Gerbich Blood Group: दिल की जटिल सर्जरी का दावा, ऑपरेशन थियेटर में ब्लड ग्रुप जान डॉक्टर भी रह गए हैरान
Advertisement
trendingNow11933450

Gerbich Blood Group: दिल की जटिल सर्जरी का दावा, ऑपरेशन थियेटर में ब्लड ग्रुप जान डॉक्टर भी रह गए हैरान

Heart Surgery: क्या आपने जर्बिच ब्लड ग्रुप के बारे में सुना है. शायह नहीं सुना होगा. दरअसल दिल में मायक्सोमा ट्यूमर का सामना कर रहे मरीज को सर्जरी के लिए भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों के सामने ना सिर्फ जटिल सर्जरी की चुनौती थी बल्कि ब्लड ग्रुप को जान डाक्टर भी दंग रह गए. 

Gerbich Blood Group: दिल की जटिल सर्जरी का दावा, ऑपरेशन थियेटर में ब्लड ग्रुप जान डॉक्टर भी रह गए हैरान

दिल की सर्जरी यानी हार्ट सर्जरी के बारे में आप अक्सर सुनते हैं. दिल की बीमारी के बारे में पता लगते ही चिंता कई गुणा बढ़ जाती है. लेकिन यहां पर एक ऐसे हार्ट सर्जरी के बारे में बताएंगे जिसका जिक्र कर डॉक्टर भी हैरान रह गए. दिल की वो बीमारी थोड़ी सी अलग थी. दरअसल 50 साल के एक मरीज के दिल में टेबल टेनिस के बॉल के आकार के बराबर ट्यूमर था. डॉक्टरों के सामने चुनौती सिर्फ ट्यूमर को निकालने की नहीं थी बल्कि ब्लड ग्रुप भी बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आई. दरअसल वो मरीज जर्बिच रक्त समूह का था. डॉक्टरों के मुताबिक आप सबने ए, बी. एबी और ओ ब्लड ग्रुप के बारे में सुना होगा लेकिन इस ब्लड ग्रुप के बारे में कभी नहीं सुना होगा.

देश में पहले केस का दावा

दावा इस बात का किया गया है कि यह देश का पहला मामला(हालांकि जी न्यूज हिंदी डिजिटल इसकी पुष्टि नहीं करता) यह देश का पहला मामला है. डॉक्टरों का कहना है कि यवतमाल के रहने वाले राजेश अग्रवाल के दिल में माइक्सोमा ट्यूमर की पुष्टि हुई थी. राजेश अग्रवाल इलाज के लिए मुंबई अस्पताल पहुंचे. राजेश अग्रवाल का इलाज करने वाले डॉक्टर पवन कुमार ने बताया कि उन्होंने करीब 30 साल तक की प्रैक्टिस में माइक्सोमा ट्यूमर के 70  ऑपरेशन किए हैं. लेकिन यह सर्जरी जटिल थी. 

दुनिया में जर्बिच ब्लड ग्रुप के सिर्फ 9 लोग

डॉ पवन कुमार बताते हैं कि पेशेंट की तीनों धमनियों में ब्लॉकेज था. ट्यूमर की वजह से सेप्टम में भी खराबी हो गई थी. इस तरह की परेशानी के बीच सबसे बड़ी परेशानी तब आई जब ब्लड ग्रुप किसी से मैच नहीं कर रहा था. ब्लड सैंपल को बड़े अस्पतालों में भी भेजा गया लेकिन कामयाबी नहीं मिली. थक हार कर ब्लड सैंपल को रेफरेंस प्रयोगशाला ब्रिटेन भेजा गया और पता चला कि मरीज का ब्लड ग्रुप जर्बिच फिनोटाइप है, दुनिया में सिर्फ आठ लोगों के नाम रजिस्टर्ड है नवां मरीज राजेश अग्रवाल हैं, हालांकि सभी तरह की मुश्किलों से पार पाते हुए 18 अक्टूबर को करीब पांच घंटे की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.

Trending news