3 वर्षो से बंद पड़े MCL ग्लोबल ऑक्सीजन प्लांट को महज 4 दिनों में ही शुरू कर दिया गया.
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कमल सिंह/धार: कहते हैं दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई सा भी काम असंभव नहीं होता, हर कार्य को किया जा सकता है. ऐसा ही करिश्मा देखने को मिला धार के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में. जहां पर 3 वर्षो से बंद पड़े MCL ग्लोबल ऑक्सीजन प्लांट को महज 4 दिनों में ही शुरू कर दिया गया. इस प्लांट को शुरू करने के लिए वैसे तो 90 दिनों का समय लगता परंतु कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए और जिस प्रकार से ऑक्सीजन की कमी से लोगों की जान जा रही है. उसको देखते हुए 150 लोगों की टीम ने 4 दिन तक 24 घंटे काम करते हुए इस असंभव कार्य को संभव कर दिया.
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बता दें कि एक तरफ जहां देश भर से ऑक्सीजन की कमी की खबरें सामने आ रही और लगातार कोरोना संक्रमित मरीज ऑक्सीजन की कमी से भी दम तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं सरकार भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के हर संभव प्रयास कर रही है. ऐसे में बंद पड़े हुए प्लांटो को भी दृढ़ इच्छाशक्ति से शुरू किया जा सकता है. इसका ताजा उदाहरण धार के पीथमपुर में देखने को मिला.
40 टन ऑक्सीजन रोज मिलने लगेगी
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर 3 में तीन साल से बंद पड़े MLC ग्लोबल ऑक्सीजन प्लांट को शुरू किया. 24 घंटे की कड़ी मेहनत ओर एकेविन के अधिकारियों की मदद से करीब 40 टन ऑक्सीजन प्रतिदिन अब प्रदेशवासियों को मिलेगा. प्लांट को शुरू करने में मुख्य भूमिका जिला प्रशासन और उद्योग विभाग की भूमिका रही. मुंबई से ऑक्सीजन मीटर और अहमदाबाद से दूसरी मशीनें मंगवाई गईं.
प्लांट हेड निर्मल कुमार तोमर ने बताया कि पहली शुरुआत में प्लांट को ट्रायल किया गया है और अब मंगलवार से हम लोग ऑक्सीजन के करीब 3000 सिलेंडर प्रतिदिन देना शुरू कर देंगे. प्लांट में 24 घंटे जिला प्रशासन के अफसर तैनात रहेंगे ताकि 9 राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सके.
प्रदेश के लिए नज़ीर
प्रदेश में और देश में ऐसी कई इकाइयां है जो बंद पड़ी है. उन्हें ऐसे ही कड़ी मेहनत और काबिलियत से शुरू किया जा सकता है. जो काम धार जिले के पीथमपुर में महज 4 दिनों में हो सकता है. वह काम देश के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है. हमारे देश में संसाधनों की कमी नहीं है. अगर प्रशासनिक महकमा और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो किसी भी काम को आसानी से किया जा सकता है और इस महामारी से निपटा जा सकता है.