एंटी टैंक मिसाइल 'नाग' का डीओरडीओ ने किया सफल परीक्षण, 7 किमी की मारक क्षमता
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एंटी टैंक मिसाइल 'नाग' का डीओरडीओ ने किया सफल परीक्षण, 7 किमी की मारक क्षमता

यह मिसाइल सात किलोमीटर तक किसी लक्ष्य को भेद सकती है. परीक्षण के दौरान मिसाइल ने दो अलग-अलग दूरी पर रखे लक्ष्यों को सफलतापूर्वक भेदा.

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' एडवांस्‍ड इमेजिंग इंफ्रारेड रडार से लैस है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने राजस्थान के रेगिस्तान में देश में ही विकसित तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल (एटीजीएम) ‘नाग’ का शुक्रवार (8 सितंबर) को सफल परीक्षण किया है. इस परीक्षण के साथ ही ‘नाग’ के विकास से जुड़े ट्रायल पूरे हो गए. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान में शुक्रवार को दो अलग-अलग लक्ष्यों के खिलाफ डीआरडीओ ने ‘नाग’ का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल सात किलोमीटर तक किसी लक्ष्य को भेद सकती है. परीक्षण के दौरान मिसाइल ने दो अलग-अलग दूरी पर रखे लक्ष्यों को सफलतापूर्वक भेदा.

मंत्रालय ने कहा, ‘‘एटीजीएम ‘नाग’ मिसाइल ने अलग-अलग रेंजों और स्थितियों में दोनों लक्ष्यों को बहुत अधिक शुद्धता से सफलतापूर्वक भेद दिया और ऐसा ही सशस्त्र बल चाहते हैं.’’ क्षेत्र में बदलते सुरक्षा परिदृश्य के लिहाज से भारत अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने की तैयारियों में जुटा है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि कल (शुक्रवार, 9 सितंबर) के परीक्षण और जून में हुए ट्रायल से ‘नाग’ मिसाइल के विकास से जुड़े परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं.

'दागो और भूल जाओ' श्रेणी की तीसरी पीढ़ी की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' एडवांस्‍ड इमेजिंग इंफ्रारेड रडार से लैस है. सूत्रों के अनुसार यह सुविधा बहुत कम देशों के पास है. नाग मिसाइल वजन में काफी हल्की होती है. इसका कुल वजन महज 42 किलो है. इस मिसाइल को 10 साल तक बगैर रखरखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है. नाग मिसाइल की गति 230 मीटर प्रति सेकंड है. एक खास बात और एक बार मिसाइल दाग दी गई तो इसे रोका नहीं जा सकेगा. इससे पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार (13 जून) को टैंक भेदी मिसाइल 'नाग' का राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र के रेगिस्तान में सफल परीक्षण किया था. जिसमें मिसाइल ने लक्ष्य को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया.

इससे पहले भारत ने शुक्रवार (2 जून) को स्वदेशी परमाणु क्षमता से लैस पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल को सुबह लगभग 9.50 बजे आईटीआर के तीसरे प्रक्षेपण परिसर के मोबाइल लांचर से मिसाइल दागी. यह परीक्षण भारतीय सेना के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा थी.

प्रक्षेपण को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों की देखरेख में विशेष रूप से गठित स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) द्वारा प्रक्षेपित किया गया था. पृथ्वी-2 मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है और यह 500 किलोग्राम से 1,000 किलोग्राम तक की युद्धसामग्री ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल को 2003 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. 

(इनपुट एजेंसी से भी)

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