अनोखी परंपराः कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए अष्टमी पर नगर पूजा, कलेक्टर ने देवी को चढ़ाई शराब
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अनोखी परंपराः कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए अष्टमी पर नगर पूजा, कलेक्टर ने देवी को चढ़ाई शराब

नरसिंहपुर कलेक्टर वेद प्रकाश के कोरोना संक्रमित होने की वजह से आईपीएस अधिकारी भरत यादव को कलेक्टर पद का दायित्व सौंपा गया है. 

देवी को चढ़ाया गया शराब का प्रसाद

उज्जैनः कोरोना महामारी के चलते पूरे प्रदेश में लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही है. ऐसे में एक तरफ जहां डॉक्टर लगातार लोगों के इलाज में जुटे हैं, तो दूसरी तरफ प्रार्थना का दौर भी चालू है. उज्जैन में अष्टमी के मौके पर एक पुरानी परंपरा का निर्वाहन किया गया. परंपरा के अनुसार उज्जैन के चौबीस खंभा माता मंदिर में आरती की गई और माता को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई गई. इस दौरान आरती में उज्जैन के कलेक्टर भी शामिल हुआ. 

राजा विक्रमादित्य के समय से शुरू हुई थी परंपरा 
दरअसल, चौबीस खंभा माता मंदिर में देवी को मदिरा चढ़ाने की परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से शुरू हुई थी. जिसका निर्वाहन आज भी चला आ रहा है. जिला प्रशासन इस परंपरा को निभाता है. मान्यता है की मंदिर में माता को मदिरा का भोग लगाने से इस महाप्रकोप से बचा जा सकेगा. इस दौरान करीब 40 मंदिरों में शराब का भोग लगाया गया. 

कलेक्टर ने चढ़ाया मदिरा का प्रसाद 
लगभग 27 किमी लंबी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाता है. सुबह से प्रारंभ होकर यह यात्रा शाम तक खत्म होती है. यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध माता मंदिर 24 खंभा माता मंदिर से प्रारंभ होकर ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है. इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है जिसमें नीचे छेद होता है जिससे पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है जो टूटती नहीं है. महामारी से बचने के लिए माता को खुश कर कलेक्टर ने माता को शराब का भोग लगाया और शहर को महामारी से बचाने का आशीर्वाद लिया . 

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जानिए इस पूजा का इतिहास और महत्व 
उज्जैन में कई जगह प्राचीन देवी मंदिर है, जहां नवरात्रि में पाठ-पूजा का विशेष महत्व रहता है. नवरात्रि में यहां काफी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं. इन्हीं में से एक है चौबीस खंभा मंदिर. कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में प्रवेश करने और वहां से बाहर की ओर जाने का मार्ग चौबीस खंभों से बनाया गया था. इस द्वार के दोनों किनारों पर देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाएं स्थापित है. सम्राट विक्रमादित्य ही इन देवियों की आराधना किया करते थे. उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर यहां शासकीय पूजन किये जाने की परंपरा चली आ रही है.

उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार है. नगर रक्षा के लिये यहां चौबीस खंभे लगे हुए थे, इसलिये इसे चौबीस खंभा द्वार कहते हैं. यहां महाअष्टमी पर शासकीय पूजा तथा इसके पश्चात पैदल नगर पूजा इसलिए की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सके और महामारी से बचाए. कोरोना के चलते इस बार भी जिला प्रशासन ने इस बार इस परंपरा को निभाया गया. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड के सभी नियमों का पालन किया गया.

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