#ModiOnZee : अपशब्द कहे जाने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा- 20 सालों से इस दर्द को पी रहा हूं
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#ModiOnZee : अपशब्द कहे जाने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा- 20 सालों से इस दर्द को पी रहा हूं

जब पीएम मोदी से पूछा गया कि आपके विरोधी कह रहे हैं कि आप 23 मई के बाद पैकिंग करने लगेंगे. इस पर पीएम मोदी ने कहा, विरोधी क्या सोच रहे हैं या क्या कह रहे हैं, इस पर मैं ध्यान नहीं देता.

#ModiOnZee : अपशब्द कहे जाने के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा- 20 सालों से इस दर्द को पी रहा हूं

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के छठवें चरण से पहले जी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जिक्र से लेकर विपक्ष द्वारा खुद को कहे जाने वाले अपशब्दों पर भी खुलकर अपना पक्ष रखा. जी न्‍यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ इस शुद्ध राजनीतिक इंटरव्‍यू में पीएम नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि 23 मई को देश में फिर बीजेपी की सरकार बनेगी. उन्‍होंने कहा कि इस बार बीजेपी को 2014 से ज्‍यादा सीटें मिलेंगी.

पीएम मोदी से जब पूछा गया कि 'आपको जब अपशब्द कहा जाता है तो आपको बुरा लगता है? तो उनका जवाब था कि 'मैं भी इंसान हूं, दर्द मुझे भी होता है. लेकिन मेरी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं. इसलिए उस दर्द को पी जाता हूं. मैं पिछले 20 साल से इसे पी रहा हूं. गरीबी से निकला हूं. हम जिस पिछड़ेपन से निकलते हैं, जगह-जगह पर अपमान सहे हैं. आज भी मुझे बड़े लोग गालियां देते हैं, अपशब्द कहते हैं, सह लेते हैं.

जब पीएम मोदी से पूछा गया कि आपके विरोधी कह रहे हैं कि आप 23 मई के बाद पैकिंग करने लगेंगे.
इस पर पीएम मोदी ने कहा, विरोधी क्या सोच रहे हैं या क्या कह रहे हैं, इस पर मैं ध्यान नहीं देता. मैं पक्के विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 2019 के चुनाव में जनता ने बीजेपी और एनडीए को और ज्यादा सीटें देने  का मन बना लिया है. मैं उसी विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा हूं. जहां तक बोरिया बिस्तर की बात है तो मैं हर काम के लिए तैयार रहता हूं.

जहां तक सपने देखने की बात है तो विरोधियों को सपने देखने दीजिए. उनके ख्वाब आप मत तोड़िये. पीएम ने कहा कि विरोधियों को अपने सपने देखने का पूरा हक है. चुनावी के दौरान मैं पूरे देश की जनता के बीच जा रहा हू. पूरे अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि देश की जनता मजबूत सरकार चाहती है.

2019 में जनता ने मोदी को निकट से देखा है. मेरा काम भी बोल रहा है. आमतौर पर सरकारें जो चली आ रही थीं, वह राज्यों पर निर्भर रहती थीं. हमने राज्यों के साथ मिलकर काम किया. लाभार्थियों से मिलकर बात करता था जिससे योजनाओं की खामियों का पता चलता था. मेरा मानना है कि इस बार देश की जनता ने पहले से ज्यादा सीटें दे रही है. 2014 में जिन राज्यों में हमारा प्रतिनिधित्व कम था, वहां पर हमें ज्यादा सीटें मिलेंगी. 

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