सेंट स्टीफेंस कॉलेज का कार्यक्रम रद्द होने पर ममता ने कहा-'मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता'
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सेंट स्टीफेंस कॉलेज का कार्यक्रम रद्द होने पर ममता ने कहा-'मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता'

ममता ने कहा,‘रद्द करने दीजिए. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. भगवान उन्हें बचाए. मेरा दिल्ली में कुछ अन्य कार्यक्रम भी है.’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटो साभार - IANS)

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को संकेत दिया कि नयी दिल्ली में सेंट स्टीफेंस कॉलेज में उनका कार्यक्रम रद्द करने के पीछे भाजपा का हाथ हो सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी के दौरे के दौरान उनका काफी व्यस्त कार्यक्रम है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि ईश्वर इसके लिए ‘उन्हें’ माफ करे. 

ममता ने कहा,‘रद्द करने दीजिए. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. भगवान उन्हें बचाए. मेरा दिल्ली में कुछ अन्य कार्यक्रम भी है.’ उनसे पूछा गया था कि मशहूर कॉलेज में उनका कार्यक्रम रद्द किया जाना क्या मुख्यमंत्री पद का अपमान है. 

'अपनी ही सरजमीं पर शरणार्थी बन गए हैं भारतीय नागरिक'
वहीं राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम मसौदे में 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं किए जाने के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वे ‘भारतीय नागरिक अपनी ही सरजमीं पर शरणार्थी हो गए हैं.’ ममता ने एनआरसी के अंतिम मसौदे की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ‘वोट बैंक की राजनीति’ कर रही है और ‘बांटो एवं राज करो’ की नीति अपना रही है.

बता दें कड़ी सुरक्षा के बीच आज एनआरसी का अंतिम मसौदा प्रकाशित किया गया. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ के नाम शामिल किए गए हैं.  बहरहाल, करीब 40.07 लाख आवेदकों के नाम एनआरसी के अंतिम मसौदे में शामिल नहीं किए गए हैं. एनआरसी को असमिया पहचान का सबूत करार दिया जा रहा है. 

ममता ने आरोप लगाया कि 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं करना ‘असम से बंगालियों को निकालने की कोशिश’ है. उन्होंने कहा, ‘मैं बंगालियों, बिहारियों और सभी के लिए लड़ रही हूं. वे पूरी तरह भारतीय हैं. मैं हर किसी के लिए लड़ रही हूं.’ दिल्ली रवाना होने से पहले ममता ने राज्य सचिवालय में पत्रकारों से कहा कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की कोशिश करेंगी. 

ममता ने कहा, ‘मैं दिल्ली में गृह मंत्री से मिलने का समय लेने की कोशिश करूंगी और इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहूंगी. मैं मीडिया के जरिए उनसे अपील करना चाहूंगी कि इन लोगों को बचाएं और सिर्फ वोट बैंक की खातिर उन्हें अलग नहीं करें.’ मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर ‘‘बांटो और राज करो’’ की नीति अपना रही है और ‘‘वोट बैंक की राजनीति’’ कर रही है. 

उन्होंने कहा, ‘यह साफ तौर पर वोट बैंक की राजनीति और चुनावी एजेंडा है. यह अलगाव यह देख कर किया जा रहा है कि भाजपा के लिए कौन वोट कर सकता है और कौन उनके लिए वोट नहीं कर सकता है.’ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने कहा कि केंद्र सरकार एक विधेयक लाकर असम में इतने लंबे समय से रह रहे लोगों का संरक्षण कर सकती है. उन्होंने कहा,‘संसद कानून में संशोधन कर सकती है या नया विधेयक ला सकती है ताकि इन लोगों को बचाया जाए.’ 

(इनपुट - भाषा)

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