How Dara Shikoh Killed: दारा शिकोह से गद्दारी करने के लिए जिस शख्स को औरंगजेब ने खैरात में हीरे जवाहरात दिए थे, उसी शख्स पर दिल्ली की जनता ने जूते-चप्पल और पत्थर बरसाए थे. दारा शिकोह से गद्दारी करने वाला जीवन मलिक मुश्किल से जान बचाकर दिल्ली से निकल पाया था.
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Dara Shikoh And Aurangzeb: मुगल इतिहास का जब भी जिक्र आता है, उसमें दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच हुई लड़ाई का नाम जरूर लिया जाता है. औरंगजेब से लड़ाई हारने के बाद दारा शिकोह ने आगरा में कुछ वक्त के लिए शरण ली, जिसके बाद वहां से निकलकर दारा शिकोह अफगानिस्तान के लिए चला गया. औरंगजेब इस बात से भली-भांति परिचित था कि जब तक दारा शिकोह जिंदा है, तब तक उसकी गद्दी सुरक्षित नहीं है. इसके बाद दारा शिकोह को ढूंढने के लिए औरंगजेब ने जासूसों के समूह को काम पर लगा दिया. जासूसों की लाख कोशिशों के बाद भी दारा शिकोह पकड़ा न गया लेकिन दारा शिकोह के एक साथी जीवन मलिक ने उसके साथ गद्दारी की जिसके बाद वह पकड़ा गया.
दारा शिकोह के साथ हुए ऐसा अंजाम
फ्रांसीसी इतिहासकार फ्रांस्वा बर्नियर ने अपनी किताब में लिखा की दारा शिकोह को दिल्ली लाने के बाद औरंगजेब ने उसके साथ जो हश्र किया, उसे देखकर लोगों की रूह कांप गई. पहले तो दारा शिकोह को बेड़ियों में जकड़ा गया और उसे पूरे शहर में घुमाया गया. इस दौरान दारा शिकोह के कपड़े फटे हुए थे. इस हालत में दारा शिकोह को देखकर दिल्ली की जनता रोने लगी थी. सबके सामने जलील करने के बाद दारा शिकोह को खिजराबाद भेजा गया और वहां पर उसका सर धड़ से अलग कर दिया गया था.
गद्दार जीवन मलिक की जान जाते-जाते बची
दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच हुई लड़ाई में हमने जीवन मालिक के नाम का जिक्र किया. जीवन मलिक वही शख्स था जिसने दारा शिकोह से गद्दारी की थी. इस गद्दारी के बदले में जीवन मलिक को औरंगजेब से हीरे-जवाहरात, पैसे और कई दूसरे संसाधन मिले थे लेकिन जब एक बार जीवन मलिक दिल्ली आया तब यहां की जनता का गुस्सा उसके ऊपर कहर बनकर बरसा. जीवन मलिक के ऊपर दिल्ली की जनता ने जूते-चप्पल और पत्थर बरसाए, इस दौरान जीवन मलिक जैसे तैसे जिंदा निकल कर भाग पाया था.
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