G-20 किताब में मुगल बादशाह अकबर का जिक्र, कपिल सिब्बल बोले- यही तो है मोदी सरकार का दोहरा रूप
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G-20 किताब में मुगल बादशाह अकबर का जिक्र, कपिल सिब्बल बोले- यही तो है मोदी सरकार का दोहरा रूप

Mughal emperor Akbar in G 20 book:  जी 20 से संबंधित एक पुस्तक में मुगल बादशाह अकबर के शासन का जिक्र किया गया है. इस विषय पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि यही तो मोदी सरकार का दोहरा चरित्र है एक चेहरा दुनिया के लिए और दूसरा चेहरा इंडिया यानी भारत के लिए है.

 G-20 किताब में मुगल बादशाह अकबर का जिक्र, कपिल सिब्बल बोले- यही तो है मोदी सरकार का दोहरा रूप

Kapil Sibal on G 20 book: राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने जी 20 की एक पुस्तिका में मुगल बादशाह अकबर की प्रशंसा किए जाने पर सरकार पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि उसका एक चेहरा दुनिया को दिखाने के लिए है और दूसरा इंडिया के लिए है जो कि भारत है.सिब्बल ने ‘‘भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी’’ शीर्षक वाली जी 20 की एक पुस्तिका का जिक्र कर रहे थे. 38 पन्नों वाली इस पुस्तिका में अकबर के बारे में विवरण है. इस पुस्तिका में कहा गया है कि सुशासन में सबका कल्याण समाहित होना चाहिए फिर चाहे वह किसी भी धर्म का हो. इस तरह का लोकतंत्र मुगल बादशाह अकबर के वक्त था.

मोदी सरकार पर तंज

सिब्बल ने इस पर सरकार पर तंज करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा,‘‘ जी20 पुस्तिका: सरकार ने मुगल बादशाह अकबर की शांति और लोकतंत्र के प्रणेता के तौर पर प्रशंसा की है। एक चेहरा: दुनिया के लिए, दूसरा चेहरा: इंडिया के लिए जो कि भारत है। कृपया करके हमें असली मन की बात बताइए . इस पुस्तिका में कहा गया कि अकबर ने  धार्मिक भेदभाव से निपटने के लिए सुल्ह-ए-कुल अर्थात वैश्विक शांति का सिद्धांत पेश किया. पुस्तिका में कहा गया है कि सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण के लिए उन्होंने एक नए समन्वयपूर्ण धर्म ‘दीन-ए-इलाही’ की परिकल्पना पेश की. उन्होंने ‘इबादतखाना (प्रार्थना का स्थान)’ की भी स्थापना की,जहां विभिन्न संप्रदाय के बुद्धिमान लोग मिलते थे और चर्चा करते थे.

क्या है किताब में

पुस्तिका में कहा गया कि नौ अति बुद्धिमान लोग जिन्हें नवरत्न कहा जाता था अकबर के परामर्शदाताओं के तौर पर काम करते थे और उनकी जनकेन्द्रित नीतियों के क्रियान्वयन का जिम्मा संभालते थे. पुस्तिका के अनुसार,‘‘ अकबर की लोकतंत्र की यह सोच असाधारण थी और अपने वक्त से काफी आगे थी. अकबर के समय में इस अवधारणा को बल मिला कि बहुधर्मी समाज में समावेशी नीति के आधार पर ही आगे बढ़ा जा सकता है. अकबर के शासन में कुछ अनूठे प्रयोग किए गए और आज भी जीवन के कई क्षेत्रों में उसका असर नजर आता है.

(एजेंसी इनपुट- भाषा)

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