Maratha Reservation Movement Detail: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन अचानक नहीं पनपा है. इसकी जड़ें 32 साल पुरानी हैं.
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Maratha Reservation Movement History: महाराष्ट्र में बरसों से धधक रही मराठा आरक्षण आंदोलन की आग इस बार विकराल होती दिखाई दे रही है. आंदोलनकारियों ने सोमवार को बीड जिले में एनसीपी के विधायक प्रकाश सोलंके के घर में तोड़फोड़ करके उसमें आग लगा दी. घटना के वक्त विधायक अपने घर में ही परिवार के साथ मौजूद थे. हालांकि वे वक्त रहते अपने परिवार और स्टाफ के साथ घर से बाहर निकल गए, जिससे बड़ी जनहानि होने से बच गई.
सीएम ने जताई नाराजगी
इस मुद्दे पर राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे ने कड़ी नाराजगी जताई जताई है. सख्त प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, ‘मनोज जरांगे पाटिल को इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए कि यह आंदोलन (Maratha Reservation Movement) अब क्या मोड़ ले रहा है. अब यह गलत दिशा में जा रहा है.’वहीं विपक्षी एनसीपी और कांग्रेस ने इसे शिंदे सरकार की विफलता करार दिया है.
'कुनबी (कृषक) समुदाय में शामिल करें'
मराठा सरकार को झकझोर देने वाला यह ताजा आरक्षण आंदोलन (Maratha Reservation Movement) मराठा मोर्चा के संयोजक मनोज जारांगे पाटिल की लीडरशिप में चल रहा है. जारांगे की मांग है कि मराठों को कुनबी (कृषक) समुदाय में शामिल कर देना चाहिए, जो ओबीसी कोटा में आता है. उनकी इस मांग से ओबीसी समाज के नेता बिफरे हुए हैं. उन्हें डर है कि अगर मराठों को ओबीसी आरक्षण मिल गया तो उनका हक छिन जाएगा.
Maharashtra NCP MLA Prakash Solanke, whose residence in Beed has been attacked by Maratha reservation protestors says, "I was inside my home when it was attacked. Fortunately, none of my family members or staff were injured. We are all safe but there is a huge loss of property… https://t.co/WBjTmWvP5r
— ANI (@ANI) October 30, 2023
कोर्ट में नहीं टिक पाया था फैसला
ओबीसी समाज की नाराजगी के बीच पिछले देवेंद्र फडणवीस सरकार ने वर्ष 2018 में कानून लाकर मराठा समुदाय को 13% का आरक्षण दिया था लेकिन जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो मई 2021 में 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने मराठा आरक्षण पर खारिज कर दिया. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि यह आरक्षण अधिकतम 50 फीसदी की सीमा को क्रॉस कर रहा है, इसलिए इस पर रोक लगाई जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर 50 फीसदी की यह सीमा वर्ष 1992 में तय की थी.
बीच मझधार में फंसी सरकार
अब सरकार सुप्रीम कोर्ट की लिमिट और मराठा आंदोलनकारियों (Maratha Reservation Movement) के बीच फंसी हुई है. उसे ओबीसी वोट बैंक खिसकने का भी डर लग रहा है. उसे समझ नहीं आ रहा है कि हालात से निपटने के लिए वह क्या करे. उधर आंदोलनकारियों का धैर्य अब जवाब देता जा रहा है और वे सरकार से इस मामले में दोटूक फैसला करने के लिए अड़े हुए हैं.
32 सालों से मांग रहे आरक्षण
ऐसा नहीं है कि यह मांग (Maratha Reservation Movement) अचानक शुरू हुई हो. आज से करीब 32 साल पहले माथाडी लेबर यूनियन के लीडर अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में मराठों को आरक्षण देने की मांग उठाई थी. उन्होंने कहा था कि इस आरक्षण की मांग की थी. उनका कहना था कि बेशक राज्य में अब तक हुए 20 सीएम में से 12 मराठा समुदाय से हुए हैं लेकिन वह समुदाय का छोटा सा तबका है. मराठा समुदाय के अधिकतर लोग गरीबी के माहौल में जी रहे हैं. उन्हें इस दलदल से बाहर निकालने के लिए उन्हें पिछड़े वर्ग का आरक्षण दिया जाना चाहिए.
कैसी है मराठों की आर्थिक स्थिति?
राज्य में मराठों (Maratha Reservation Movement) की आबादी की बात की जाए तो वह महाराष्ट्र की कुल आबादी का करीब 20 फीसदी है. इस समुदाय के 76.86 फीसदी लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं. हायर एजुकेशन, नौकरी और बिजनेस में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व काफी कम है. फसल की बर्बादी और बढ़ते कर्ज की वजह से वर्ष 2013 से 2018 तक मराठा समुदाय के 2152 किसानों ने आत्महत्या की थी.