स्पीकर के फैसले के बाद उद्धव के पास क्या हैं विकल्प.. विधानसभा का समीकरण भी समझ लीजिए
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स्पीकर के फैसले के बाद उद्धव के पास क्या हैं विकल्प.. विधानसभा का समीकरण भी समझ लीजिए

Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर के आदेश को उद्धव ठाकरे ने लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. फिलहाल उद्धव के पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही जाने का एक बड़ा विकल्प है.

स्पीकर के फैसले के बाद उद्धव के पास क्या हैं विकल्प.. विधानसभा का समीकरण भी समझ लीजिए

Speaker Decision Of Disqualification: महाराष्ट्र में आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से शिंदे सरकार को राहत मिली है. विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाया है कि शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही असली शिवसेना है. राहुल नार्वेकर ने करीब 105 मिनट तक आदेश को पढ़ते हुए शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की उद्धव ठाकरे गुट की याचिका भी खारिज कर दी है. इसका मतलब साफ हो गया है कि राज्य सरकार की स्थिति जस की तस बनी हुई है और उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है. अब यह जान लीजिए कि स्पीकर के फैसले के बाद उद्धव के पास क्या हैं विकल्प और विधानसभा का समीकरण भी जान लीजिए. क्योंकि समझने की जरूरत है कि उद्धव ठाकरे ने ऐसी क्या गलती कर दी, जिसके चलते ना वो पार्टी बचा सके और ना ही सरकार बचा सके.

फैसले को न्यायालय में देंगे चुनौती

दरअसल, महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर के आदेश को उद्धव ठाकरे ने लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट दिशानिर्देश दिए थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते समय उन्हें नजरअंदाज कर दिया है. उन्होंने कहा कि मूल मामला दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के बारे में था, लेकिन किसी भी पक्ष के एक भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया गया. उन्होंने कहा कि आदेश जिस आधार पर टिका है वह गलत है. यह लोकतंत्र की हत्या है और उच्चतम न्यायालय का अपमान है. ठाकरे ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी यह भी देखेगी कि क्या विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की जा सकती है.

शिवसेना यूबीटी ने बुलाई है बैठक 
फिलहाल उद्धव के पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही जाने का एक बड़ा विकल्प है. इस मामले को लेकर अब उद्धव ने मातोश्री में बैठक बुलाई है. सभी विधायक और सांसदों से बातचीत करने के बाद उद्धव ठाकरे कौन सा नया प्लान रखेंगे यह देखना महत्वपूर्ण रहेगा. फैसले पर संजय राउत ने कहा कि बीजेपी का षड्यंत्र रहा था कि शिवसेना का खत्म कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा. आज का फैसला न्याय नहीं, षड्यंत्र है. न्यायालय में हमराी लड़ाई जारी रहेगी. जिसने भी निर्णय दिया है, जिसने भी तालियां बजाई हैं, वो महाराष्ट्र के गद्दार हैं. शिवसेना खत्म नहीं होगी, दो-चार लोग दिल्ली में बैठे हैं, हम लड़ेंगे. हम जान भी दे देंगे.

प्रतिक्रियाओं का दौर जारी
सीएम शिंदे ने इसे सत्यमेव जयते कहा है. उधर एनसीपी-शरद पवार गुट के जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लिया गया निर्णय असंवैधानिक है. महाराष्ट्र की जनता को समझ आ चुका है कि वे पार्टियां और उनके नेताओं को खत्म करना चाहते हैं. तो ये महाराष्ट्र की जनता सहन नहीं करेगी. वहीं महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना शिंदे गुट नेता दीपक केसरकर ने कहा कि इस फैसले से लोकतंत्र मजबूत होगा. इस फैसले की सच्चाई यह है कि पार्टी में भी लोकतंत्र होना चाहिए. यह निर्णय बिल्कुल सही निर्णय है. उधर जैसे ही नार्वेकर ने आदेश पढ़ना समाप्त किया, मुख्यमंत्री शिंदे के समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया और पटाखे फोड़े. उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने साफ दोहराया कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ पार्टी उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी.

विधानसभा का समीकरण क्या है
फ़िलहाल इस फैसले का मतलब यह हुआ कि महाराष्ट्र सरकार की स्थिति फिलहाल जस की तस बनी रहेगी. महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय 286 विधायक हैं और बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 144 सीटों का है. उद्धव गुट ने चार ग्रुप में शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का नोटिस दिया था. लेकिन अब सीएम शिंदे समेत 16 विधायकों को योग्य मान लिया गया है. इसलिए बीजेपी किंगमेकर और एकनाथ शिंदे किंग बने रहेंगे, साथ ही अजीत पवार अपना समर्थन जारी रखेंगे.

फैसला पढ़ते हुए क्या बोले स्पीकर राहुल नार्वेकर, बड़े पॉइंट जान लीजिए 
- स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि दोनों पार्टियों, शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है. दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किया गया शिवसेना का संविधान यह निर्धारित करने के लिए शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है कि कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल है.

- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट के अनुसार दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं, तो उस मामले में किस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो संविधान प्रतिद्वंद्वी गुटों के उभरने से पहले दोनों पक्षों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था. आगे निष्कर्ष दर्ज करने से पहले यह दोहराना जरूरी है कि इस अयोग्यता की शुरुआत के अनुसार, महाराष्ट्र विधान सचिवालय ने 7 जून 2023 को एक पत्र लिखा था, जिसमें चुनाव आयोग कार्यालय से पार्टी संविधान/ज्ञापन/नियमों की एक प्रति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था.

- उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर नहीं जा सकता जिसके आधार पर संविधान मान्य है. रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं.

- अपने फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व संरचना पर दोनों दलों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. एकमात्र पहलू विधायक दल का बहुमत है. मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा.

- शिवसेना के असली गुट पर क्या बोले: राहुल नार्वेकर ने यह भी कहा कि मेरे सामने मौजूद साक्ष्यों और रिकॉर्डों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि 2013 के साथ-साथ 2018 में भी कोई चुनाव नहीं हुआ था. हालांकि, 10वीं अनुसूची के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाले अध्यक्ष के रूप में मेरा क्षेत्राधिकार सीमित है और मैं इससे आगे नहीं जा सकता. चुनाव आयोग का रिकॉर्ड जैसा कि वेबसाइट पर उपलब्ध है और इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है. इस प्रकार, उपरोक्त निष्कर्षों को देखते हुए, मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध 27 फरवरी 2018 के पत्र में प्रतिबिंबित शिवसेना की नेतृत्व संरचना प्रासंगिक नेतृत्व संरचना है. जिसे यह निर्धारित करने के उद्देश्य से ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कौन सा गुट है असली राजनीतिक दल है.

- नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. रिकॉर्ड के अनुसार मैंने वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है

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