शाहजहां ने ये ऐलान किया था कि उनकी बेगम यानी जहांआरा की मां को मुमताज महल के नाम से जाना जाएगा और उन्हें सालाना 10 लाख रुपये का वजीफा (एक प्रकार का पॉकेट मनी) दिया जाएगा. साथ ही शाहजहां ने बेगम नूरजहां के लिए 2 लाख रुपये सालाना वजीफे का ऐलान किया था.
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मुगल काल में हरम में महिलाओं के साथ होने वाली ज्यादतियों की कहानियां काफी चर्चित रही हैं. मुगल काल की शासन-व्यवस्था पर बातचीत के दौरान अकसर ये बात होती है कि हरम में महिलाओं की जिंदगी बदतर हुआ करती थी. दरअसल, हरम को बादशाह के अय्याश का ठिकाना माना जाता था. लेकिन क्या आपको पता है कि उस समय बादशाह अपनी बेगमों और बेटियों को वजीफे के तौर पर अरबों रुपये का वेतन दिया करते थे.
शाहजहां की सबसे बड़ी बेटी जहांआरा ने अपनी डायरी में बादशाह (शाहजहां) से मिलने वाले वजीफे का जिक्र किया है. जहांआरा ने बताया है कि शाहजहां अपनी बेगम यानी उनकी मां मुमताज महल को वजीफे (पॉकेट मनी) तौर पर 10 लाख रुपये सालाना दिया करते थे. अब सवाल उठता है कि आज के समय में ये रकम कितनी हो सकती है.
बेगम को सालाना 600 करोड़ रुपये का वजीफा!
बेगम को सालाना मिलने वाले 10 लाख रुपये की कीमत को समझने का एक तरीका ये है कि उस समय एक किलो सोने की कीमत 1000 रुपये हुआ करती थी जिसके लिए आज के समय में करीब 60 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. यानी उस समय के 1000 रुपये की कीमत आज के 60 लाख रुपयों के बारबर हो सकती है. ऐसे में मुमताज महल को मिलने वाले सालाना 10 लाख रुपये आज के समय में करीब 6,00,00,00,000 रुपये हो सकते हैं.
शाहजहां की बेटी जहांआरा ने अपनी डायरी में लिखा है कि उनके पिता शाहजहां ने ये ऐलान किया था कि उनकी बेगम यानी जहांआरा की मां को मुमताज महल के नाम से जाना जाएगा और उन्हें सालाना 10 लाख रुपये का वजीफा दिया जाएगा. साथ ही शाहजहां ने बेगम नूरजहां के लिए 2 लाख रुपये सालाना वजीफे का ऐलान किया था.
14 साल की जहांआरा को मिलते थे सालाना 6 लाख रुपये
जहांआरा अपनी डायरी में बताती हैं कि जब उनकी उम्र 14 वर्ष थी तभी पिता शाहजहां ने उनके लिए सालाना 6 लाख रुपये के वजीफे का ऐलान कर दिया था. ऐसे में उन्हें मुगल काल ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे अमीर शहजादी माना गया. यानी वो अपने समय की दुनिया की सबसे अमीर महिला थीं.
शाहजहां जब बादशाह बने तो उन्होंने बेटी जहांआरा को 4 लाख रुपये दिए थे और साथ ही एक लाख अशर्फियां भी दी थीं. यही नहीं, जहांआरा की मां की मौत के बाद बादशाह पिता ने उनकी संपत्ति में से आधा हिस्सा जहांआरा को सौंप दिया और आधे हिस्से को बाकी के बच्चों में बांट दिया था.
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