कि आप नई दुकानें खोलने के लिए जो प्रस्ताव भिजवाएं, उनमें ऐसे गांवों को अनिवार्य रूप से शामिल करें जिनकी आबादी 5000 या अधिक है और वहां पहले से शराब की दुकान नहीं है.

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आबकारी आयुक्त के इस पत्र के बाद शिवराज सरकार की मंशा पर फिर सवाल उठने लगे. हालांकि मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद आबकारी आयुक्त राजीव चन्द्र दुबे ने शराब की दुकानें बढ़ाने के लिए कलेक्टरों से मांगे गए प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया.आबकारी आयुक्त ने सभी कलेक्टरों  को ई.मेल भेज कर इसे मोस्ट अर्जेंट बताते हुए प्रस्ताव को निरस्त करने के लिए कहा.

शराबंदी के लिए राजनीतिक साहस की जरूरतः उमा भारती
21 जनवरी को ट्वीट के बाद 22 जनवरी को उमा भारती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शराबबंदी के मुद्दे पर फिर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों को शराब बंदी का प्रस्ताव दिया था. इस मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान से भी बात की थी. स्वस्थ समाज का निर्माण सरकार की जिम्मेवारी है. शराबबंदी के लिए राजनीतिक साहस की जरूरत होती है. इस मुद्दे पर मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात करूंगी. वह साहसी हैं, यह निर्णय ले सकते हैं.

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