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नई दिल्ली: चुनावों के नतीजे देखकर यह एक बड़ा सवाल ये पूछा जा रहा है कि क्या मायावती का राजनीतिक करियर समाप्ति की ओर है? बीएसपी को उत्तर प्रदेश की 403 में से केवल एक सीट पर जीत मिली हैं. जबकि पिछली बार वो 19 सीटें जीती थीं. इसी तरह पंजाब में बीएसपी ने अकाली दल के साथ मिल कर चुनाव लड़ा, लेकिन वहां भी उसे 1 ही सीट पर जीत नसीब हुई. यानी मायावती का हाथी आज इतना कमजोर हो गया है कि वो सही से चल भी नहीं पा रहा.
मायावती दलित और पिछड़ी जातियों के वोटों की राजनीति करती थीं और बीएसपी को डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर के आदर्शों पर चलने वाली इकलौती पार्टी बताती थीं. लेकिन आज भीम राव अम्बेडकर के नाम पर होने पर इस राजनीति को अरविंद केजरीवाल ने टेक-ओवर कर लिया है और वो अम्बेडकर को अपना आदर्श बता रहे हैं. यानी मायावती के पास अब ना तो अम्बेडकर हैं, ना ज्यादा विधायक हैं, और ना ही जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन उनके पास बचा है. ऐसा लगता है कि उनके नेतृत्व में बीएसपी समाप्ति की ओर बढ़ रही है.
आइए ये भी जान लेते हैं कि चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ कर जाने वाले नेताओं का क्या हुआ? स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. लेकिन उन्हें बीजेपी के सुरेंद्र कुशवाहा ने 40 हजार वोटों से हरा दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. लेकिन उन्होंने चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ दी थी.
स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह ही योगी सरकार में मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी भी चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में चले गए थे लेकिन इस बार नकुड़ सीट पर जनता ने उन्हें नकार दिया. धर्म सिंह सैनी, बीजेपी के मुकेश सैनी से चुनाव हार गए. हालांकि दारा सिंह चौहान मऊ जिले की घोसी सीट से जीत गए हैं.
2024 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी की स्थिति मजबूत होगी.
इसी साल होने वाले राज्य सभा चुनाव में बीजेपी का प्रभाव बढ़ेगा.
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा. ये चुनाव इसी साल जुलाई में होने हैं.
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— Zee News (@ZeeNews) March 10, 2022