महाराष्ट्र: चौथी क्लास के छात्र ने स्वर्गवासी पिता पर लिखा ऐसा निबंध, पढ़कर टीचर के निकले आंसू
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महाराष्ट्र: चौथी क्लास के छात्र ने स्वर्गवासी पिता पर लिखा ऐसा निबंध, पढ़कर टीचर के निकले आंसू

महाराष्ट्र के बीड जिले के वालकेवडी गांव में रहने वाले मंगेश वालके के पिता का कुछ दिन पहले निधन हो गया.

महाराष्ट्र: चौथी क्लास के छात्र ने स्वर्गवासी पिता पर लिखा ऐसा निबंध, पढ़कर टीचर के निकले आंसू

लक्ष्मीकांत रुईकर, बीड: महाराष्ट्र (Maharashtra) के बीड में चौथी कक्षा के मासूम बच्चे ने अपने स्वर्गवासी पिता पर ऐसा निबंध लिखा है जिसे पढ़कर आप भी भावुक हो जाएंगे. छोटी उम्र में सिर से पिता का साया उठने का दुख क्या होता है इस मासूम बच्चे की चिट्ठी में ये साफ झलक रहा है. दरअसल, महाराष्ट्र के बीड जिले के वालकेवडी गांव में रहने वाले मंगेश वालके के पिता का कुछ दिन पहले निधन हो गया. उसके पिता को टीबी की बीमारी थी. मंगेश अपनी दिव्यांग मां के साथ रहता है. मंगेश के सिर से पिता का साया उठ गया है और उसके घर में अब कमाने वाला कोई नहीं है.  मासूम बच्चे का दर्द उसके निबंध में साफ झलक रहा है. 

मंगेश वालकेवाडी की चौथी कक्षा में बढ़ता है. स्कूल टीचर ने उसे 'मेरे पिता' विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा. बच्चे ने निबंध में अपनी आपबीती लिख दी जिसे पढ़कर टीचर नजमा शेख के आंसू निकल गए. 

मंगेश द्वारा मराठी में लिखे गए निबंध का अनुवाद

''मेरा नाम मंगेश परमेश्वर है. मेरे पापा का नाम परमेश्वर वालके था. मेरे पापा को टीबी की बीमारी थी इसलिए मेरी मां ने मुझे मामा के गांव भेज दिया था. मेरे पापा की मौत हो गई. मेरे पापा मजदूरी का काम करते थे. मेरे पापा मेरे लिए खाने की चीजें लाते थे. मेरे लिए कॉपी-कलम लेकर आते थे. मुझे बहुत प्यार करते थे. मैं भी पापा को बहुत प्यार करता था. पर 18 दिसंबर को मेरे पापा मर गए. मेरी मां उस दिन बहूत रोई."

मंगेश ने आगे लिखा, ''मैं भी उस दिन बहुत रोया. उस दिन मेरे घर पर बहुत मेहमान आए थे. मेरे पापा बहुत दयालु थे. मेरे पापा कहते थे कि तुम पढ़-लिखकर बड़े साहब बन जाना. पापा घर पर नहीं हैं तो कोई किसी भी तरह की मदद नहीं करता. मुझे मेरे पापा की बहुत याद आती है. मुझे और मेरी मां को रात के समय चोरों के आने का डर लगता है. पापा तुम जल्दी वापस आ जाओ.''

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टीचर ने यह निबंध वॉस्टऐप ग्रुप पर शेयर किया और लोगों से मंगेश की मदद की अपील की. मंगेश की टीचर ने कहा कि मंगेश ने 'मेरे पिता' विषय पर निबंध लिखा जिसे पढ़कर मेरे आंखों से आंसू निकल आए. यह निबंध पिता की मौत के बाद उसकी मानसिक स्थिती बयां करती है.

मंगेश की दिव्यांग मां को 600 रुपए पेंशन मिलता है. मंगेश और उसकी दिव्यांग मां मिलकर अपने छोटे से खेत में काम करते हैं. मंगेश की मां का कहना है की पिता के निधन सें मंगेश दु:खी है. 18 दिसंबर को उसके पिता की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. 

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