गरीब बच्चों को पढ़ाने से शुरू हुआ सफर, अब रक्तदान कर जरूतरमंदों की मदद कर रहे ये युवा
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गरीब बच्चों को पढ़ाने से शुरू हुआ सफर, अब रक्तदान कर जरूतरमंदों की मदद कर रहे ये युवा

रक्तदान दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसे युवाओं से मिलवा रहे हैं जिन्होंने कैंसर पीड़ितों के लिए रक्तदान किया और लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित किया.

 

गरीब बच्चों को पढ़ाने से शुरू हुआ सफर, अब रक्तदान कर जरूतरमंदों की मदद कर रहे ये युवा

मुंबई: आज न जाने कितने लोगों की जान सिर्फ इस वजह से चली जाती है क्योंकि उन्हें जरूरत पर रक्त नहीं मिल पाता. अस्पतालों में किसी एक ब्लड ग्रुप की कमी के कारण मरीज की मृत्यु हो जाती है. ऐसे में रक्तदान कर जरूरतमंद की मदद की जा सकती है. आज रक्तदान दिवस के मौके पर हम आपको ऐसे ही कुछ लोगों से मिलवा रहे हैं जिन्होंने न सिर्फ गरीब और सुविधा से वंचित बच्चों को पढ़ाने और उन्हें नई जिंदगी देने का जिम्मा उठाया है बल्कि रक्तदान शिबिर लगाकर खुद रक्तरान किया और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया.

मुंबई के कांदिवली वेस्ट स्थित नर फाउंडेशन नाम का एनजीओ चलाने वाले ये लोग कोई रसूखदार नहीं हैं बल्कि कॉलेजों से पढ़ाई कर निकले युवा है. वह अपनी कमाई का कुछ हिस्सा एनजीओ को चलाने और समाज कार्य करने में लगाते हैं. बीते रविवार को इन युवाओं ने मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे कैंसर पीड़ितों के लिए ब्लड डोनेशन कैंप लगाया. एनजीओ के फाउंडर मेंबर मितेश राठोड ने बताया कि कैंप में करीब 200 लोगों ने 112 यूनिट खून दान किया. उन्होंने बताया कि रक्तदान करने आए कुछ लोगों को मेडिकल कारणों के चलते मना कर दिया गया. 

इस ब्लड डोनेशन कैंप को स्थानीय नेताओं और अन्य एनजीओ का भी सपोर्ट मिला. स्थानीय MLA योगेश सागर ने भी रक्तदान किया. उन्होंने कहा कि किसी की जान बचाने से बड़ा पुण्य काम और कोई नहीं हो सकता. रक्तदान ही महादान है.  

एनजीओ को चलाने वाले युवा स्टेशन के आस-पास भीख मांगने वाले गरीब और सुविधा से वंचित बच्चों को पढ़ाने से लेकर उन्हें स्कूल तक पहुंचाने का काम करते हैं. एनजीओ से जुड़ी दीक्षा केसरी बताती हैं कि बच्चों को पढ़ाई के लिए कॉपी-किताब के अलावा अन्य जरूरत के सामान भी एनजीओ द्वारा मुहैया कराए जाते हैं. इस छोटे से एनजीओ में बच्चों को शिक्षा से लेकर संगीत और योग तक की शिक्षा दी जाती है.  

दीक्षा यूं तो पेशे से इंटीरियर डिजाइनर हैं. लेकिन समाज कार्य में उनकी खास रूचि है. वह बताती हैं कि छुट्टी के दिन घूमने फिरने की बजाय इन सुविधा से वंचित बच्चों को पढ़ाने में उन्हें ज्यादा आनंद आता है. इतना ही नहीं यह संस्था नए साल, होली, दिवाली और क्रिसमस पर सड़कों पर जीवन बिताने को मजबूर बच्चों को गिफ्ट और मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाती है.

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