Valentine Day 2024: अमर प्रेम की कहानी का साक्षी है मांडू, बादशाह अकबर को भी हुआ था पछतावा
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Valentine Day 2024: अमर प्रेम की कहानी का साक्षी है मांडू, बादशाह अकबर को भी हुआ था पछतावा

Valentine Day 2024: 14 फरवरी को भले ही लोग वैलेंटाइन डे पर अपने प्यार का इजहार करते हैं. लेकिन सदियों पहले जब यह वैलेंटाइन डे नहीं था, तब भी लोग प्यार के एहसास से अछूते नहीं थे. एक ऐसी कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

 

Valentine Day लव स्टोरी

Valentine Day 2024: मध्य प्रदेश की खूबसूरत नगरी मांडू (mandu) अपने सुंदरता के लिए जानी जाती है. जहां पहुंचते ही पर्यटकों को बेहद सुखद अनुभव का आनंद मिलता है. खास बात यह है कि यह शहर केवल पर्यटन के लिए अपनी पहचान नहीं रखता, बल्कि यह शहर प्यार की ऐसी दर्द भरी दास्तां का गवाह भी है, जिससे रूबरू होते ही इंसान बोल उठता है, वाह मोहब्बत हो तो ऐसी. ये कहानी है राजा बाज बहादुर (Baaz bahadur) और रानी रूपमती (roopmati) के इश्क की, जो जीते जी तो एक दूसरे हो न सके, लेकिन फिर भी इनका प्यार इतिहास के पन्नों में आज भी अमर है. 

रानी रूपमती की नगरी मांडू 

विंध्य की खूबसूरत पहाड़ियों पर बसें मांडू को रानी रूपमती का शहर कहा जाता है, जहां पहुंचते ही आप हिंदुस्तान में घटी इश्क की सबसे खूबसूरत लेकिन दर्द भरी दास्तानों में से एक से रूबरू होता है. खास बात यह है कि आमतौर पर कोई भी शहर राजाओं और बादशाहों के नामों से पहचाना जाता है. लेकिन मांडू को रानी रूपमती का शहर शायद इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि राजा बाज बहादुर ने इस नगरी में जो खूबसूरत महल बनवाए, उनकी प्रेरणा उसे रानी रूपमती से ही मिली थी. यह महल आज भी दोनों को इश्क की गवाही खुद ब खुद बताते हैं कि रूपमती और बाज बहादुर एक दूसरे से कितना प्यार करते थे. 

इस तरह शुरू हुई थी दोनों की प्रेम कहानी 

मांडू में रहने वाली रूपमती अपने नाम के अनुरूप ही थी. जो न केवल सुंदर थी बल्कि गायन, वादन की कला में भी बहुत निपुण थी. राजा बाज बहादुर ने जब पहली बार रूपमती को देखा तो वे उसे दिल दे बैठे, उन्होंने रूपमती के सामने अपने इश्क का इजहार किया और दोनों एक दूसरे के हो गए. दोनों एक दूसरे से इतना प्यार करते थे, बिन बोले ही वे उनेक दिलों की बात समझ लेते थे. इसलिए राजा बाज बहादुर अपनी रानी की हर इच्छा का ध्यान रखते थे. 

रानी के लिए 3500 फीट की ऊंचाई पर बनवाया किला 

राजा बाज बहादुर ने रानी रूपमती के लिए मांडू में 3500 फीट की ऊंचाई पर एक किला बनवाया, जो आज भी यहां मौजूद है. इस किले के निर्माण के पीछे की खास वजह यह थी कि रानी रूपमती हर दिन स्नान के बाद सबसे पहले मां नर्मदा के दर्शन करती थी. इसलिए बाज बहादुर ने उनके लिए ऐसा महल तैयार करवाया जहां से रानी को हर वक्त नर्मदा के दर्शन होते रहे.  रानी रूपमती के किले से मांडू जगह की सारी खूबसूरत वादियां नजर आती थीं और वो खूबसूरत वादियां ऐसी थीं कि जो रानी रूपमती की सुन्दरता को और बढ़ा देती थीं. 

जब अकबर के पास पहुंची रूपमती के सुंदरता की खबर 

राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती का प्यार खुशी-खुशी बीत रहा था. लेकिन कहते हैं कि अच्छे और सच्चे प्यार को हमेशा किसी न किसी की नजर लग जाती है. कुछ ऐसा ही इन दोनों के साथ भी हुआ.  गीत-संगीत के अपने हुनर के चलते रूपमती के चर्चें दूर-दूर तक फैले हुए थे. जब इस बात की जानकारी मुगल बादशाह अकबर तक पहुंची उसने बाज बहादुर से रानी रूपमती को दिल्ली दरबार में भेजने की बात कही. जैसे ही इस बात की जानकारी बाज बहादुर को लगी तो उन्होंने रानी को दिल्ली भेजने से इंकार कर दिया. 

आदम खान से भिड़ गए बाज बहादुर 

रूपमती को भेजने से जब बाज बहादुर ने इंकार कर दिया तो यह बात बादशाह अकबर को नागवार गुजरी, अकबर ने अपने सेनापति आदम खान को आदेश दिया कि वह मांडू पर चढ़ाई कर बाज बहादुर को बंदी बनाकर और रानी रूपमती को लेकर उसके सामने पेश करें. आदम खान एक विशाल सेना लेकर मांडू पर चढ़ाई करने पहुंचा तो बाज बहादुर भी अपने प्यार के खातिर आदम खान से भिंड़ गए. लेकिन आदम खान की सेना के आगे बाज बहादुर ज्यादा देर तक टिक नहीं सके और आदम खान ने उन्हें बंदी बना लिया. 

रानी रूपमती ने कर ली आत्महत्या 

जैसे ही यह बात रानी रूपमती तक पहुंची कि बाज बहादुर बंदी बना लिए गए हैं और अकबर के सैनिक रूपमती को ले जाने के लिए महल की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में रानी रूपमती ने स्वयं को अकबर को सौंपने की जगह अपनी अंगूठी की हीरा निगल कर आत्महत्या कर ली. लेकिन आदम खान बाज बहादुर को बंदी बनाकर दिल्ली दरबार में ले गया. 

जब अकबर को हुआ पछतावा 

अकबर ने बाज बहादुर को कैद में डाल दिया. लेकिन जब उसे इस बात का पता चला कि बाज बहादुर के वियोग में रानी रूपमती ने आत्महत्या कर ली. जिसके बाद अकबर को अपने किये पर पछतावा हुआ, उसने बाज बहादुर को कैद से आजाद कर दिया. 

रूपमती की मजार पर बाज बहादुर ने दे दी जान 

अकबर की कैद से आजाद होकर बाज बहादुर रानी रूपमती की मजार पर पहुंचे और वही सिर सिर पटक-पटक कर उन्होंने खुद की जान दे दी. इस घटना के बाद बादशाह अकबर पूरी तरह से हिल गया, इतिहास कार बताते है कि इस घटना पर अकबर को बहुत पछतावा हुआ था.

मरकर एक दूसरे के हुए रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर 

इस घटना के बाद बादशाह अकबर ने दोनों की समाथि बनावाई, जहां बाज बहादुर के मकबरे पर लिखवाया 'आशिक-ए-सादिक' और रूपमती की समाधि पर 'शहीद-ए-वफा' लिखवाया गया. रानी रूपमती और बाज बहादुर एक-दूसरे के लिए बने थे, वे साथ जिंदा नहीं रह सके तो उन्होंने साथ-साथ जान दे दी, लेकिन उस वक्त का सबसे ताकतवर शहंशाह भी उनके प्यार को हरा नहीं सका. रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर के इश्क की यह दास्तां आज भी अमर है.  

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