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Time Machine on Zee News: ज़ी न्यूज के खास शो टाइम मशीन में हम आपको बताएंगे साल 1978 के उन किस्सों के बारे में जिसके बारे में शायद ही आपने सुना होगा. इसी साल देश में इंदिरा गांधी के लिए एक प्लेन को हाईजैक किया गया था. ये वही साल था जब अविश्वास प्रस्ताव से पहली बार सरकार गिरी थी. 1978 ही वो साल था जब देश में पहली बार टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था. इसी साल 213 लोगों से भरा एक विमान जलमग्न हो गया था. इसी साल देश का पहला और सबसे बड़ा राजनैतिक सेक्स स्कैंडल सामने आया था. आइये आपको बताते हैं साल 1978 की 10 अनसुनी अनकही कहानियों के बारे में.
इंदिरा गांधी के लिए प्लेन हाईजैक
मार्च 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार बनने के बाद इंदिरा गांधी को दो बार जेल जाना पड़ा. पहली बार वो 16 घंटे के लिए जेल गई तो वहीं दूसरी बार 19 दिसंबर 1978 को जनता पार्टी सरकार ने उन्हें संसदीय विशेषाधिकार के हनन के आरोप में जेल भेज दिया. इसे लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच काफी गुस्सा दिखा. इंदिरा गांधी की रिहाई के लिए उत्तर प्रदेश के देवेंद्र पांडे ने भोला पांडे के साथ मिलकर फिल्मी स्टाइल में इंडियन एयरलाइंस के लखनऊ से दिल्ली जाने वाले विमान को हाइजैक कर लिया. विमान में 132 यात्री सवार थे. दोनों ने क्रिकेट बॉल को रुमाल से ढककर उसे बम बताते हुए यात्रियों की सांसें रोक दी थी. देवेंद्र पांडे और भोला पांडे विमान को हाइजैक कर वाराणसी ले गए और रास्ते में उन्होंने यात्रियों को बताया कि आखिर विमान को हाइजैक करने का उनका मकसद क्या है?
जनता पार्टी से बदला लेने की कोशिश
उन्होंने कहा, 'हम यूथ इंदिरा कांग्रेस के सदस्य हैं. इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करके जनता पार्टी ने बदला लेने की कोशिश की है. हम गांधीवादी हैं. हम अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले हैं, यात्रियों को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. बस हमारी मांगें पूरी होनी चाहिए.' विमान हाइजैक होने की खबर से पूरे देश में हडकंप मच गया. विमान हाइजैक करने वाले देवेंद्र पांडे और भोला पांडे ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव से बात करते हुए उनके सामने अपनी तीन शर्तें रखीं. उनकी पहली शर्त थी कि इंदिरा गांधी को रिहा किया जाए. दूसरी शर्त में उनकी तरफ से मांग की गई कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस हों. उनकी तीसरी मांग थी कि इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने वाली जनता पार्टी की सरकार इस्तीफा दे. मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के समझाने के बाद दोनों ने हाइजैक किए विमान को छोड़ दिया. हालांकि विमान हाइजैक करने के लिए देवेंद्र पांडे और भोला पांडे पर मुकदमा दर्ज किया गया और उन्हें जेल भी भेजा गया. लेकिन इसके बाद जब देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी तो उन पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए गए. इतना ही नहीं कांग्रेस ने देवेंद्र पांडे और भोला पांडे को 1980 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बनाया. दोनों ने ही चुनाव में जीत हासिल की. देवेंद्र पांडे दो बार सांसद भी बने.
मेनका गांधी ने एक्सपोज किया पहला राजनीतिक सेक्स स्कैंडल!
साल 1978 में एक तरफ देश जहां आपातकाल का दौर देखकर आगे बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ राजनीति में भी जमकर उठापटक जारी थी. इसी बीच साल 1978 में ही देश का पहला राजनीतिक सैक्स स्कैंडल आया, जो तत्कालीन उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम के खिलाफ था, जिसने राजनीति की दुनिया में तहलका मचा दिया. दरअसल 1977 के जनता पार्टी के आंदोलन में इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद सभी जगजीवन राम को प्रधानमंत्री पद का सबसे मजबूत दावेदार मान रहे थे. लेकिन अफसोस बेटे के सेक्स स्कैंडल की वजह से उनकी किरकिरी हो गई और वो देश के पहले दलित प्रधानमंत्री बनने से चूक गए. हुआ ये कि.. 1978 में जगजीवराम के 47 साल के बेटे सुरेश राम की सूर्या मैग्जीन में कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें छपीं. इन तस्वीरों से देशभर में खलबली मच गई. जिस मैग्जीन में जगजीवन राम के बेटे की तस्वीरें छपी थीं. उस मैग्जीन की संपादक कोई और नहीं बल्कि इंदिरा की बहू मेनका गांधी ही थीं. मैग्जीन में सेक्स स्कैंडल की पिक्चर्स को दो पेजों में जगह दी गई. यही नहीं उस समय मैग्जीन ने विशेष तौर पर 1.2 लाख प्रतियां छपवाई थीं, जिसमें 20 हजार कॉपी केवल दिल्ली में बेची गई थी. इसी वजह से जगजीवनराम के राजनैतिक जीवन में अंधेरा छाया. इसी को भारत का पहला सबसे बड़ा राजनीतिक सेक्स स्कैंडल माना जाता है.
देव आनंद के लिए ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ क्यों 'डर्टी पिक्चर'?
राज कपूर के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम' 1978 में रिलीज हुई. शशि कपूर और जीनत अमान स्टारर ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई. लेकिन इस फिल्म के साथ कई विवाद भी जुड़े. फिल्म में जीनत अमान के काफी बोल्ड सीन थे और फिल्म की रिलीज से पहले ही उनके बोल्ड फोटो लीक हो गए. इससे फिल्म सुर्खियों में आ गई. जीनत अमान की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ ठीक उसी समय रिलीज हुई, जिस समय देवानंद की फिल्म ‘देस परदेस’ रिलीज हुई. इस फिल्म ने देवानंद के खत्म होते करियर को नई दिशा दी थी, लेकिन राज कपूर की फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम से देवानंद खुश नहीं थे. देवानंद ने कहा कि ये एक ‘डर्टी पिक्चर’ है. क्या आपने नोटिस किया कि कैसे कैमरा जीनत की बॉडी पर फोकस करता रहा?’ वीर सांघवी की किताब ‘ए रूड लाइफ' का अंश देवानंद के इस प्रतिक्रिया के बारे में जब राज कपूर को पता चला तो उन्होंने कहा कि- 'लोगों को जीनत के शरीर को देखने आने दो, वो मेरी फिल्म को याद करते हुए बाहर जाएंगे'. हुआ भी कुछ ऐसा ही जो लोग जीनत की हॉटनेस और बोल्डनेस देखने के लिए थियेटर पहुंचे उन्होनें भी फिल्म की जमकर तारीफ की.
ताजमहल को किया गया बंद
ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है. जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं. आपको बता दें कि अपनी खूबसूरती पर इतराता ताजमहल कई बार मुश्किल वक्त से गुजरा है. आजाद भारत के बाद कई बार ऐसे मौके आए कि ताजमहल को बंद करना पड़ा था. पहले साल 1971 में युद्ध के दौरान ताजमहाल को ढंका गया था. फिर साल 1978 में बाढ़ की वजह से ताजमहल को बंद करना पड़ा था. उस वक्त यमुना का जलस्तर इतना बढ़ा कि शहर में जगह-जगह पानी बढ़ गया. बाढ़ आने के बाद ताजमहल के चारों ओर रेत की थैली लगाकर पानी को रोकने की कोशिश की गई ताकि ताजमहाल के अंदर पानी ना जाए. बताया जाता है कि इसके बाद भी ताजमहल के कोठरियों में पानी भर गया था. करीब एक हफ्ते से ज्यादा तक ताजमहल बंद किया गया था.
अविश्वास प्रस्ताव से पहली बार गिरी सरकार
भारत के संसदीय इतिहास में सरकार गिराने के लिए अविश्वास प्रस्ताव तो कई बार लाया जा चुका है, लेकिन क्या आपको पता है कि राजनीति के खेल में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव की आंधी कब आई? भारत के संसदीय इतिहास में विपक्ष को 1978 में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव से सरकार गिराने में कामयाबी मिली. दरअसल आपातकाल के ठीक बाद ही मोरारजी देसाई की सरकार गिरी थी. उस वक्त मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री पद पर थे. मोरारजी देसाई के कार्यकाल में काफी उठा-पटक देखने को मिली. मोरारजी की पार्टी के ही कुछ लोग उनके खिलाफ हो गए. नतीजा ये कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. मोरारजी देसाई के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. पहली बार तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. लेकिन 1978 में दूसरी बार लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में उनकी सरकार के सहयोगी दलों में आपसी मतभेद थे. अपनी हार का अंदाजा लगते ही मोरारजी देसाई ने मत-विभाजन से पहले ही इस्तीफा दे दिया. उन्हें अपनी हार का अंदाजा हो चुका था. भारत में पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार के खिलाफ अगस्त 1963 में आचार्य कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, इसके बाद सबसे ज्यादा 15 बार इंदिरा गांधी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. वैसे देश के संसद के इतिहास में अब तक करीब 26 बार अविश्वास प्रस्ताव आए हैं लेकिन दो बार ही विपक्ष को इसमें कामयाबी मिली.
रंगा-बिल्ला की कहानी से जब दहल उठी दिल्ली
साल 1978 में दिल्ली में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी. दरअसल, दिल्ली के धौलकुआं में रहने वाले नेवल अफसर मदन मोहन चोपड़ा की 16 साल की बेटी गीता और 14 साल का बेटा संजय चोपड़ा 26 अगस्त 1978 को अपने घर से संसद मार्ग के लिए निकले थे. लेकिन घर से ऑल इंडिया रेडियो के लिए निकले बच्चे वहां पहुंचने से पहले ही गायब हो गए. क्योंकि उनको अगवा कर लिया गया था. बाद में एक चलते राहगीर ने इसकी जानकारी पुलिस को दी और फिर पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की. फिर 29 अगस्त को एक चरवाहे को रिज के जंगलों में सड़क किनारे लड़की और लड़के की लाश मिली. जिनकी पहचान गीता और संजय के रूप में हुई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई, तो पता चला दोनों का कत्ल 26 अगस्त को ही कर दिया गया था. ऑटोप्सी रिपोर्ट में गीता के साथ दुष्कर्म की कोई बात सामने नहीं आई. तो वहीं डॉक्टर्स का कहना था कि खराब बॉडी के चलते रेप की पुष्टि नहीं हो सकी. इधर इमरजेंसी के बाद देश में नई सरकार थी. मोरारजी देसाई नए-नए प्रधानमंत्री बने थे. उनके खिलाफ संसद में नारेबाजी हो रही थी. आखिरकार जिस कार में दोनों को अगवा किया गया था, वो मिली और फिर शक की सुई रंगा-बिल्ला की ओर गई. वही रंगा बिल्ला जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया था. रंगा का पूरा नाम कुलजीत सिंह और बिल्ला का नाम जसबीर सिंह था. दोनों पहले से फरार थे. 8 सितंबर 1978 को दोनों पकड़े गए और 26 नवंबर 1979 को दोनों को फांसी दे दी गई.
अस्पताल में जन्म के बाद बदल गईं थीं रानी मुखर्जी!
बॉलीवुड की बबली क्वीन कही जाने वाली एक्ट्रेस रानी मुखर्जी का जन्म साल 1978 में हुआ था. जब रानी मुखर्जी पैदा हुईं तो उस वक्त हॉस्पिटल में उन्हें बदल दिया गया था. रानी मुखर्जी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि पैदा होते ही वो एक पंजाबी फैमिली से एक्सचेंज हो गई थीं और उनकी मां को इस बात का अहसास हो गया था कि उन्हें गलत बच्चा दिया गया है. मैं अस्पताल में एक्सचेंज हो गई थी. मेरी मां ने जब दूसरे बच्चे को देखा तो उन्होंने कहा कि ये मेरा बच्चा नहीं है. इसकी भूरी आंखें नहीं हैं. जाओ मेरा बच्चा ढूंढ कर लाओ. जब मेरी मां ने मुझे ढूंढना शुरू किया तो एक पंजाबी फैमिली मिली जिन्हें आठवीं बार बेटी हुई थी. मैं वहां पर थी. अभी भी वो लोग कई बार मजाक करते हैं कि तुम तो पंजाबी हो. गलती से तुम हमारे परिवार में आ गई हो. आपको बता दें कि रानी मुखर्जी की शादी पंजाबी परिवार में हुई है. उनके पति आदित्य चोपड़ा बड़े फिल्ममेकर हैं.
भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी
1978 तक भारत की छवि पूरी दुनिया में बदल रही थी. धीरे-धीरे भारत राजीनितिक आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजबूत हो रहा था. इसी बीच साल 1978 में ही भारत में वो चमत्कार हुआ जिसने इतिहास रच दिया. दरअसल इसी साल भारत में पहली बार एक टेस्ट ट्यूब बेबी ने जन्म लिया, जिसका नाम दुर्गा था. भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी के पैदा होने से ठीक दो महीने पहले ही इंग्लैंड में लुइस ब्राउन नाम की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी ने जन्म लिया. ब्रिटिश डॉक्टर्स पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स ही वो थे जो दुनिया में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर आए. इसके ठीक 67 दिन बाद कोलकाता के डॉ. सुभाष मुखर्जी भारत में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर आए. बच्ची का जन्म दुर्गा पूजा के दिन हुआ, इसलिए टेस्ट ट्यूब बेबी का नाम दुर्गा रखा गया. डॉ सुभाष मुखर्जी दुनिया के ऐसे दूसरे डॉक्टर बने जिन्होंने IVF द्वारा टेस्ट ट्यूब बेबी को भारत में पैदा किया.
समुद्र में समाया विमान
साल 1978 में एक ऐसी भयानक दुर्घटना हुई जिससे हर किसी की रूह कांप गई. दरअसल 1978 में एयर इंडिया का एक विमान जलमग्न हो गया. उस हादसे ने प्लेन में बैठे सभी लोगों को मौत की नींद सुला दिया. दरअसल 1978 में एक तरफ जहां देश में नए साल का आगाज हो रहा था उसी दिन ये रोंगटे खड़े करने वाला हादसा हुआ. हुआ ये कि 1978 में सम्राट अशोक नाम का बोइंग 747 विमान ने मुंबई एयरपोर्ट से उड़ान भरी. उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही प्लेन में तकनीकी खराबी आई. इस बीच ना तो किसी को संभलने का मौका मिला और बचने का. प्लेन की खराबी के बाद ये समुंद्र में जा गिरा. बताया जाता है कि, प्लेन में उस वक्त पूरे 213 लोग सवार थे. जिसमें करीब 190 यात्री थे और 23 क्रू मेंबर्स थे. घटना के बाद ये आशंका जताई गई कि ये हादसा नहीं बल्कि साजश है, लेकिन समुद्र से मिले प्लेन के मलबे की जांच से साफ हुआ कि ये एक हादसा ही था.
शादी की उम्र 18 और 21 साल तय
भारत में बाल विवाह सदियों से प्रचलित है और ये किसी धर्म विशेष से नहीं होकर सभी धर्मों, समुदायों और वर्गों में लम्बे समय से चल रही एक प्रथा है. लेकिन साल 1978 में इसे लेकर कानून बनाया गया. बावजूद इसके भी देश में बाल विवाह जैसी कुप्रथा अभी भी जारी है. दरअसल साल 1978 में शादी की उम्र पुरूषों के लिए 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल की गई. लेकिन बाल विवाह को रोकने की शुरुआत तो साल 1929 में ही हो गई थी. साल 1929 के तत्कालीन शारदा अधिनियम में संशोधन करके 1978 में महिलाओं की शादी की उम्र 15 साल से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई थी. इसके बाद साल 2006 में इसकी जगह बाल विवाह रोकथाम कानून भी लाया गया, जिसमें कड़ी सज़ा का प्रावधान दिया गया.
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