Mughal stories Akbar: मुगल इतिहास के बारे में आज भी लोग जानना चाहते हैं. मुगल बादशाहों में सबसे चर्चित नाम अकबर का रहा है. आज अकबर की जिंदगी के बारे में ऐसा राज बताने जा रहे हैं, जिससे लोग अबतक अनजान थे.
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Baba Mohandas Story: मुगल बादशाह अकबर (Mughal emperor Akbar) के बारे में इतिहास में बहुत कुछ लिखा गया है. किसी को अकबर-बीरबल की कहानियों में दिलचस्पी होती है तो बहुत से लोग खासकर मुगल हरम के राज जानना चाहते हैं. इनके अलावा भी अकबर की जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा घटा था जिससे लोग अबतक अनजान हैं. ऐसे में आज आपको अकबर की जिंदगी के उस सफर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें उसे अजमेर (Ajmer) जाना था पर लाख कोशिशों के बावजूद वो हरियाणा के रेवाड़ी (Rewari) से बाहर नहीं निकल पा रहा था.
अकबर की जिंदगी का अनसुना किस्सा
इतिहासकारों के मुताबिक मुगलों की खास दिलचस्पी आगरा और दिल्ली में थी. इसलिए यहां वो समय-समय पर दरबार लगाते रहते थे. एक बार मुगल बादशाह अकबर को दिल्ली से अजमेर जाना था और वहां जाने का रास्ता आज के हरियाणा रेवाड़ी से होते हुए जाता था. अकबर को अपनी ताकत का घमंड था. उसके पास शक्तिशाली सेना और बेहतरीन घोड़े थे इसके बावजूद दिनभर चलने के बाद भी अकबर एक स्थान पर वापिस पहुंच जाते. ये सिलसिला कई दिनों तक यूं ही चलता रहा. यानी लाख कोशिशों के बाद भी अकबर आगे नहीं बढ़ पा रहे थे. जब उन्होंने इसकी वजह जानने के लिए बीरबर को काम पर लगाया तो पता चला कि जहां वो घूम फिरकर लौट आते हैं वह क्षेत्र बाबा मोहनदास का सिद्ध स्थान है.
सिर पर कपड़ा और मुंह में घास का तिनका दबाकर पहुंचा अकबर
ग्रामीणों से उन्हें पता चला कि बाबा मोहनदास के चमत्कार के कारण वो अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. तब मोहनदास बाबा के चमत्कार से प्रभावित होकर अकबर सिर पर कपड़ा और मुंह में घास का तिनका रखकर बाबा की शरण में पहुंचे. बाबा मोहनदास ने अकबर से कहा कि रेवाड़ी की सीमा उनके इलाके से होकर गुजरती है इसीलिए वे बिना उनकी इजाज़त के रेवाड़ी जिला पार नहीं कर सकते हैं. अकबर ने फौरन अपनी गलती स्वीकारी और बाबा मोहनदास से माफी मांगी. इसके बाद ही अकबर का काफिल आगे बढ़ सका.
अकबर ने मांगा वरदान
बाबा के सिद्ध स्थान और आस-पास के लोगों के मुताबिक उसी दौरान साथ ही अकबर ने बाबा से ये वरदान मांगा कि जब तक बाबा मोहनदास का नाम रहेगा तब तक अकबर का नाम भी चलता रहेगा. उसके बाद बाबा मोहनदास ने अकबर को ये वरदान दिया कि आगे जाकर एक घना जंगल है वहां एक गांव बसेगा जिसका नाम अकबरपुर होगा.
बाबा मोहनदास की महिमा
बाबा मोहनदास को एक महात्मा से सिद्धि प्राप्त हुई थी. भाड़ावास के जिस स्थान पर अभी मंदिर है. उस स्थान पर बाबा मोहनदास ने पेड़ के नीचे तपस्या की थी. मंदिर के वर्तमान महंत बाबा महाबीर दास के मुताबिक कि पहले बाबा मोहनदास जी किसी को गुरु नहीं मानते थे, लेकिन बाद में चैतन्य महाप्रभु जी के चेले के रूप में भी बाबा मोहनदास जी को पहचाने जाने लगा. आगे चलकर बाबा मोहनदास ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्राएं की वो नेपाल भी गए. रेवाड़ी में जहां बाबा मोहनदास जी ठहरे थे वहां उनकी कई गद्दियां बनी हुई हैं. सन 1587 में बाबा मोहनदास जी ब्रह्मलीन हो गए. उनकी समाधि आज भी मंदिर परिसर में बनी हुई है. उनके बाद अब तक 15 महात्माओं ने उनकी गद्दी को संभाला है.