मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने सवाल पूछा कि क्यों कोई पुलिसवाला अपने सीनियर के कहने पर किसी का भी मर्डर कर सकता है. कोर्ट बुधवार को एक सस्पेंड एसपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
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चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने बुधवार को सवाल पूछा कि क्यों कोई पुलिसवाला अपने सीनियर के कहने पर किसी का भी मर्डर कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि केवल 10 प्रतिशत पुलिस अधिकारी ही अपने विवेक के अनुसार काम कर रहे हैं. ऐसे में केवल भगवान ही पुलिस विभाग को बचा सकते हैं.
कोर्ट (Madras High Court) ने यह टिप्पणी निलंबित एसपी डी कन्नन को यौन उत्पीड़न के मामले से मुक्त करने की अपील वाली याचिका पर कही. इस मामले में कन्नन को दूसरे आरोपी के रूप में उद्धृत किया गया है. पहला आरोप एक निलंबित विशेष डीजीपी है. कन्नन के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने उस कार को रोका, जिसमें महिला एसपी 22 फरवरी को अपने अपने सीनियर के खिलाफ डीजीपी के पास शिकायत दर्ज कराने जा रही थीं.
जस्टिस वेलमुरुगन ने कहा, 'शर्म की बात है कि पुलिस विभाग में महिलाओं के साथ उस सम्मान के साथ व्यवहार नहीं किया जाता, जिसकी वे हकदार हैं.' इस पर कन्नन के वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने केवल अपने सीनियर के निर्देशों का पालन किया था. उन्होंने कहा कि सीनियर के आदेशों की अवहेलना अवज्ञा के समान होती है.
इस पर जस्टिस वेलमुरुगन नाराज हो गए. उन्होंने पूछा कि अगर कन्नन को हत्या करने के लिए कहा जाए तो वह ऐसा करेंगे. केवल वैध निर्देशों का पालन किया जा सकता है, उनके अवैध निर्देशों का पालन करने की जरूरत नहीं है.
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कोर्ट (Madras High Court) ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी ऐसे आरोपों का सामना करता है तो लोगों का विभाग पर भरोसा कैसे कायम रहेगा. केवल 10 प्रतिशत पुलिस अधिकारी ही अपने विवेक के अनुसार काम कर रहे हैं. इस तरह की घटनाएं सामने आना विभाग के लिए शर्म की बात है.
वकील ने याचिका खारिज होने की संभावना को देखते हुए अदालत से इसे वापस लेने की अनुमति मांगी. न्यायाधीश ने इसे खारिज करते हुए वापस लेने का निर्देश दिया.
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