रिकॉर्ड 43 दिन में 2800 KM: पैर गंवाने पर भी नहीं हारी हिम्मत, साइकिल से तय किया कश्मीर से कन्याकुमारी का सफर
Advertisement
trendingNow1/india/madhya-pradesh-chhattisgarh/madhyapradesh825630

रिकॉर्ड 43 दिन में 2800 KM: पैर गंवाने पर भी नहीं हारी हिम्मत, साइकिल से तय किया कश्मीर से कन्याकुमारी का सफर

तान्या डागा इतनी लंबी यात्रा करने वाली देश की पहली महिला पैरा साइक्लिस्ट हैं. वह मध्य प्रदेश में राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर की रहने वाली हैं.

तान्या डागा

राजगढ़ः जिद और जुनून के जज्बे को साकार करती मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की 25 वर्षीय तान्या डागा. हादसे में अपना एक पैर गंवाने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पैरा एथलीट के रूप में जीवन आगे बढ़ाया. कुछ अलग करने की जिद लिए अपनी टीम के साथ तान्या ने 19 नवंबर को जम्मू कश्मीर से साइकिल पर सफर शुरू किया. 43 दिन तक साइकिल चलाने के बाद बीते 31 दिसंबर को उन्होंने कन्याकुमरी में अपना सफर पूरा किया. इतने कम समय में यह कारनामा करने वाली वह देश की पहली महिला पैरा साइक्लिस्ट बनीं.

fallback

एक्सीडेंट के बाद हुई ज्यादा पीड़ा

तान्या डागा राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर की रहने वाली है. 2018 में MBA की पढ़ाई के लिए वह देहरादून गईं, जहां एक कार एक्सीडेंट में उनका पैर कट गया. देहरादून से उन्हें इंदौर रेफर किया गया, जहां 2 सर्जरी भी हुई. लेकिन, कोई भी उनके जिंदा रहने की गारंटी नहीं दे रहा था. तान्या को इंदौर से दिल्ली शिफ्ट किया गया, जहां 6 महीने तक इलाज चला. इस दौरान हर सर्जरी पर उन्हें 3000 टांके लगाए जाते थे.

BSF ने भी किया तान्या को सम्मानित
एक पैर कटने के बाद तान्या आदित्य मेहता फाउंडेशन से जुड़ी और एक ही पैर से साइक्लिंग भी शुरू की. जो उनके लिए सबसे कठिन दौर रहा. वह बताती हैं कि साइकिल चलाने के दौरान पैर से कई बार खून आने लगता था. लेकिन हिम्मत नहीं हारी और 100 किलोमीटर साइक्लिंग की और टॉप-10 साइक्लिस्ट में जगह बनाई. फाउंडेशन के जरिए उन्हें बीएसएफ (Border Security Force) द्वारा आयोजित कश्मीर से कन्याकुमारी तक 'इन्फिनिटी राइड साइक्लिंग' के बारे में जानकारी मिली. 30 साइक्लिस्ट के इस ग्रुप में 9 पैरा साइक्लिस्ट थे. इतनी लंबी साइकिल यात्रा करने के लिए तान्या को BSF द्वारा सम्मानित भी किया गया.

यह भी पढ़ेंः-जज्बे को सलाम: सरकारी गाड़ी नहीं मिली, बारिश में भीगते 350KM बाइक चलाकर पहुंचाया बर्ड फ्लू सैंपल

पिता की गई जान, फिर पूरी की यात्रा
19 नवंबर को कश्मीर से 2800 किमी के सफर पर निकल चुकीं तान्या को यात्रा के बीच ही गहरा सदमा लगा. जब उन्हें पता चला कि 18 दिसंबर को अचानक उनके पिता आलोक डागा की मृत्यु हो गई. उस समय वह बेंगलुरु में थीं. पिता के पास पहुंचने पर उनके सामने विपदा खड़ी हो गई कि उनके पास रहें या यात्रा खत्म करें. परिवार वालों और कोच ने उनका हौसला बढ़ाया और राइड खत्म करने के लिए कहा. 25 दिसंबर को तान्या के कोच उन्हें राजगढ़ लेने पहुंचे. घर से वापस आकर उन्होंने यात्रा जारी रखी और उसे पूरा किया.

यह भी पढ़ेंः- ज्यादा सैलरी और अच्छे भविष्य के लालच में पहुंची थी सऊदी अरब, झेलनी पड़ीं यातनाएं, अब लौटी अपने वतन

वापसी पर हुआ भव्य स्वागत
यात्रा संपन्न कर देश और प्रदेश का नाम रोशन करने के बाद तान्या 5 जनवरी की शाम ब्यावरा पहुंचीं. जहां नगर में प्रवेश करते ही लोगों ने फूल मालाओं के साथ उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें बधाई दी. 

यह भी पढ़ेंः- मातृभाषा हिंदी के प्रेम ने 22 साल के कारपेंटर को बनाया Wikipedia एडिटर, 57 हजार पृष्ठों का संपादन किया

यह भी पढ़ेंः- जानिए, कौन हैं सैयद मुश्ताक अली? जिनके नाम पर खेली जाती है घरेलू टी-20 ट्रॉफी

यह भी पढ़ेंः- 100 'सुपर गर्ल्स': गरीब बेटियों को रतलाम पुलिस दे रही स्पेशल ट्रेनिंग, विभाग उठाएगा पूरा खर्च

WATCH LIVE TV

Trending news