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नई दिल्ली: करीब 45 साल पहले हुए विमान हादसे (Plane Crash) में जिस व्यक्ति की मौत की बात कही गई थी, वो जिंदा है और जल्द ही अपने परिवार से मिलने वाला है. भारतीय मूल के साजिद थुंगल (Sajid Thungal) ने 1974 में खाड़ी देश जाने के लिए अपना घर छोड़ दिया था, उस समय उनकी उम्र महज 22 साल थी. आज 70 साल के हो चुके साजिद अपने परिवार से मिलने के लिए बेताब हैं. उनके परिवार के सदस्यों के लिए भी यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि जिसे वह सालों से मृत मानकर चल रहे थे वह जिंदा है.
‘मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार, साजिद थुंगल (Sajid Thungal) मूल रूप से केरल के कोट्टायम के रहने वाले हैं. वह कमाई के लिए घर छोड़कर अबू धाबी (Abu Dhabi) में बस गए थे. उस वक्त उनके परिवार में चार बहनें, तीन भाई और माता-पिता थे. साजिद अबू धाबी में मलयालम फिल्मों की स्क्रीनिंग और भारत के कलाकारों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया करते थे. 1976 में साजिद ने कलाकारों की एक मंडली के साथ कुछ दिन भी बिताए थे, लेकिन फिर यह बताया गया कि एक विमान दुर्घटना में मंडली के सभी सदस्यों की मृत्यु हो गई है. जिसके बाद से साजिद के परिवार को उनकी कोई खबर नहीं थी.
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दरअसल, मुंबई से चेन्नई जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आग लगने की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. विमान में कुल 95 लोग सवार थे. 12 अक्टूबर, 1976 को बॉम्बे हवाई अड्डे पर इमरजेंसी लैंडिंग का प्रयास करते समय विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. माना जा रहा था कि साजिद भी हादसे का शिकार हुए, लेकिन वह कभी उस फ्लाइट में सवार ही नहीं हुए थे. हादसे के बाद वह परिवार को बिना कुछ बताए वापस अबू धाबी चले गए थे.
विमान दुर्घटना के लगभग छह साल बाद, साजिद अबू धाबी से भारत लौटे और मुंबई में छोटा व्यवसाय शुरू किया. हालांकि, अपने परिवार से संपर्क करने का साहस नहीं जुटा पाए. 2019 में उनकी मुलाकात पादरी केएम फिलिप से हुई, जो बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलाने का काम करते हैं. पादरी फिलिप ने बताया कि साजिद कई प्रकार के मनोवैज्ञानिक विकारों से जूझ रहे हैं, विमान दुर्घटना में साथियों की मृत्यु के बाद वह अवसाद में घिर गए थे. करीब दो साल तक साजिद ने पादरी केएम फिलिप को अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन कुछ हफ्ते पहले जब उन्होंने परिवार का जिक्र किया तो पादरी ने साजिद के घर का पता लगाने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता को केरल भेजा.
साजिद के घर और परिवार का पता चल गया है और वह जल्द ही उनसे मिलने वाले हैं. साजिद के पिता की 2012 में मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके बाकी परिवार वाले केरल में ही मौजूद हैं. साजिद ने कहा, ‘मैं घर जाना चाहता हूं. अगर मुंबई के लोगों ने मेरी देखभाल नहीं की होती, तो मैं अपने परिवार से मिले बिना ही मर जाता’. सामाजिक कार्यकर्ता ने जब वीडियो कॉल के जरिए साजिद की परिवार वालों से बात कराई, तो माहौल भावुक हो गया. उनके परिवार वालों को यकीन ही नहीं हुआ कि जिसे वह मृत मानकर चल रहे थे वह जिंदा है.