खुश हो जाइए! आ गया मानसून, केरल में झमाझम हो रही बारिश
भीषण गर्मी का सामना कर रहे लोगों और किसानों के लिए सबसे बड़ी खबर गई है. थोड़ा लेट ही सही मानसून (Monsoon 2019) केरल पहुंच चुकी है. शनिवार को केरल में मानसून (Monsoon) की पहली बारिश हुई.
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नई दिल्ली: भीषण गर्मी का सामना कर रहे लोगों और किसानों के लिए सबसे बड़ी खबर गई है. थोड़ा लेट ही सही मानसून (Monsoon 2019) केरल पहुंच चुकी है. शनिवार को केरल में मानसून (Monsoon) की पहली बारिश हुई. दिलचस्प बात यह है कि मानसून (Monsoon) ऐसे दिन केरल पहुंचा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों केरल दौरे पर ही हैं. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने बताया, 'मानसून (Monsoon) ने आज (8 जून) केरल में दस्तक दे दी है.'
भू-विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने भी ट्वीट कर केरल में मॉनसून के दस्तक देने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केरल में अगले 2 से 3 दिनों तक औसत से लेकर भारी बारिश होने की संभावना है.
बताया जा रहा है कि केरल में मानसून (Monsoon) ने केवल दस्तक ही नहीं दी है बल्कि पहले ही दिन अच्छी खासी बारिश हुई है. यहां आपको बता दें कि यूं तो भीषण गर्मी से परेशान हर कोई मानसून (Monsoon) का इंतजार कर रहा था, लेकिन खासकर किसानों के लिए यह सबसे बड़ी खबर है. मानसून (Monsoon) के केरल पहुंचने की खबर किसानों के चेहरे पर खुशी ला देगी. भारत की लगभग 90 फीसदी खेती मानूसन पर ही निर्भर है.
2019 Monsoon has arrived over Kerala with an onset vortex off-Kerala coast. Moderate to heavy rains expected in Kerala next 2-3 days Onset Vortex is likely to intensify into a cyclonic storm over Arabian Sea We will watch and update forecasts @IMDWeather @drharshvardhan pic.twitter.com/XChsUrnzSi
— Madhavan Rajeevan (@rajeevan61) June 8, 2019
मालूम हो कि विभाग ने पिछले महीने दक्षिण पश्चिमी मानसून के केरल तट पर छह जून को पहुंचने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था, लेकिन हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने में देरी के कारण मानसून की आमद में दो दिन का विलंब हो गया. देश में मानसून के दस्तक देने की खबर, भीषण गर्मी, कृषि संकट और जलाशयों के तेजी से गिरते जलस्तर की चिंता से राहत देने वाली साबित होगी.
गौरतलब है कि उत्तर एवं मध्य भारत में भीषण गर्मी का असर पश्चिम और दक्षिणी राज्यों के जलाशयों पर भी पड़ा है. इन इलाकों में देश के प्रमुख जलाशयों का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है जिसकी वजह से महाराष्ट्र और राजस्थान सहित आसपास के तमाम सूखा ग्रस्त इलाकों में जलसंकट की समस्या गहरा जाती है.
इसके अलावा देश का अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र कृषि एवं सिचाई जरूरतों के लिये दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान चार महीने तक होने वाली बारिश पर ही निर्भर रहता है. देश में कुल वर्षाजल का 75 प्रतिशत हिस्सा दक्षिण पश्चिमी मानसून से मिलने के कारण इसमें होने वाली बारिश की प्रचुरता का सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है.
केरल तट पर मानसून की दस्तक के साथ ही, भीषण गर्मी से झुलस रहे उत्तरी और मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों तथा दक्षिणी राज्यों में तापमान में गिरावट आने की भी उम्मीद जगी है. मैदानी इलाकों में इन दिनों अधिकतम तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है. वहीं, राजस्थान के चुरू और आसपास के इलाकों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस का स्तर पार कर गया है.
मौसम विभाग ने उत्तरी क्षेत्रों में जून के अंतिम और जुलाई के पहले सप्ताह में मानसून पहुचंने की संभावना व्यक्त की है. मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में पूर्वानुमान से तकरीबन दो- तीन दिन की देरी से मानसून 29 जून को पहुंच सकता है. हालांकि निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट ने इसमें एक सप्ताह तक की देरी का अनुमान व्यक्त किया है.
मौसम विभाग ने दिल्ली और उत्तर पश्चिमी इलाकों सहित लगभग पूरे देश में मानसून की सामान्य बारिश होने की संभावना जतायी है.
दिल्ली पहुंचने में दो तीन दिन की देरी संभव
मौसम विभाग ने मानसून (Monsoon) के राष्ट्रीय राजधानी में आगमन में दो-तीन दिन की देरी की संभावना जतायी है. हालांकि शहर में बारिश के सामान्य रहने का अनुमान है. हालांकि, निजी मौसम पूर्वानुमान संस्था ‘स्कायमेट वैदर’ ने कहा कि मानसून (Monsoon) के दिल्ली आने में कम से कम एक सप्ताह का विलंब हो सकता है.
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मौसम विभाग ने बुधवार को कहा था कि मानसून (Monsoon) आने में और देरी हो सकती है तथा यह आठ जून तक ही केरल के तट पर पहुंचेगा. विभाग के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, ‘सामान्य रूप से, मानसून (Monsoon) 29 जून तक दिल्ली पहुंचता है. चूंकि इसके दक्षिणी भाग में पहुंचने में देरी हो रही है, इसलिये मानसून (Monsoon) के उत्तरपश्चिम भारत तक पहुंचने में दो तीन दिन ज्यादा लग सकते हैं.’