उद्धव ठाकरे का विपक्ष को चैलेंज, बोले- हिम्मत है तो मेरी सरकार गिराओ; अयोध्या पर ये कहा
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उद्धव ठाकरे का विपक्ष को चैलेंज, बोले- हिम्मत है तो मेरी सरकार गिराओ; अयोध्या पर ये कहा

सीएम उद्धव ने कहा कि मेरी सरकार का भविष्य विपक्ष के हाथों में नहीं है. मेरी सरकार गरीबों का तीन पहिये का रिक्शा है, स्टेयरिंग मेरे हाथ में है लेकिन पीछे दो और लोग बैठे हैं.

उद्धव ठाकरे | फाइल फोटो

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने विपक्ष को जोरदार चुनौती देते हुए कहा कि जिस किसी को मेरी सरकार गिरानी हो वो आज ही गिराए, अभी इस इंटरव्यू के दौरान ही गिराए फिर मैं देखता हूं. सीएम उद्धव ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ को दिए इंटरव्यू में ये बात कही.

सीएम उद्धव ने कहा कि मेरी सरकार का भविष्य विपक्ष के हाथों में नहीं. मेरी सरकार गरीबों का तीन पहिये का रिक्शा है, स्टेयरिंग मेरे हाथ में है लेकिन पीछे दो और लोग बैठे हैं. हमें गठबंधन सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस ‘सकारात्मक’ हैं और महा विकास अघाड़ी सरकार को उनके अनुभव का फायदा मिल रहा है.

उन्होंने बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर मेरी सरकार तीन पहिये वाली है, ये सही दिशा में आगे बढ़ रही है तो आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है? जब हम आखिरी बार राजग की बैठक में शामिल हुए थे तो वहां एक ट्रेन की तरह 30 से 35 पहिये थे.

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इससे पहले महा विकास अघाड़ी सरकार की तुलना तीन-पहिया, ऑटो रिक्शा से करते हुए इसकी स्थिरता पर संदेह प्रकट किया था.

श्री राम मंदिर के भूमि पूजन में जाने के सवाल पर उद्धव ने कहा मैं इंसान के रूप में कुछ भी जवाब दे सकता हूं लेकिन राम मंदिर के संघर्ष में शिवसेना की भूमिका इतिहास में दर्ज है. मैं मुख्यमंत्री नहीं था उस समय भी राम मंदिर में गया था. असल में संयोग में मेरी श्रद्धा है.

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उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं 5 अगस्त को अयोध्या जाऊंगा. अब मैं मुख्यमंत्री हूं लेकिन मुख्यमंत्री नहीं था तब भी मुझे वहां मान-सम्मान सब कुछ मिला था. अब तो मैं मुख्यमंत्री हूं, मुझे सुरक्षा मिलेगी. मैं सही से जाऊंगा और पूजा-अर्चना करके कार्यक्रम में सहभागी होकर वापस आऊंगा. राम मंदिर को लेकर शिवसेना की भूमिका में बदलाव का सवाल ही नहीं है. राम मंदिर हमारी भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है. शिवसेना ने राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त किया ये इतिहास कहता है.

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उन्होंने आगे कहा कि मेरी भावना यही कहती है कि नवंबर, 2018 में पहली बार मैं राम मंदिर में गया था. मैं वहां शिवाजी महाराज की जन्मभूमि की एक मुठ्ठी मिट्टी लेकर गया था. उसके बाद इस मुद्दे को काफी गति मिली, उससे पहले यह विषय ठंडा पड़ा था. किसी ने कोई विषय ही नहीं निकाला था, शिवसेना ने शुरुआत की. अगर समय लगता है तो कानून बनाओ, सरकारी आदेश जारी करो जो आवश्यक हो करो लेकिन राम मंदिर बनाओ.

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