Corruption Case: संजय के बाद सिसोदिया को बेल, सत्येंद्र जैन और केजरीवाल को अब तक क्यों जेल, कहां फंसा है पेच?
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Corruption Case: संजय के बाद सिसोदिया को बेल, सत्येंद्र जैन और केजरीवाल को अब तक क्यों जेल, कहां फंसा है पेच?

Manish Sisodia Bail: भ्रष्टाचार के केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में हैं. वहीं, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सशर्त जमानत मिल गई है. एक जैसे मामले में ही दो नेताओं को बेल और दो को जेल को लेकर ज्यादातर लोग कंफ्यूज हैं. आइए, जानते हैं कि केजरीवाल और सत्येंद्र जैन को जमानत मिलने में क्या पेच है?

Corruption Case: संजय के बाद सिसोदिया को बेल, सत्येंद्र जैन और केजरीवाल को अब तक क्यों जेल, कहां फंसा है पेच?

Arvind Kejriwal News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के चर्चित शराब घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शुक्रवार को जमानत दे दी. 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तारी के बाद से मनीष सिसोदिया की ओर से जमानत पाने के लिए यह आठवीं कोशिश थी. इससे पहले सात बार उनकी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी थी. हालांकि, जेल से बाहर आते ही उन्होंने मोदी सरकार को ललकारा और केजरीवाल के भी बाहर आने की उम्मीद जताई. 

अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन की जमानत में कहां फंस रहा पेच?

मनीष सिसोदिया से पहले भ्रष्टाचार के इसी मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. दोनों नेता अब कोर्ट की शर्तों के साथ जमानत पर जेल से बाहर हैं. जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन करप्शन के केस में ही बेल की लगातार कोशिशों के बावजूद अभी तक जेल में है.  आइए, जानते हैं कि इन दोनों नेताओं को बेल मिलने में आखिर कहां और क्या पेच फंस रहा है?

आप के चारों नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई अलग-अलग मामले 

सबसे पहले आप के चारों नेताओं के मामले के बारे में जानते हैं. तीन नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह दिल्ली सरकार की उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितता के मामले में आरोपी हैं. हालांकि, इन तीनों पर इसके अलावा भी केस दर्ज हैं. केजरीवाल और संजय सिंह उत्पाद शुल्क नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी आरोपी हैं. वहीं, सत्येंद्र जैन आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपी हैं. सीबीआई ने अपने मामले में जैन पर आय से अधिक 1.47 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है. 

आम आदमी पार्टी के चारों बड़े नेताओं में कब किसकी गिरफ्तारी हुई?

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 में कथित हवाला लेनदेन के आरोप में गिरफ्तार किया था. एक्साइज पॉलिसी केस में भी जैन से पूछताछ की गई थी. मेडिकल ग्राउंड पर जैन को कोर्ट ने एक बार अंतरिम जमानत दी थी जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था. इसके बाद 4 अक्टूबर, 2023 को शराब नीति घोटाले के मामले में ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद संजय सिंह को अरेस्ट किया था. इसी मामले में सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को 8 घंटे की पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को अरेस्ट कर लिया था. कोर्ट ने पहले संजय सिंह और बाद में सिसोदिया को सशर्त जमानत दी है.

पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले देश के पहले सीएम बने केजरीवाल

इन तीनों नेताओं के बाद 21 मार्च, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 10वें समन के साथ सीएम अरविंद केजरीवाल के घर पहुंच कर शराब घोटाला मामले में घंटों पूछताछ की और गिरफ्तार कर लिया. अरविंद केजरीवाल देश के ऐसे पहले सीएम बन गए हैं, जो पद पर रहते हुए गिरफ्तार हुए हैं. लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान कोर्ट ने उन्हें प्रचार के लिए कुछ दिनों की सशर्त जमानत दी थी. समय पूरा होने के बाद 2 जून को उन्होंने वापस सरेंडर कर दिया था.

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी में छिपा है जमानत मिलने में देरी का राज

ईडी ने जिस पीएमएलए केस में अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया है उसमें आसानी से बेल नहीं मिलती है. इसके तहत सारे अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होते हैं. साथ ही इस कानून में अग्रिम जमानत का भी प्रावधान नहीं होता है. इस कानून की धारा 45 में आरोपी की जमानत के लिए दो कठोर शर्तें हैं. हालांकि, बड़ी मुश्किल से ईडी के एक मामले में केजरीवाल को जमानत मिली तो फिर उन्हें सीबीआई ने पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, केजरीवाल की जमानत के लिए उनकी पार्टी और सरकार दोनों पूरी तरह कोशिश में जुटे हुए हैं.

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इस मामले में एक आरोपी की जमानत दूसरे के लिए नजीर नहीं मानी जा सकती

दूसरी ओर, सत्येंद्र जैन को एक बार मेडिकल ग्राउंड पर लगभग 10 महीने की अंतरिम जमानत मिली थी. जिसे बाद में कोर्ट ने कुछ दिनों के लिए बढ़ाया भी था. हालांकि, बाद में कोर्ट ने उन्हें वापस सरेंडर करवा कर जेल भेज दिया है. उन्हें दोबारा बेल मिलने में देरी के पीछे यह भी एक कानूनी पेच है. इसके अलावा जेल के अंदर और जमानत पर बाहर रहने के दौरान उनके व्यवहार को लेकर भी कोर्ट सवाल पूछता है. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट कहा हुआ है कि इस मामले में एक आरोपी की जमानत दूसरे के लिए नजीर नहीं मानी जा सकती है.

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