नागालैंड में जहां 196 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं मेघालय में 370 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.
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नई दिल्ली: नागालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को चुनाव होने हैं. इन चुनावों के नतीजों की घोषणा तीन मार्च को की जाएगी. नागालैंड में जहां 196 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं मेघालय में 370 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इन राज्यों के चुनावों के उम्मीदवारों की संपत्ति की बात की जाए तो ये यूपी-बिहार के प्रत्याशियों से दोगुनी है. नागालैंड में 59 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं, दूसरी ओर मेघालय में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से 41 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं.
नागालैंड-मेघालय के करोड़पति उम्मीदवार
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने नागालैंड विधानसभा चुनाव के 196 उम्मीदवारों में से 193 के हलफनामे का विश्लेषण किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कुल प्रत्याशियों में से 114 उम्मीदवार करोड़पति हैं.
एडीआर रिपोर्ट के अनुसार, 38.92 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ जदयू के रामोंगो लोथा सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. वे एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं. लोथा, वोखा जिले में सनीस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
मेघालय में कुल 49 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं. यहां पर 295 करोड़ की संपत्ति के साथ एनपीपी प्रत्याशी नगातिलांग सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. रिपोर्ट के अनुसार, मेघालय चुनाव में किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.54 करोड़ है.
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मेघालय और नागालैंड के उम्मीदवारों की संपत्ति का ये प्रतिशत यूपी और बिहार में हुए विधानसभा चुनावों में खड़े हुए उम्मीदवारों की कुल संपत्ति के प्रतिशत के मुकाबले दोगुना है. बिहार चुनाव प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 1.44 करोड़ थी, दूसरी ओर यूपी चुनाव के प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 1.91 करोड़ थी.
90% से ज्यादा उम्मीदवार बेदाग
इन दोनों राज्यों के चुनाव में खड़े उम्मीदवारों में से ज्यादातर बेदाग हैं. नागालैंड चुनावों के उम्मीदवारों में से 98 प्रतिशत पर किसी भी प्रकार का कोई क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है. जबकि दो फीसदी पर ही गंभीर आरोप हैं. मेघालय में बेदाग प्रत्याशियों का प्रतिशत 93 हैं. यहां के सात प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामला दर्ज है.
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यूपी में 2017 और बिहार में 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में खड़े हुए प्रत्याशियों के मुकाबले ये रिकॉर्ड काफी बेहतर है. यूपी के उम्मीदवारों में जहां 18 प्रतिशत दागी थे तो वहीं बिहार में ये प्रतिशत 30 प्रतिशत था. इनमें से 23 प्रतिशत पर गंभीर मामले दर्ज थे.