पाक हाईकमीशन से और व्यक्ति हो सकते हैं जासूसी रैकेट से जुड़े, महमूद अख्‍तर निकला ISI एजेंट, बिछाता था हनी ट्रैप का जाल
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पाक हाईकमीशन से और व्यक्ति हो सकते हैं जासूसी रैकेट से जुड़े, महमूद अख्‍तर निकला ISI एजेंट, बिछाता था हनी ट्रैप का जाल

जासूसी गिरोह में कथित रूप से शामिल रहने के लिए हिरासत में लिया गया पाकिस्तानी उच्चायोग का कर्मचारी पाकिस्तानी सेना के बलूच रेजीमेंट का है और 2013 से ही गुप्तचर एजेंसी आईएसआई में प्रतिनियुक्ति पर है। मामले की जांच कर रहे जांचकर्ताओं को संदेह है कि उच्चायोग से और व्यक्ति जासूसी गिरोह में शामिल हो सकते हैं।

पाक हाईकमीशन से और व्यक्ति हो सकते हैं जासूसी रैकेट से जुड़े, महमूद अख्‍तर निकला ISI एजेंट, बिछाता था हनी ट्रैप का जाल

नई दिल्ली : जासूसी गिरोह में कथित रूप से शामिल रहने के लिए हिरासत में लिया गया पाकिस्तानी उच्चायोग का कर्मचारी पाकिस्तानी सेना के बलूच रेजीमेंट का है और 2013 से ही गुप्तचर एजेंसी आईएसआई में प्रतिनियुक्ति पर है। मामले की जांच कर रहे जांचकर्ताओं को संदेह है कि उच्चायोग से और व्यक्ति जासूसी गिरोह में शामिल हो सकते हैं।

खुफिया जानकारी के आधार पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पाकिस्तानी उच्चायोग के महमूद अख्तर नाम के कर्मचारी को हिरासत में लिया। इसके पास से रक्षा दस्तावेज बरामद होने पर उसे हिरासत में लिया गया। पुलिस के मुताबिक राजनयिक छूट प्राप्त होने के कारण, उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। अपराध शाखा ने दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है। ये दोनों राजस्थान के निवासी हैं। इन्हें पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारी को कथित तौर पर संवेदनशील जानकारी मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये जासूस राजस्थान के रहने वाले हैं, जो पाकिस्तान के आईएसआई के लिए काम कर रहे थे। ये जासूस यहां पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों के संपर्क में थे और संवेदनशील जानकारी मुहैया करा रहे थे। किए गए दोनों लोगों की पहचान मौलाना रमज़ान और सुभाष जांगीड़ के रूप में की गई है।

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने गिरोह में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कुछ कर्मियों के शामिल होने से इनकार नहीं किया है क्योंकि उनका मानना है कि कर्मचारी महमूद अख्तर और उसके सहयोगियों को तैनाती की जानकारी तब तक नहीं मिल सकती थी जब तक कि बीएसएफ में कोई उन्हें वह लीक नहीं कर रहा हो। अख्तर पाकिस्तानी उच्चायोग के वीजा अनुभाग में काम करता था तथा उसने संवेदनशील रक्षा दस्तावेज और भारत-पाकिस्तान सीमा पर बीएसएफ की तैनाती की जानकारी हासिल की थी और उसे आईएसआई के साथ साझा किया था। अख्तर के दो सहयोगियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

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अख्तर को हिरासत में लिया गया था लेकिन लंबी पूछताछ के बाद कल छोड़ दिया गया था क्योंकि उसे राजनयिक छूट हासिल है। अख्तर के पास फर्जी आधार कार्ड था और वह अपने सहयोगियों को बड़ी राशि का भुगतान कर उनसे सूचनाएं हासिल करता था।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र यादव ने कहा कि उसने (अख्तर) बताया कि वह जनवरी 2013 से ही आईएसआई में प्रतिनियुक्ति पर है और पाकिस्तानी सेना के 40 बलूच रेजीमेंट का सेवारत हवलदार है। यादव ने कहा कि अख्तर ने बताया कि वह पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले के कहुटा गांव का निवासी है। पुलिस के अनुसार पूछताछ के दौरान अख्तर ने बताया कि वह पाकिस्तान उच्चायोग में पिछले ढाई वर्ष से तैनात है। जांच टीम में शामिल एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह भी संदेह है कि उसने लोगों को अच्छी धनराशि की पेशकश करते हुए उन्हें जासूसी गिरोह में आकर्षित किया और लोगों को लुभाने के लिए एक हनी ट्रैप भी था। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी उच्चायोग में और व्यक्ति मामले में संलिप्त हो सकते हैं।

बीएसएफ कर्मियों की संभावित संलिप्तता के बारे में सूत्रों ने कहा कि उनसे जो दस्तावेज बरामद हुए हैं वह ऐसी संवेदनशील सूचना की जानकारी रखने वाले व्यक्तियों की मदद के बिना हासिल नहीं किये जा सकते। हमें संदेह है कि बीएसएफ के कुछ कर्मियों ने उनकी मदद की और सूचना और दस्तावेज उन्हें लीक किये। सूत्रों ने कहा कि हम उस पहलू की जांच कर रहे हैं। हमने इसमें शामिल कुछ अधिकारियों की पहचान की है और हम जल्द ही छापा मारेंगे। अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस इस मॉड्यूल पर पिछले छह महीने से नजर रख रही थी और उसे 25 अक्तूबर को सूचना मिली कि अख्तर 26 अक्तूबर को सुबह करीब 10 बजे दिल्ली चिड़ियाघर में सुभाष जांगिड़ और मौलाना रमजान से मुलाकात करेगा। एसीपी संजय शेरावत के नेतृत्व में और डीसीपी अपराध (दक्षिण) भीष्म सिंह की निगरानी में अपराध शाखा के अधिकारियों की एक टीम ने जाल बिछाया और तीनों को तब पकड़ लिया जब वे दस्तावेजों के अदान प्रदान की प्रक्रिया में थे।

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि अख्तर वीजा विभाग में कार्यरत था, इसलिए उसके लिए उन लोगों की पहचान करना आसान हो गया, जो उसके लिए जासूस के रूप में काम कर सकते थे। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बड़ी धनराशि का लालच दिया जाता था। अधिकारी ने कहा कि हनी ट्रैप वाले कोण से भी जांच की जा रही है। शुरुआती जांच से यह सामने आया है कि कुछ लड़कियों को अच्छा खासा धन देने का वादा कर उनका शोषण किया जा रहा था और उनका इस्तेमाल इस काम के लिए पुरुषों को लुभाने के लिए किया जा रहा था।

इस बीच, राजस्थान पुलिस ने जासूसी गिरोह में कथित तौर पर शामिल जोधपुर निवासी शोएब को गिरफ्तार कर लिया है और उसे दिल्ली लाया जाएगा। 

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